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सात माह के शिशु के पेट में मिला मानव भ्रूण, माता-पिता परेशान; डॉक्‍टर हैरान

Fetus in Baby Stomach सिर्फ सात माह के बच्‍चे का पेट बढ़ रहा था। जब जांच की गई तो पाया कि उसके पेट में मानव भ्रूण है। डा. संतोष सिंह ने बताया कि इसे मेडिकल भाषा मे फीटस-इन-फीटू (भ्रूण के अंदर भ्रूण) कहते हैं। पिछले सप्ताह सफल ऑपरेशन के बाद बच्‍चे के पेट से अर्ध-विकसित मानव भ्रूण को सफलतापूर्वक निकाल दिया गया।

By mahendra singh chauhan Edited By: Nirmala Bohra Updated: Wed, 21 Aug 2024 10:47 AM (IST)
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Fetus in Baby Stomach: बच्‍चे का हुआ सफल ऑपरेशन
संवाद सहयोगी जागरण डोईवाला। Fetus in Baby Stomach: रिंकू (नाम परिवर्तित) अभी सिर्फ सात माह का था, जब उसकी मां का ध्यान उसके बढ़ते हुए पेट पर गया। शुरू में उसने इसे नजरअंदाज किया पर जब पेट निरंतर बढ़ता ही गया तो उसे चिंता हुई। कई जगह चिकित्सकों को दिखाने के बावजूद रिंकू को आराम नहीं मिला।

रिंकू की मां व परिजनों ने हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में वरिष्ठ बाल शल्य-चिकित्सक डा.संतोष सिंह से संपर्क किया। रिंकू की आरंभिक जांच में उन्हें पेट में किसी असामान्य गांठ होने का शक हुआ। जब एक्सरे किया गया तो रिंकू के पेट में पल रहे एक मानव-भ्रूण होने का पता चला।

रिंकू का सफल ऑपरेशन

डा.संतोष सिंह ने बताया कि इसे मेडिकल भाषा में फीटस-इन-फीटू (भ्रूण के अंदर भ्रूण) कहते हैं। रिंकू के माता-पिता को समग्र जानकारी देने के उपरांत ऑपरेशन की अस्पताल की टीम ने विस्तृत योजना बनाई गई।

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डा.संतोष सिंह ने बताया कि पिछले सप्ताह रिंकू का सफल ऑपरेशन किया गया। उसके पेट से अर्ध-विकसित मानव भ्रूण को सफलतापूर्वक निकाल दिया गया। ऑपरेशन के चार दिन बाद पूर्ण रूप से स्वस्थ रिंकू को घर भेज दिया गया। उसके परिवार की खुशियां अब लौट आई हैं। ऑपरेशन को सफल बनाने में डा. आयेशा, डा. हरीश, डा. वैष्णवी, गीता व रजनी ने सहयोग दिया।

क्या है फीटस-इन-फीटू

हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट के बाल शल्य-चिकित्सक डा.संतोष सिंह ने बताया कि फीटस-इन-फीटू मानव भ्रूण-विकास की एक अत्यंत असामान्य घटना है। इसमें भ्रूण विकास के समय किसी अज्ञात वजह से एक भ्रूण दूसरे के अंदर विकसित होने लगता है, बिल्कुल एक परजीवी की भांति। अल्ट्रासाउन्ड से इसका पता मां के गर्भ में ही लगाया जा सकता है, हालांकि अधिकतर मामलों में इसका पता जन्म के बाद ही चलता है।

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5,00,000 में से एक गर्भावस्था में होने की संभावना

डा. संतोष कुमार ने बताया फीटस-इन-फीटू जैसे केस लगभग 5,00,000 से भी अधिक गर्भावस्थाओं में किसी एक को हो सकता है। आमतौर पर ये एक से दो वर्ष तक की आयु में शिशु के पेट के असामान्य तरीके से बढ़ने के कारण ही संज्ञान में आ जाते हैं।

हालांकि साधारणतया शिशु को जान का खतरा नहीं होता है, लेकिन इस वजह से अन्य गंभीर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। इस अवस्था का एकमात्र इलाज ऑपरेशन ही है। जिसे जल्दी से जल्दी करवा लेना चाहिए। अनुभवी हाथों में ऑपरेशन सुरक्षित व सफल है।

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