UCC कानून लागू होने पर बहु विवाह पर लगेगी रोक, केवल एक पति-पत्नी का प्रविधान; शादी के लिए पंजीकरण अनिवार्य
Uttarakhand UCC Law समान नागरिक संहिता कानून लागू होने के बाद बहु विवाह बाल विवाह पर रोक लग जाएगी और सभी धर्मों वर्गों में एक पति-पत्नी का प्रविधान लागू होगा। सरकार की ओर से विधानसभा में प्रस्तुत किए गए समान नागरिक संहिता विधेयक के पहले खंड विवाह और विवाह-विच्छेद में इस संबंध में विस्तृत रूप से उल्लेख किया गया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। समान नागरिक संहिता कानून लागू होने के बाद बहु विवाह, बाल विवाह पर रोक लग जाएगी और सभी धर्मों, वर्गों में एक पति-पत्नी का प्रविधान लागू होगा। सरकार की ओर से विधानसभा में प्रस्तुत किए गए समान नागरिक संहिता विधेयक के पहले खंड विवाह और विवाह-विच्छेद में इस संबंध में विस्तृत रूप से उल्लेख किया गया है।
विधेयक में सभी धर्मों, वर्गों में विवाह के लिए लड़की की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़के की आयु 21 वर्ष निर्धारित की गई है। अभी तक मुस्लिम वर्ग के अतिरिक्त सभी में विवाह के लिए यह आयु सीमा निर्धारित है। अब यह सभी के लिए समान होगी।
विवाह के लिए पंजीकरण होगा अनिवार्य
विधेयक के अनुसार विवाह में किसी भी धर्म व वर्ग के रीति-रिवाज बदस्तूर जारी रहेंगे, लेकिन विवाह के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा। इसकी समय सीमा नियत की गई है। इन मामलों में नियत प्रविधानों का उल्लंघन करने पर सजा और जुर्माना दोनों का ही प्रविधान किया गया है।विवाह के लिए पंजीकरण की कट आफ डेट भी निर्धारित की गई है। विधेयक में प्रविधान किया गया है कि 26 मार्च 2010 व इस संहिता के प्रारंभ होने की तिथि के मध्य हुए विवाह का भी पंजीकरण होगा। नए पंजीकरण विवाह होने के छह माह के भीतर कराए जा सकेंगे। विवाह पंजीकरण से संबंधित आवेदन में मिथ्या कथन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना व तीन माह के कारावास का प्रविधान रखा गया है। यही नहीं, किसी भी पक्षकार की ओर से जानबूझकर चूक या उपेक्षा पर 10 हजार या इससे ज्यादा का जुर्माना लगेगा।
विवाह पंजीकरण व विवाह विच्छेद के मामलों के दृष्टिगत सरकार महानिबंधक, निबंधक व उप निबंधक की नियुक्ति कर इन पर सक्षम अधिकारी तैनात करेगी। इसके साथ ही शून्यकरणीय विवाह, विवाह-विच्छेद, पारस्परिक सम्मति से विवाह-विच्छेद आदि के लिए भी मानक तय किए गए हैं। किसी विवाह के शून्य घोषित होने पर ऐसे विवाह से जन्मे बच्चे को वैध माना जाएगा और उसे सभी अधिकार प्राप्त होंगे।
विवाह के एक वर्ष भीतर विच्छेद की याचिका पर रोक
विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि सभी धर्मों, वर्गों में विवाह विच्छेद केवल विधिक प्रक्रिया से ही होगा। यदि कोई ऐसा नहीं करता है तो वह दंडनीय अपराध की श्रेणी में आएगा। यह भी कहा गया है कि विवाह के एक वर्ष के भीतर विवाह-विच्छेद के लिए याचिका दायर करने पर प्रतिबंध रहेगा। यद्यपि, याचिकाकर्ता के लिए असाधारण कष्ट या दुराचारता जैसे मामलों में न्यायालय इसकी अनुमति दे सकता है। विवाह विच्छेद के मामलों में दोनों ही पक्ष भरण-पोषण के हकदार भी होंगे।
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- विवाह के लिए पंजीकरण न कराने की स्थिति में 25 हजार रुपये इससे अधिक का जुर्माना।
- आयु सीमा के मानक का उल्लंघन करने पर छह माह का कारावास व 50 हजार रुपये का जुर्माना और जुर्माना न देने पर एक माह का अतिरिक्त कारावास।
- विवाह विच्छेद पर प्रतिबंध से संबंधित कानून के उल्लंघन पर तीन वर्ष के कारावास व जुर्माना। विवाह व विवाह विच्छेद से जुड़े अन्य मामलों में भी इसी तरह के प्रविधान किए गए हैं।