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हिमालयी राज्यों को ग्रीन बोनस की दरकार, आखिर कब पूरी होगी आस

उत्तराखंड समेत सभी हिमालयी राज्य ग्रीन बोनस के लिए अब केंद्र की ओर टकटकी लगाए हैं। उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस दिशा में जल्द कोई न कोई फैसला लेगी।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 09 Sep 2019 04:54 PM (IST)
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हिमालयी राज्यों को ग्रीन बोनस की दरकार, आखिर कब पूरी होगी आस
देहरादून, राज्य ब्यूरो। पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान दे रहे हिमालयी राज्य इसके एवज में ग्रीन बोनस चाहते हैं। हिमालयन कॉन्क्लेव में भी सभी हिमालयी राज्यों ने यह मसला प्रमुखता से उठाया था। तब नीति आयोग ने इस पर मंथन की बात कही थी। ऐसे में उत्तराखंड समेत सभी हिमालयी राज्य अब केंद्र की ओर टकटकी लगाए हैं। उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस दिशा में जल्द कोई न कोई फैसला लेगी। इसके फलस्वरूप मिलने वाली राशि से वे हिमालय और हिमालयवासियों के हितों के मद्देनजर कदम उठा सकेंगे। 

यह किसी से छिपा नहीं है कि हिमालयी राज्यों का भूगोल जितना जटिल है, उतनी ही जटिल परिस्थितियां भी हैं। सूरतेहाल, आमजन का जीवन कठिन है तो विकास को तेज गति से आगे बढऩे में दिक्कतें पेश आ रही हैं। हिमालयी राज्यों ने कॉन्क्लेव में इसे लेकर अपना पक्ष मजबूती के साथ केंद्र के साथ ही नीति व वित्त आयोग के समक्ष रखा था। केंद्र के सकारात्मक रुख को देखते हुए हिमालयी राज्य अब आशाभरी नजरों से केंद्र को देख रहे हैं। 

असल में उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्य दिक्कतें झेलकर देश के पारिस्थितिकीय तंत्र को हृष्ट-पुष्ट बनाने में योगदान दे रहे हैं। हिमालय की इसमें अहम भूमिका है। समूचा हिमालय वाटर टैंक के रूप में है। ग्लेशियरों से निकलने वाले पानी का लाभ देश के अन्य राज्यों को मिलता है। यही नहीं, वनों का संरक्षण भी अहम है। जल-जंगल का संरक्षण कर ये राज्य देश को पर्यावरणीय सेवाएं रहे हैं। उत्तराखंड को ही लें तो अकेले यहां के वनों से ही 95 हजार करोड़ की पर्यावरणीय सेवाएं मिल रही हैं। 

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साफ है कि पर्यावरण व जल संरक्षण को लेकर केंद्र के एजेंडे में ये राज्य अहम भूमिका निभा रहे हैं। इसके बावजूद हिमालयी राज्यों के सामने दिक्कतों का भी अंबार है। वन भूमि की अधिकता के कारण वन कानूनों की बंदिशों से विकास को गति नहीं मिल पा रही। मानव-वन्यजीव संघर्ष लगभग सभी राज्यों में है। इस सबको देखते हुए ही हिमालयी राज्य पर्यावरणीय सेवाओं के एवज में ग्रीन बोनस की मांग कर रहे हैं।

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