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सीलिंग के विरोध में डॉक्टर बिरादरी अड़ी, सीएम नहीं मिले

हरिद्वार रोड में दो अस्पतालों की सीलिंग की कार्रवाई का विरोध करते हुए डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा मगर, मुख्यमंत्री ने इस मामले में चिकित्सकों से मिलने से इन्कार कर दिया।

By Edited By: Updated: Tue, 03 Jul 2018 08:49 PM (IST)
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सीलिंग के विरोध में डॉक्टर बिरादरी अड़ी, सीएम नहीं मिले
देहरादून, [जेएनएन]: हाईकोर्ट के आदेश पर चल रही अतिक्रमण और सीलिंग की कार्रवाई पर डॉक्टर बिरादरी ने खलल डाल दी। हरिद्वार रोड में दो अस्पतालों की सीलिंग की कार्रवाई का विरोध करते हुए डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा मगर, मुख्यमंत्री ने इस मामले में चिकित्सकों से मिलने से इन्कार कर दिया। एमडीडीए ने इन अस्पतालों में भर्ती मरीजों को दो दिन के भीतर शिफ्ट करने की चेतावनी नोटिस में दी है। अन्यथा बलपूर्वक कार्रवाई की जाएगी। हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण हटाओ अभियान के अलावा नियम विरूद्ध आवासीय भवनों में व्यवसायिक गतिविधियां चलाने वालों पर भी कार्रवाई की जा रही है।

इसी के तहत 28 जून को रिस्पना से नेहरू कॉलोनी चौक के बीच अतिक्रमण हटाने के साथ साथ बिना पार्किंग, आवासीय घरों में व्यवसायिक गतिविधि चलाने पर पदमावती नर्सिग होम और लाइफ लाइन अस्पताल सील किए गए। मगर, दोनों अस्पतालों में मरीज भर्ती होने पर डॉक्टरों ने सीलिंग का विरोध किया था। उस दौरान एमडीडीए ने मानवता दिखाते हुए अस्पतालों को दो दिन के भीतर मरीजों को शिफ्ट करने का समय दिया था। मगर, अस्पतालों ने पांच दिन बाद भी कार्रवाई में सहयोग नहीं दिया।

इस पर सोमवार को एमडीडीए ने पदमावती अस्पताल सील कर दिया है। जबकि लाइफ लाइन अस्पताल में मरीज भर्ती होने पर बलपूर्वक कार्रवाई को नोटिस थमा दिया है। इस पर डॉक्टर बिरादरी फिर कार्रवाई के विरोध में उतर आए। डॉक्टरों ने इस मामले में मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा। मगर, डॉक्टरों की इस मांग पर मुख्यमंत्री ने इस मामले मिलने से इन्कार कर दिया।

डॉ.डीडी चौधरी, (महासचिव इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) का कहना है कि इस मामले में अपर मुख्य सचिव से 10 दिन का समय मांगा गया है। हमारे द्वारा हाईकोर्ट में भी प्रार्थनापत्र दिया गया है। मेडिकल सेवा व्यवसायिक नहीं है।

आशीष श्रीवास्तव (वीसी, एमडीडीए) का कहना है कि  डॉक्टरों के विरोध से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। कार्रवाई नियमानुसार हो रही है। दो दिन में यदि मरीज शिफ्ट न किए गए तो बलपूर्वक कार्रवाई की जाएगी। कार्रवाई में अस्पताल संचालक से सहयोग मांगा गया है।  

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