हिमालयन कॉन्क्लेव: हिमालय नीति बनाने की दिशा में उठे सार्थक कदम
हिमालय की सेहत तभी महफूज रह सकती है जब हिमालयवासियों के हित सुरक्षित रहें। यह तभी संभव है हिमालयी क्षेत्र के प्रति नजरिये में बदलाव लाते हुए यहां के लिए अलग से नीति बने।
By Edited By: Updated: Mon, 29 Jul 2019 11:44 AM (IST)
देहरादून, विकास गुसाईं। हिमालय की जरूरत सबको है। हिमालय की सेहत तभी महफूज रह सकती है, जब हिमालयवासियों के हित सुरक्षित रहें। यह तभी संभव है हिमालयी क्षेत्र के प्रति नजरिये में बदलाव लाते हुए यहां के लिए अलग से व्यापक नीति बने। इसीलिए हिमालयी नीति की मांग अर्से से उठ रही है। यह बात अलग है कि अब तक इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका, मगर अब हिमालयी राज्य इसे लेकर सक्रिय हुए हैं। हिमालयन कॉन्क्लेव में भी इसकी जरूरत पर जोर दिया गया। बता दें कि तमाम कठिनाइयां झेल रहे उत्तराखंड से यह आवाज उठी और हिमालयन कॉन्क्लेव के जरिये इसे केंद्र के समक्ष रखा गया।
यह किसी से छिपा नहीं है कि पिछले कुछ सालों में हिमालयी राज्यों में आई प्राकृतिक आपदाओं ने हिमालय की खराब होती सेहत के संकेत दे दिए थे। कहने का आशय यह कि हिमालय की करुण पुकार सुनने के साथ ही उसे सहेजने की दिशा में कार्य करने की जरूरत है। उत्तराखंड में काफी पहले से ही हिमालय की इस पीड़ा को नजदीक से समझा गया है। इसकी आवाज समाजवादी नेता विनोद बड़थ्वाल अक्सर उठाते थे। विधायक न होने के बावजूद कई मंचों पर वह हिमालयी राज्यों के लिए अलग हिमालय नीति बनाने पर जोर देते थे।
उत्तराखंड के अस्तित्व में आने पर फिर से हिमालय नीति की मांग ने जोर पकड़ा। 'हम' समेत अन्य जनसंगठनों ने इसे गति दी और इसकी परिणति हिमालय दिवस के आयोजन के रूप में नजर आई। मकसद यह कि सरकार से लेकर आमजन तक सभी हिमालय के बारे में सोचें और इसे बचाने को आगे आएं। यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। केंद्र समेत सभी हिमालयी राज्यों ने इसे स्वीकारा भी है। इससे हिमालय और हिमालयवासियों के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठने की उम्मीद भी जगी।
इसी क्रम में उत्तराखंड में पहली बार हिमालय राज्यों के हक हुकूक के लिए हिमालयन कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया, जिसमें हिमालयी राज्यों में पर्यावरण संरक्षण और विकास की धारा साथ-साथ आगे बढ़ाने को एक साझा मसौदा तैयार किया गया। इसे वित्तमंत्री को सौंपा गया है। इससे वन एवं पर्यावरण संरक्षण का बीड़ा उठाने वाले हिमालयी राज्यों के हितों को संरक्षण के लिए एक बार फिर हिमालयी नीति के बनने की उम्मीद और पुख्ता हुई है।
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