Move to Jagran APP

Indian Army Identity Disc: सेना में क्‍यों जरूरी है धर्म की जानकारी, पहचान डिस्क से समझिए पूरी कहानी

Indian Army Identity Disc आपके मन में सवाल उठता होगा कि सेना में धर्म की जानकारी क्‍यों जरूरी होती है। हम आपको बताते हैं। हर फौजी को पहचान डिस्क दी जाती है। उसमें आर्मी नंबर धर्म ब्‍लड ग्रुप लिखा होता है। बलिदान होने पर सैनिक की पहचान इससे होती है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 04 Aug 2022 05:25 PM (IST)
Hero Image
Indian Army Identity Disc: सभी सैनिकों को धर्म के अनुसार पहचान डिस्क (Identity Disc) जारी होती है।
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। Indian Army Identity Disc भारतीय सेना (Indian Army) का अपना गौरवमयी इतिहास है। सेना में अनुशासन से लेकर सेना की पद्धति के एक-एक नियम के खास मायने होते हैं। भारतीय सेना में भर्ती होने वाले सैनिक की जाति (Caste) और धर्म (Religion) प्रमाण पत्र की व्यवस्था आजादी से पहले से चली आ रही है।

धर्म के अनुसार जारी होती है पहचान डिस्क

इसके पीछे भी सर्वधर्म सम्मान का उद्देश्य है। जिससे सेना में सेवारत रहने के दौरान सैनिकों को अपने धर्म के अनुसार त्योहार, पर्व, उत्सव मनाने और पूजा, प्रार्थना, इबादत करने की आजादी हो। यही नहीं जब प्रशिक्षण और तैनाती के दौरान सैनिक अपना बलिदान देता हैं तो उस सैनिक का अंतिम संस्कार उसके धर्म की परंपराओं के अनुसार हो सके।

  • सभी सैनिकों को धर्म के अनुसार पहचान डिस्क (Identity Disc) जारी होती है। जिसमें आर्मी नंबर, धर्म और ब्लड ग्रुप की जानकारी उकेरी होते है।

सेना में सर्वधर्म सम्मान की सबसे बेहतरीन परंपरा

कीर्ति चक्र, विशिष्ठ सेवा पदक, शौर्य चक्र प्राप्त कर्नल (सेनि) अजय कोठियाल ने कहा कि सेना में सर्वधर्म सम्मान की सबसे बेहतरीन परंपरा है। सेना में जाति प्रमाण पत्र आजादी से पहले से मांगा जाता आया है। जाति प्रमाण पत्र (Caste Certificate) में धर्म का उल्लेख होता है।

  • जो जाति प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं करा पाते हैं उनके लिए धर्म संबंधित प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है। इसके पीछे सर्व धर्म सम्मान का महत्वपूर्ण उद्देश्य है।

पहचान डिस्‍क में होती है ये जानकारी

कर्नल (सेनि) अजय कोठियाल कहते हैं कि जाति व धर्म के प्रमाण पत्र के आधार पर ही सेना सैनिकों को पहचान डिस्क (Identity Disc) आवंटित करती है। इस पहचान डिस्क में राष्ट्रपति की ओर से दिया गया आर्मी नंबर, धर्म के शब्द का पहला अक्षर होता है।

  • जैसे हिंदू धर्म में 'H', मुस्लिम धर्म में 'M', सिख धर्म 'S' और ईसाई धर्म में 'Chr' और ब्लड ग्रुप उकेरा रहता है। जिससे यह आसानी से मिटे ना।

राउंड और ओवल होते हैं पहचान डिस्क

हर सैनिक को प्रशिक्षण और सेना में सेवारत रहने के दौरान सेना की ओर से जारी राउंड और ओवल पहचान डिस्क पहनी जरूरी होती हैं। राउंड पहचान डिस्क को गले में पहना जाता है और ओवल पहचान डिस्क को बाएं हाथ में पहनते हैं। दो पहचान डिस्क में एक जैसी जानकारी होती है। जिससे घायल होने पर सैनिक को तत्काल ब्लड दिया जा सके।

  • बलिदान होने पर सैनिक का उसके धर्म के अनुसार अन्तिम संस्कार करा जा सके।

पलटन में रीति के हिसाब से होता धर्म का पालन

कर्नल (सेनि) अजय कोठियाल ने कहा कि सेना धर्म निरपेक्ष होती है, लेकिन, अपने सिपाही का हर परिस्थिति में उसके धर्म के अनुसार उसका ख़्याल रखती है। जैसे, सेना की पलटन में रीति के हिसाब से धर्म का पालन कराया जाता है।

करीब 850 की नफरी वाली सेना की एक पलटन में यदि निर्धारित संख्या के एक धर्म के लोग हो (हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई) तो परंपरा के हिसाब से पूजा त्योहार इत्यादि मनाने के लिए उस धर्म के गुरु (पंडित, मौलवी, ग्रंथी, पादरी) तैनात किए जाते हैं।

बलिदान होने पर धर्म के अनुसार होता अंतिम संस्कार

कर्नल (सेनि) अजय कोठियाल ने कहा कि सेना में धर्म के अनुसार भोजन की भी व्यवस्था होती हैं। सेना में Aultitude के अनुसार हर सिपाही का scale लागू है, इसे Scale of Ration कहते है। सिपाही अपने धर्म के अनुसार किस प्रकार का भोजन खाता है। इसलिए सेना में धर्म जानना जरूरी है। युद्ध में बलिदान होने पर सेना उस सिपाही का पूरे सम्मान के साथ से उस के धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार करती है।

जानिए भारतीय सैन्‍य अकादमी का इतिहास, जहां तैयार किए जाते हैं युवा सैन्‍य अफसर

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।