उत्तराखंड में वनों को आग से बचाने वाली वन पंचायतों को प्रोत्साहन राशि
जंगल की आग की रोकथाम के लिए वन विभाग ने प्रदेश की 12089 वन पंचायतों का सक्रिय सहयोग लेने का निर्णय लिया है। वे अपने अधीन वनों को तो आग से बचाएंगी। इसके लिए वन पंचायतों को कुछ प्रोत्साहन राशि देने देने का निश्चय किया गया है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 23 Feb 2022 10:18 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में जंगलों को आग से बचाने के लिए वन विभाग इस बार वन पंचायतों का सक्रिय सहयोग लेगा। राज्य में इनकी संख्या 12168 है, जिनसे 109512 सदस्य जुड़े हैं। वन पंचायतें अपने अधीन वन क्षेत्र की तो आग से सुरक्षा करेंगी ही, आसपास के आरक्षित वन क्षेत्र में भी सहयोग देंगी। इसके एवज में वन विभाग की ओर से वन पंचायतों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इस संबंध में बजट के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसे जल्द शासन को भेजा जाएगा।
जंगलों की आग पर रोकथाम के मामले में वन विभाग की ओर से अक्सर मानव संसाधन की कमी का रोना रोया जाता है। वह भी तब, जबकि राज्य में वन पंचायतों के सदस्यों के रूप में एक लाख से अधिक व्यक्तियों की फौज भी है। असल में वन पंचायतों की व्यवस्था उत्तराखंड में आजादी से पहले से चली आ रही है। ऐसी व्यवस्था वाला उत्तराखंड देश का अकेला प्रदेश है।विषम भूगोल वाले इस राज्य के पर्वतीय क्षेत्र में पंचायती वनों के प्रबंधन एवं संरक्षण के लिए वर्ष 1932 में वन पंचायतों के गठन की शुरुआत हुई। तब से अब तक राज्य के 11 जिलों में 12168 वन पंचायतें अस्तित्व में आ चुकी हैं। इनके जिम्मे 7350.85 वर्ग किमी क्षेत्र में पसरे जंगलों के संरक्षण की जिम्मेदारी है। वे अपने अधीन वनों के संरक्षण-संवद्र्धन की इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा भी रही हैं। वन पंचायत में सरपंच समेत कुल नौ सदस्य होते हैं।
ग्रामीणों के सहयोग से अपने अधीन वनों की आग से सुरक्षा करने में वन पंचायतें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इसे देखते हुए विभाग ने इस बार वन पंचायतों का सक्रिय सहयोग लेने की ठानी है। मुख्य वन संरक्षक वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन निशांत वर्मा के अनुसार पंचायती वनों के साथ ही नजदीकी आरक्षित वन क्षेत्र की आग से सुरक्षा के लिए वन पंचायतों को आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही उन्हें प्रोत्साहन राशि देने का भी प्रस्ताव है, जिसका ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है।
प्रदेश में वन पंचायतें
- जिला------संख्या
- पौड़ी------2450
- अल्मोड़ा---2324
- पिथौरागढ़---1621
- चमोली------1509
- टिहरी------1290
- बागेश्वर-----822
- चम्पावत----652
- रुद्रप्रयाग----509
- नैनीताल----413
- उत्तरकाशी--406
- देहरादून----172
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