उत्तराखंड में अब तक हटाए 2279 अतिक्रमण, वन भूमि पर बनीं श्रमिकों की झुग्गियों पर भी होगी कार्रवाई
वन भूमि से अतिक्रमण हटाने को लेकर वन विभाग की कार्रवाई जारी है। अवैध रूप से बने धर्मस्थलों को चिह्नित कर हटाया जा रहा है। सरकारी जमीनों से अतिक्रमण हटाने के अभियान के तहत अब तक प्रदेश भर से 2279 अतिक्रमण हटाए गए हैं।
By Soban singhEdited By: Nirmala BohraUpdated: Tue, 16 May 2023 08:02 AM (IST)
टीम जागरण, देहरादून: सरकारी जमीनों से अतिक्रमण हटाने के अभियान के तहत अब तक प्रदेश भर से 2279 अतिक्रमण हटाए गए हैं। प्रदेश के नोडल अधिकारी अपर पुलिस महानिदेशक डा. वी मुरुगेशन ने बताया कि सबसे ज्यादा अतिक्रमण देहरादून जिले में हटाए गए हैं। यहां 1415 अतिक्रमण हटाकर सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त किया गया है। इसके अलावा हरिद्वार में 259, पौड़ी में सात, टिहरी में 106, चमोली में 47, ऊधमसिंहनगर में 416, नैनीताल में 19, अल्मोड़ा में चार, पिथौरागढ़ में पांच और बागेश्वर में एक अतिक्रमण हटाए गए हैं।
उन्होंने बताया कि जिलों से यह 14 मई तक की रिपोर्ट भेजी है। इसे शासन को भी भेज दिया गया है। अवैध कब्जों की जानकारी लेने के लिए पुलिस के खूफिया तंत्र को भी सक्रिय किया गया है, इसके अलावा जिला प्रभारियों को दिशा निर्देश जारी किए गए हैं कि वह भी टास्क फोर्स का पूर्ण सहयोग करें।
वन भूमि पर बनीं श्रमिकों की झुग्गियों पर भी होगी कार्रवाई
वन भूमि से अतिक्रमण हटाने को लेकर वन विभाग की कार्रवाई जारी है। अवैध रूप से बने धर्मस्थलों को चिह्नित कर हटाया जा रहा है। अब वन विभाग ने नदियों में खनन कर रहे श्रमिकों को भी वन क्षेत्र से बाहर करने का निर्णय लिया है। वन भूमि में बनी श्रमिकों की झुग्गियों को भी हटाया जाएगा।साथ ही जंगल में जलाशय व पोखर के आसपास किए गए अतिक्रमण भी ध्वस्त किए जाएंगे। उत्तराखंड में वन क्षेत्रों में तमाम तरह के अतिक्रमण किए गए हैं। जिन्हें हटाने को लेकर मुख्यमंत्री के निर्देश पर वन विभाग सक्रिय है। लगातार अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाया जा रहा है।अवैध धर्मस्थलों के विरुद्ध चलाए गए अभियान के तहत अब तक 350 मजार और 35 मंदिर हटाए जा चुके हैं। कई अन्य को अभी नोटिस भी दिए गए हैं। मुख्य वन संरक्षक पराग मधुकर धकाते ने बताया कि प्रदेश में नदी क्षेत्रों को भी अतिक्रमणमुक्त कराया जाएगा। इसके तहत जलस्रोत, झील, तालाब समेत आसपास के क्षेत्रों में वन भूमि से कब्जे हटाए जाएंगे। इसके लिए स्थानीय प्रशासन और पुलिस की भी मदद ली जाएगी।
इसके साथ ही कार्रवाई का समय और अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की गई है। बताया कि वन संरक्षण अधिनियम के तहत वन क्षेत्र में रात को रुकने की अनुमति नहीं है। ऐसे में नदी में खनन करने वाले मजदूर झुग्गी बनाकर वहां नहीं रुक सकते। उन्हें खनन कार्य होने के बाद शाम को अपने स्थायी ठिकानों पर लौटने की चेतावनी दी गई है। इसके साथ ही अस्थायी झुग्गियों को भी ध्वस्त करने की तैयारी है।
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