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उत्तराखंड में बारिश का कहर, नौ लोग मलबे में जिंदा दफन

टिहरी के भिलंगना क्षेत्र में एक मकान के ध्वस्त होने से एक ही परिवार के सात सदस्यों की मौत हो गई, वहीं चमोली में भी मकान ध्वस्त होने से दो लोगों की मौत हो गई।

By BhanuEdited By: Updated: Thu, 30 Aug 2018 09:34 AM (IST)
उत्तराखंड में बारिश का कहर, नौ लोग मलबे में जिंदा दफन
देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड में मंगलवार रात हुई बारिश जानलेवा साबित हुई। गढ़वाल के टिहरी जिले के बूढ़ाकेदार इलाके के कोट गांव में पहाड़ी से हुए भूस्खलन की चपेट में आने से एक मकान जमींदोज हो गया। उनमें सो रहे परिवार के सात सदस्य जिंदा दफन हो गए। जबकि एक किशोरी को करीब चार घंटे की मशक्कत के बाद मलबे से जीवित निकाल लिया गया। वहीं गोपेश्वर की घाट तहसील के अंतर्गत बरोलीधार गांव में बुधवार देर रात एक मकान के भूस्खलन की चपेट में आने से दो की मौत हो गई, जबकि एक अन्य को बचा लिया गया है। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हादसे पर दुख जताया। सीएम ने मृतक आश्रितों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।

टिहरी के कोट गांव में हुए हादसे में सभी के सात शव बरामद कर लिए गए हैं। जिला प्रशासन ने इसकी पुष्टि की है। भूस्खलन से दो अन्य मकान खतरे की जद में आ गए हैं। एहतियातन इन्हें खाली करा दिया गया है। उधर, चमोली जिले में बरसाती नाले के उफान से दो मकान क्षतिग्रस्त हो गए। 

राज्य में दो दिनों के अंतराल में मूसलाधार बारिश का क्रम बना हुआ है। मंगलवार दोपहर बारिश पूरी रात चलती रही। टिहरी जिले के भिलंगना विकासखंड के बूढाकेदार इलाके में अतिवृष्टि से जानमाल का नुकसान हुआ है। यहां जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर कोट गांव में बुधवार तड़के करीब चार बजे एक मकान पहाड़ी से गिरे मलबे की चपेट में आ गया। 

इसमें मोर सिंह और उसके दो भाई हुकुम सिंह व राकेश का परिवार रहता था। मलबा इतनी अधिक मात्र में था कि मकान का लगभग पूरा हिस्सा साथ साथ चला गया। उस वक्त घर पर तीनों परिवारों के आठ सदस्य सो रखे थे। उन्हें संभलने का भी मौका नहीं मिला। सभी मलबे में दब गए। मोर सिंह के दोनों भाई हुकुम सिंह और राकेश चंडीगढ़ में काम करते हैं, वह तो घर पर नहीं थे, लेकिन उनका परिवार इसी मकान में था। 

सुबह अंधेरा छंटने पर आसपास के लोगों को घटना का पता चला। उन्होंने ग्राम प्रधान को इत्तिला किया। थोड़ी ही देर में आसपड़ोस के बाशिंदे वहां पहुंचकर मलबे में दबे लोगों की खोजबीन में जुट गए। कुछ देर बाद राजस्व और स्वास्थ्य विभाग की टीम भी मौके पर पहुंच गई। 

सभी ने मिलकर मलबे में दफन मोर सिंह और उसके परिवार के सदस्यों की खोजबीन शुरू की। बाद में डीएम सोनिका ने घटनास्थल पहुंचकर राहत कार्यों का जायजा लिया। सुबह करीब आठ बजे मोर सिंह की चौदह वर्षीय बेटी बबली को चार घंटे के प्रयासों के बाद मलबे से जीवित निकाल किया गया। मौके पर पहुंचे डाक्टरों ने उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। उसके पैरों में चोट आई है। वह पत्थरों की ओट में मिली। 

अपर जिलाधिकारी शिव चरण द्विवेदी ने बताया कि मलबे में दफन अन्य सात सदस्यों की पहचान कर ली गई हैं। इनमें तीन बच्चे, तीन महिलाएं और एक पुरुष शामिल हैं। इनमें एक महिला गर्भवती थी। सुबह सात बजे से देर शाम साढ़े छह बजे तक चले रेस्क्यू में सभी के शव बरामद कर लिए गए। 

उन्होंने बताया कि ध्वस्त मकान के पास के दो अन्य मकानों को खतरा पैदा हो गया है, इन्हें खाली करा कर पास के स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया है। प्रभावित परिवारों के लिए टिहरी से टेंट, खाद्यान्न और राहत सामग्री प्रभावित क्षेत्र में भेजी गई है।

जेसीबी नहीं जा सकी  

घटनास्थल मुख्य सड़क से काफी दूर होने की वजह से यहां जेसीबी नहीं जा पाई। इसके चलते शवों की खोजबीन में काफी वक्त लगा। 

गौशाला में थे परिवार के मुखिया 

घर के मुखिया यानी तीनों भाइयों के पिता उमा सिंह और उनकी मां डबली देवी गांव से दूर गौशाला में रहते थे। इसलिए सकुशल हैं। वहीं, चमोली जिले में बारिश का कहर थम नहीं रहा है। बुधवार देर रात घाट के बरालीधार गांव में भारी बारिश के बीच भूस्खलन से मकान ढहने से दो भाई सब्बरलाल व गब्बरलाल पुत्र पद्म लाल की मलबे में दबकर मौत हो गई, जबकि रिश्तेदारी में आए सुरेंद्र लाल पुत्र बलवंत निवासी ग्राम मोखमल्ला को मलबे से निकाल कर पीएचसी घाट पहुंचाया गया। जिलाधिकारी स्वाती भदौरिया के निर्देश पर देर रात आपदा प्रबंधन और तहसील प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई थी। 

मृतकों की सूची 

टिहरी: मोर सिंह (32) पुत्र उमा सिंह, हंसा देवी (28)पत्नी मोर सिंह, संजू देवी (24) पत्नी हुकुम सिंह, लक्ष्मी देवी (24) पत्नी राकेश, आशीष (11) पुत्र मोर सिंह, अतुल (8) पुत्र हुकुम सिंह, स्वाति (3) पुत्री राकेश

चमोली : सब्बरलाल व गब्बरलाल पळ्त्र पद्म लाल, निवासी फरकेत (बरालीधार)

 

बदरीनाथ के पास लामबगड़ में हाईवे सातवें दिन भी नहीं खुल पाया है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के जवान मलबा हटाने के लिए मशक्कत कर रहे हैं, लेकिन लगातार दरक रही पहाड़ी के कारण मार्ग खोलना चुनौती बन गया है। 

भूस्खलन प्रभावित इस भाग को यात्री पैदल ही वैकल्पिक मार्ग से पार कर रहे हैं। इसके अलावा चमोली जिले के नारायणबगड़ में पिंडर नदी का कटाव कस्बे पर भारी पड़ा। पिंडर के किनारे पांच दुकानें भरभरा कर ढह गईं। 

शुक्र यह रहा कि उस वक्त दुकानों में कोई नहीं था। दूसरी ओर हरिद्वार के लक्सर में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। तटबंध क्षतिग्रस्त होने से गंगा का पानी खेतों में जा घुसा, जिससे फसलों को नुकसान पहुंचा है। उत्तरकाशी में गंगोत्री हाईवे हेल्गुगाड के पास मलबा आने से बंद हो गया। वहीं, यमुनोत्री हाईवे डाबरकोट में अभी भी बंद है। 

दूसरी ओर कुमाऊं में मौसम का मिजाज सोमवार रात से गड़बड़ाया हुआ है। पिथौरागढ़ में मुनस्यारी के थापा गांव में भारी बारिश से भू-स्खलन हो गया। दो मकान धराशायी हो गए, जिसमें एक बाइक दब गई। सात परिवारों को रात में ही प्रशासन ने सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कराया।

नैनीताल जिले में बीती रात हुई तेज बारिश से मल्लीताल में सनवाल पब्लिक स्कूल के पीछे भूस्खलन हो गया और खेल मैदान का मलबा टिन से बने कक्षा कक्ष में जा घुसा। मलबा पूरी क्लास में जमा हुआ है। गनीमत रही कि घटना रात को हुई। 

स्कूल प्रबंधन ने खतरे को देखते हुए आज अवकाश घोषित कर दिया है। उधर बारिश से जिले में एक स्टेट हाइवे समेत दस ग्रामीण मार्ग बंद हैं। इसमें भोर्सा-पिनरौ, देवीपुरा-सौंड़, काठगोदाम- हैड़ाखान, गर्जिया-बेतालघाट, ओखलाढुंगा-तल्लीसेठी, रानीकोटा-गोतिया, पशयां, तपुआ-बबियाड़, हरीनगर-चंदादेवी आदि शामिल हैं।

भीमताल मार्ग पर तीन जगह दरारें, धंसने का खतरा

नैनीताल की लोअर मालरोड़ की तरह भीमताल हल्द्वानी मोटर मार्ग का एक बड़ा हिस्सा झील में समा सकता है। भीमताल और आसपास के क्षेत्र में भारी बरसात के चलते मल्लीताल के बाईपास डायवर्जन से तल्लीताल पंत पार्क तक तीन स्थानों पर दरारें दिख रही हैं। ये मार्ग तीन स्थानों पर धंसा हुआ है। 

हल्द्वानी-भीमताल मार्ग का लगभग डेढ़ किमी हिस्सा झील की दीवार पर टिका है। इस दीवार की मरम्मत न होने से जगह-जगह पत्थर आदि निकल आए हैं। ऐसे में दीवार के क्षतिग्रस्त होते ही सड़क के झील में विलीन होने का अंदेशा बढ़ता जा रहा है। 

इस मार्ग पर सुबह से रात तक कई सौ वाहन रोज गुजरते हैं। इससे इस मार्ग पर लोड भी अधिक है। इस बाबत लोक निर्माण विभाग सिंचाई विभाग को झील की दीवार की मरम्मत के लिए पत्र लिख चुका है। 

कपकोट में बादल फटा वरुणावत से पत्थर बरसे

राज्य में मौसम की चुनौतियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मौसम की खराबी से कैलास मानसरोवर यात्रा फिर बाधित हो गई। बुधवार देर शाम उत्तरकाशी शहर में इंदिरा कॉलोनी के निकट वरुणावत पर्वत से भूस्खलन के साथ ही पत्थर गिरने लगे। कालोनी के लोग जान बचाने के लिए घर छोड़ चले गए। कालोनीवासियों को धर्मशालाओं में शिफ्ट किया गया है। इसी दरम्यान ताबांखाणी सुरंग की ओर पहाड़ी से गिरे पत्थरों की चपेट में आने से चार युवक गंभीर रूप से घायल हो गए।    

बागेश्वर जिले के कपकोट ब्लाक में मंगलवार रात सूपी व कर्मी इलाके में बादल फटने से सरयू उफान पर है। निर्जन क्षेत्र में होने के चलते यहां किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन सरयू नदी खतरे के निशान पर बह रही है। डीएम ने रात ही बैठक पर प्रशासन को अलर्ट मोड पर रखा है। इधर, चारधाम मार्गों के दिनभर बंद और खुलने का क्रम जारी रहा। यमुनोत्री हाईवे अब भी नहीं खुल पाया। राज्य में 72 से अधिक संपर्क मार्ग मलबा आने से अवरुद्ध हैं। 

पिथौरागढ़ में कैलास मानसरोवर यात्रियों का हेलीकाप्टर सुबह एक ही उड़ान भर पाया। वापसी कर रहे 10वें और 15वें दल के यात्री अपने पड़ावों पर ही रुके हुए हैं।  उत्तरकाशी में बुधवार शाम सात बजे वरुणावत पर्वत से इंदिरा कालोनी में मकानों के ऊपर पत्थर गिरने शुरू हुए। इसी दौरान कॉलोनी और बाजार की बिजली भी गुल हुई। 

कॉलोनी में रह रहे नेपाल, बिहार व यूपी निवासी मजदूर व उनके परिवार बच्चों सहित भाग निकले और मुख्य बाजार में पहुंचे। पत्थरों की चपेट में आने से एक टायर की दुकान में काम करने वाले चार युवक गंभीर घायल हुए। सुरक्षा की ²ष्टि से कुछ समय के लिए यातायात भी रोका गया। उत्तरकाशी शहर से 12 किलोमीटर दूर सिल्कुरा मनेरी में बरसाती नाले में उफान से पांच से अधिक मकान खतरे की जद में आ गए। 

एक-दो सितंबर को प्रदेश में अलर्ट

राज्य मौसम विज्ञान केंद्र ने एक और दो सितंबर को नैनीताल, चंपावत, ऊधम सिंह नगर, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी एवं देहरादून में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इनमें प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया है। जिलाधिकारियों से कहा गया है कि, इस दौरान उच्च हिमालयी क्षेत्र में आवागमन की अनुमति न दी जाए। स्कूलों में भी विशेष सर्तकता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।

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