सावधान! कहीं मिलावट आपकी दिवाली न कर दे फीकी, जानें कौन-सी मिठाई कितने दिन रखी जा सकती?
Adulteration in Sweets त्योहारों के मौसम में मिठाइयों का सेवन बढ़ जाता है। ऐसे में मिलावटखोर भी सक्रिय हो जाते हैं। मिठाई में मिलावट सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है। जानिए मिठाई में मिलावट की पहचान कैसे करें और खुद को सुरक्षित रखें। बता दें कि मिठाईयों को आकर्षक दिखाने वाले चांदी के वर्क की जगह एल्यूमीनियम फाइल से वर्क इस्तेमाल किए जाते हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून। Adulteration in Sweets: रोशनी का त्योहार दिवाली मिठाइयों के बिना अधूरा है। चाहे आप उन्हें अपने खाने के लिए खरीद रहे हों या अपने प्रियजनों को उपहार देने के लिए। त्योहार के सीजन में दुकानों पर क्विंटलों के हिसाब से मिठाई का निर्माण होता है। कई जगहों पर अस्थायी मिठाई की दुकानें भी खुल जाती हैं। लेकिन, यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि आप जो खरीद रहे हैं वह ताजा और अच्छी गुणवत्ता का हो।
दरअसल त्योहारी सीजन में आम दिनों के मुकाबले मिठाइयों की खपत 15 से 20 गुना तक बढ़ जाती है। ऐसे में मिठाइयों को आकर्षक बनाने के लिए जहां आवश्यकता से अधिक चीनी का प्रयोग होता है, वहीं कुछ ऐसे रंग भी उनमें डाले जाते हैं जो देखने में तो आकर्षक लगते हैं, लेकिन सेहत पर उनका विपरीत प्रभाव पड़ता है। उस पर दुकानदार मिठाइयों पर कैमिकल या खतरनाक रंग चढ़ा देते हैं। त्योहारी सीजन की आड़ में मिलावटखोर भी सक्रिय हो जाते हैं।
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मिठाई में मिलावट
ज्यादातर मिठाईयां दूधा, मावा व पनीर से बनाई जाती हैं। लागत कम करने के लिए कई दुकानदार घटिया मावा, पनीर का इस्तेमाल करते हैं। रंग-बिरंगी मिठाईयों में इस्तेमाल होने वाले सस्ते घटिया रंगों से भी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। मिठाईयों को आकर्षक दिखाने वाले चांदी के वर्क की जगह एल्यूमीनियम फाइल से वर्क इस्तेमाल किए जाते हैं। इसी तरह केसर की जगह भुट्टे के रंगे रेशों से मिठाई को सजाया जाता है। स्किम्ड दूध, बटर आयल, रिफाइंड व घटिया तेल का उपयोग मिठाईयों में किया जाता है।
ऐसे करें पहचान
शहर में लंबे वक्त से मिलावट के खिलाफ अभियान चला रही संस्था स्पेक्स के सचिव डा. बृजमोहन शर्मा ने बताया कि मिठाई के वर्क पर कास्टिक सोडा की कुछ बूंद डालें। वर्क चांदी के बजाय एल्युमिनियम का होगा तो गल जाएगा। एल्युमिनियम का वर्क चांदी के बजाय थोड़ा मोटा भी होता है। दूध में आयोडीन में मिलाने से रंग नीला हो जाए तो स्टार्च की मिलावट हो सकती है। आयोडीन विधि से दूध और मावा की बनी मिठाइयों की जांच की जा सकती है।यह भी पढ़ें- थूक जिहाद पर उत्तराखंड सरकार का बड़ा एक्शन, एक लाख तक जुर्माना; बताना होगा मीट झटका या हलाल
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मिठाई को चख कर देखें। स्वाद ठीक न होने पर उसे हाथ में लेकर देखें कि उसमें चिकनाई कितनी है। खट्टी और बदल चुके स्वाद वाली मिठाई न खरीदें।पैक मिठाइयों पर भी न करें भरोसा
बाजारों में मिलने वाली पैक मिठाइयों पर भी भरोसा न करें। बैच एक्सपाइरी डेट चेक करें। कसेला स्वाद होने पर न खरीदें।गुर्दे, लिवर तक पर असर
दून मेडिकल कालेज के वरिष्ठ फिजीशियन डा. अंकुर पांडेय ने बताया कि मिलावटी मावा और रंग से बनी मिठाइयां स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती हैं। इनके सेवन से एलर्जी, उल्टी-दस्त से लेकर गुर्दे व लिवर पर घातक असर हो सकता है। ऐसे में मिठाई खरीदने में सावधानी बरतें। मेटेनिल पीला, लैड क्रोमेट, मैलेकाइट ग्रीन, रोहडामिन-बी क्रोमियम डाई से कैंसर जैसे रोग होने की आशंका है। कैस्टर आयल, बोरिक एसिड, स्टार्च,अलसी का तेल पट के विभिन्न रोगों का कारण बनता है।मिठाईयों की भी होती है सेल्फ लाइफ
मिठाइयां कब तक खाई जा सकती हैं इससे संबंधित जानकारी लोगों को नहीं होती। जबकि प्रत्येक मिठाई की डेट आफ यूज होती है। पूर्व में एफएसएसएआइ ने मिठाइयों पर उन्हें तैयार करने और उनकी एक्सपायरी तिथि को अंकित करने के आदेश दिए गए थे, लेकिन इन आदेशों पर अमल नहीं हुआ। अब इसकी अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। यानी जिम्मेदारी ग्राहक पर है कि वह मिठाइयां खरीदते वक्त खुद इनकी गुणवत्ता परखें। हमेशा पूछें कि मिठाई कब तैयार की गई थी, और यदि संभव हो, तो ऐसी दुकानों को चुनें जो रोज़ाना मिठाइयां बनाती हों।कौन सी मिठाई कितने दिन रखी जा सकती?
- एक दिन: कलाकंद, चाकलेट कलांकद।
- दो दिन दूध के उत्पाद और बंगाली स्वीट्स, रसगुल्ला, रस मलाई, रबड़ी, राजभोग, चमचम,मलाई रोल, बंगाली रबड़ी, हरीभोग आदि।
- चार दिन: लड्डू, खोया स्वीट्स, मिल्ककेक, बर्फी, बूंदी लड्डू, कोकोनेट लड्डू, मोतीचूर लड्डू, मोदक, फ्रूट केक, घेवर।
- सात दिन: घी और ड्राई फ्रूट वाली, काजू कतली, शक्करपारा, गुड पारा, शाही लड्डू, मूंग बर्फी, आटा लड्डू, ड्राइफ्रूट गुजिया, काजू केसर -बर्फी, काजू रोल, खजूर, बेसन बर्फी, बालूशाही, काजू अंजीर, अंजीर केक, काजू से बनr अन्य मिठाइयां।
- 30 दिन: आटा लड्डू, बेसन लड्डू, चना लड्डू, चन्ना बर्फी, अंजीर खजूर बर्फी, सोहन हलवा आदि।