Dehradun: Dehradun (देहरादून)
Dehradun उत्तराखंड की राजधानी देहादून कई मायनों में खास है। देहरादून नगर पर्यटन शिक्षा स्थापत्य संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। वहीं देहरादून का महाभारत रामायण और मौर्य वंश काल से भी खास नाता रहा है। यह भी कहा जाता है कि देहरादून की स्थापना 1699 में हुई थी। आइए जानते हैं देहरादून के नाम और इस शहर से जुड़े इतिहास के बारे में कुछ खास बातें
By Nirmala BohraEdited By: Nirmala BohraUpdated: Mon, 24 Jul 2023 08:58 AM (IST)
टीम जागरण, देहरादून : Dehradun History : उत्तराखंड की राजधानी देहादून कई मायनों में खास है। वहीं देहरादून का महाभारत, रामायण और मौर्य वंश काल से भी खास नाता रहा है। देहरादून नगर पर्यटन, शिक्षा, स्थापत्य, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यहां बेहतरीन स्कूल हैं, इसलिए इसे एजूकेशन हब भी कहा जाता है।
देश-विदेश से हजारों लोग यहां हर साल घूमने आते हैं और प्रकृति के बीच रहकर कभी न भूल पाने वाली यादें लेकर लौटते हैं। यहां जो एक बार आता है, बस यहीं का होकर रह जाता है। देहरादून को कई नामों से भी पुकारा जाता है। आइए जानते हैं देहरादून के नाम और इस शहर से जुड़े इतिहास के बारे में:
देहरादून का इतिहास (History of Dehradun)
- देहरादून का इतिहास कई सौ वर्ष पुराना है।
- देहरादून भारत की राजधानी दिल्ली से करीब 230 किमी दूर बसा हुआ है।
- देहरादून जिले के कालसी में एक शिलालेख मौजूद है जो तीसरी सदी ईसा पूर्व में देहरादून में सम्राट अशोक का अधिकार होने की गवाही देता है।
- यह भी कहा जाता है कि देहरादून की स्थापना 1699 में हुई थी। तब सिक्खों के गुरु रामराय किरतपुर पंजाब से आकर यहां बस गए थे।
- वैसे देहरादून का प्रशासनिक इतिहास 150 साल से ज्यादा पुराना है। लेकिन विधिवत रूप से इसे 1871 में जिले का दर्जा मिला था।
- नौ नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से विभाजित कर अलग राज्य का दर्जा दिया गया था। तब राज्य की अंतरिम राजधानी देहरादून को बनाया गया।
देहरादून (Dehradun) पर लगातार हुए आक्रमण
- खलीलुल्लाह खान के नेत्वृत्व में 1654 में मुगल सेना ने देहरादून पर आक्रमण किया था।
- इसके बाद 1772 में गुज्जरों ने देहरादून को लूटा।
- गढ़वाल के राजा ललत शाह के पुत्र प्रदुमन शाह के शासन काल में रोहिल्ला नजीब के पोते गुलाम कादिर के नेतृत्व में अफगानों ने देहरादून पर आक्रमण किया।
- सहारनपुर के राज्यपाल और अफगान प्रमुख नजीबुदौल्ला ने भी देहरादून पर कब्जा किया।
- 1786 में देहरादून पर गुलाम कादिर ने आक्रमण किया। उसने हरिद्वार और देहरादून पर कहर बरपाया।
- 1801 तक अमर सिंह थापा के नेतृत्व में गोरखा राज्य ने देहरादून पर आक्रमण किया और उस पर अधिकार कर लिया।
- 1815 तक गोरखाओं को हरा कर अंग्रेजों ने इस पूरे क्षेत्र पर अपना अधिकार कर लिया।
- (स्रोत : विकिपीडिया)
कैसे पड़ा देहरादून का नाम?
देहरादून को दून, दून घाटी, द्रोणनगरी, केदारखंड कई नामों से भी पुकारा जाता है। 1699 में सिक्खों के गुरु रामराय किरतपुर पंजाब से आकर अपने शिष्यों के साथ यहां बस गए थे। जिस वजह से इसे डेरा या देहरा कहा गया। बाद में इसमें दून जोड़ दिया गया, तभी से इसे यह शहर देहरादून के नाम से पहचाना जाने लगा। तभी से देहरादून की स्थापना हुई ऐसा माना जाता है।देश की कई हस्तियों ने देहरादून में की पढ़ाई
देहरादून में कई बड़े शैक्षणिक संस्थान हैं। जहां देश की कई हस्तियों ने पढ़ाई की है। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, उनके भाई संजय गांधी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, ओडिसा के सीएम नवीन पटनायक, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, निशानेबाज अभिनव बिंद्रा, अभिनेता चंद्रचूड़ सिंह, अली फजल, करीना कपूर के नाम शामिल हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।देहरादून में क्या है खास?
- देहरादून की वादियां और यहां का वातावरण
- मसूरी, मालदेवता, ऋषिकेश, कालसी, चकराता
- देहरादून में रॉबर्स केव, सहस्त्रधारा, जू, मालदेवता, बुद्धा टेंपल
- एफआरआइ, आइएमए, दरबार साहित जैसे शानदान भवन
महाभारत-रामायण काल से देहरादून का संबंध
- देहरादून में महाभारत काल से जुड़ें निशान भी मिलते हैं। कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य ने देहरादून के टपकेश्वर मंदिर की गुफाओं में तपस्या की थी, जिसके बाद देहरादून को द्रोणनगरी भी कहा जाने लगा।
- लाखामंडल में आज भी खुदाई करने पर शिवलिंग निकल आते हैं। माना जाता है कि द्वापर युग में दुर्योधन ने पांचों पांडवों और उनकी माता कुंती को जीवित जलाने के लिए यहां लाक्षागृह का निर्माण किया था। एएसआइ को खुदाई के दौरान यहां मिले सैकड़ों शिवलिंग व दुर्लभ मूर्तियां इसकी तस्दीक करती हैं।
- देहरादून का संबंध रामायण काल से भी बताया जाता है। कहा जाता है कि जब भगवान श्रीराम ने रावण का अंत किया था, तो उसके बाद लक्ष्मण के साथ वह ऋषिकेश आए और गंगा में स्नान किया।
- देहरादून के कालसी में सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद शिलालेख स्थापित करवाए थे, जो आज भी राज्य के धरोहर हैं। चीनी यात्री ह्वेनसांग में इसका जिक्र अपनी यात्रा के विवरण में भी किया था।