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146 साल से उत्तराखंड को हिमालयन माउंटेन क्वेल के दीदार का 'इंतजार', विश्व में इसके सिर्फ नौ नमूने ही सुरक्षित

Himalayan Mountain Quail समृद्ध जैव विविधता वाले उत्तराखंड में परिदों का संसार भी खूब फल-फूल रहा है। हालांकि मसूरी और नैनीताल की शान कहा जाने वाला हिमालयन माउंटेन क्वेल अब उत्तराखंड में नहीं दिखता। 146 वर्ष से इसके दीदार का इंतजार है।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sun, 30 Oct 2022 01:03 PM (IST)
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Himalayan Mountain Quail : 146 वर्ष से हिमालयन माउंटेन क्वेल के दीदार का इंतजार है।
विजय जोशी, देहरादून : Himalayan Mountain Quail : समृद्ध जैव विविधता वाले उत्तराखंड में परिदों का संसार भी खूब फल-फूल रहा है। पक्षियों की 700 से अधिक प्रजातियां यहां वास करती हैं। हालांकि, दुभार्ग्यपूर्ण है कि मसूरी और नैनीताल की शान कहा जाने वाला हिमालयन माउंटेन क्वेल अब उत्तराखंड में नहीं दिखता।

मसूरी में 146 वर्ष से पक्षी प्रेमी इस पक्षी के दीदार के इंतजार में हैं। नैनीताल में भी इस पक्षी को वर्ष 1836 से नहीं देखा गया है। प्रदेश में किए जा रहे ग्रेट हिमालयन बर्ड काउंट में इस बार भी पक्षी प्रेमी हिमालयन माउंटेन क्वेल की उपस्थिति दर्ज होने की आस लगाए बैठे हैं।

120 प्रजातियों के परिंदों का खूबसूरत संसार

एक दौर में देहरादून से मसूरी जाने के लिए राजपुर से झड़ीपानी के बीच पैदल ट्रैक सबसे महत्वपूर्ण और बेहद रोमांचक होता था। प्राकृतिक नजारों के बीच घने जंगलों से गुजरने वाला यह मार्ग आज भी प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर खींचता है। इस क्षेत्र में 120 प्रजातियों के परिंदों का खूबसूरत संसार बसता है।

इनमें से 90 प्रजातियां तो अकेले राजपुर क्षेत्र में ही दर्ज की गई हैं। झड़ीपानी इसलिए भी अहम है कि 19वीं सदी में यहां हिमालयन माउंटेन क्वेल का राज था। इसे स्थानीय भाषा में पहाड़ी बटेर कहा जाता था।

यह पक्षी देश में अन्य कहीं नहीं पाया जाता था। उत्तराखंड में मसूरी और नैनीताल ही इसका घर हुआ करते थे। दुभार्ग्यवश वर्ष 1836 में यह पक्षी नैनीताल में आखिरी बार देखा गया तो मसूरी में वर्ष 1876 के बाद हिमालयन माउंटेन क्वेल को नहीं देखा गया।

वर्ष 2009 से हिमालयन माउंटेन क्वेल की तलाश में जुटी संस्था एक्शन एंड रिसर्च फार कंजर्वेशन इन हिमालयन (आर्क) के संस्थापक सदस्य प्रतीक पंवार का कहना है कि यह परिंदा सिर्फ मसूरी और नैनीताल में ही देखा जाता था।

इसकी खोज के लिए आर्क अब नए सिरे से रणनीति तैयार कर रहा है। इस बार किए गए ग्रेट हिमालयन बर्ड काउंट में इसकी उपस्थिति दर्ज होने की उम्मीद थी। आज सर्वेक्षण की रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

हिमालयन माउंटेन क्वेल के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

  • वर्ष 1836 में नैनीताल में अंतिम बार देखा गया
  • वर्ष 1876 में मसूरी में हुआ अंतिम दीदार
  • भारत में सिर्फ इन्हीं दो क्षेत्रों में पर्यावास
  • विश्व में इसके सिर्फ नौ नमूने ही सुरक्षित
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