Move to Jagran APP

हाईकोर्ट ने अवैध हॉस्टल पर प्रशासन और एमडीडीए से रिपोर्ट तलब की

हाईकोर्ट ने प्रेमनगर क्षेत्र के केहरी गांव में सील किए गए हॉस्टल के मामले में अचीवर हॉस्टल की याचिका पर सुनवाई करते हुए तीन सप्ताह में रिपोर्ट तलब की है।

By Edited By: Updated: Fri, 13 Sep 2019 11:56 AM (IST)
Hero Image
हाईकोर्ट ने अवैध हॉस्टल पर प्रशासन और एमडीडीए से रिपोर्ट तलब की
देहरादून, जेएनएन। प्रेमनगर क्षेत्र के केहरी गांव में सील किए गए हॉस्टल के मामले में हाईकोर्ट ने अचीवर हॉस्टल की याचिका पर सुनवाई करते हुए तीन सप्ताह में रिपोर्ट तलब की है। यह रिपोर्ट जिला प्रशासन समेत एमडीडीए, कैंट बोर्ड व नगर निगम से मांगी है। ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि सील किए गए हॉस्टल किसकी सीमा में आते हैं।

कुछ समय पहले देहरादून कैंट बोर्ड ने केहरी गांव में तीन हॉस्टलों को सील कर दिया था। इसके बाद हॉस्टल संचालक इस मांग को उठाने लगे कि वह कैंट बोर्ड की जगह नगर निगम का हिस्सा हैं। लिहाजा, उनके हॉस्टल पर कैंट बोर्ड कार्रवाई नहीं कर सकता। इसी बीच जिलाधिकारी ने कैंट बोर्ड को इस आशय का पत्र लिखा कि हॉस्टल की सीलिंग खोलने को लेकर सहानुभूति से विचार किया जाए। इसी बात को आधार बनाकर अचीवर हॉस्टल संचालन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। प्रकरण में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सीमा की स्थिति को स्पष्ट करने के लिए तीन सप्ताह में रिपार्ट मांगी है।

कैंट बोर्ड क्षेत्र का सर्वे हुआ, नक्शा बनना बाकी

अवैध निर्माण को लेकर कुछ इसी तरह का सीमा विवाद वर्ष 2016 में राष्ट्रपति शासन के दौरान उपजा था। क्योंकि यह बात आ रही थी कि संबंधित क्षेत्र एमडीडीए के अधीन है या कैंट बोर्ड के। तब सर्वे ऑफ इंडिया, एमडीडीए, रक्षा संपदा मेरठ, राजस्व विभाग व कैंट बोर्ड की संयुक्त टीम ने सर्वे कर कैंट बोर्ड की सीमा को स्पष्ट किया था। उसी दौरान सीमा क्षेत्र में जीपीएस पिलर भी स्थापित कर दिए गए थे। सर्वे के आधार पर अवैध निर्माण पर एमडीडीए की जगह कैंट बोर्ड ने कार्रवाई शुरू की थी। अब कैंट बोर्ड ने उसी सर्वे के आधार पर अवैध रूप से बने तीन हॉस्टल को सील किया है। हालांकि, सर्वे ऑफ इंडिया के स्तर से सीमा क्षेत्र का नक्शा नहीं बनाया जा सका था। यदि नक्शा तैयार कर लिया जाता तो यह विवाद भी न पैदा होता।

यह भी पढ़ें: उत्‍तराखंड की जमीनों का होगा हवाई सर्वे, इसकी शुरुआत होगी अल्मोड़ा व पौड़ी से

सीमा विवाद में सिर्फ नगर निगम, एमडीडीए का जिक्र नहीं

सीमा विवाद को लेकर कैंट बोर्ड से लेकर प्रशासन तक के अधिकारी जमकर खेल कर रहे हैं। किसी तरह हॉस्टलों को कैंट बोर्ड की सीमा से बाहर दिखाकर नगर निगम का हिस्सा बनाने की जुगत की जा रही है। मगर, इस तरफ कोई भी बोलने को तैयार नहीं कि कैंट बोर्ड से बाहर एमडीडीए की सीमा लगती है। क्योंकि अवैध निर्माण पर एमडीडीए ही कार्रवाई करता है, न कि नगर निगम। यदि यह माना जा रहा है कि सीमा कैंट बोर्ड की नहीं है तो क्यों अब तक एमडीडीए को प्रकरण नहीं भेजा गया। इसके पीछे की मंशा भी साफ है कि एमडीडीए पहले ही हाईकोर्ट के आदेश पर अवैध हॉस्टलों को सील कर रहा है। अब तक 22 से अधिक हॉस्टल सील भी किए जा चुके हैं। इस पूरे क्षेत्र में 30 फीट तक ही चौड़ी सड़क है और बिल्डिंग बायलॉज के अनुसार इतनी सड़क पर एमडीडीए बहुमंजिला हॉस्टल के नक्शे पास ही नहीं करता है।

यह भी पढ़ें: 91 में से महज छह संस्थान ने भेजा टैक्स नोटिस का जवाब

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।