World Biofuel Day: जैव ईंधन में आइआइपी ने बढ़ाया एक और कदम
World Biofuel Day भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के प्रयास इसी तरह आगे बढ़ते रहे तो हमारा देश भी जल्द बायोजेट फ्यूल की दिशा में आत्मनिर्भर बन जाएगा।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 10 Aug 2020 09:08 PM (IST)
देहरादून, सुमन सेमवाल। World Biofuel Day भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) के प्रयास इसी तरह आगे बढ़ते रहे तो हमारा देश भी जल्द बायोजेट फ्यूल की दिशा में आत्मनिर्भर बन जाएगा। संस्थान में तैयार किए गए बायोफ्यूल (जैव ईंधन) से 27 अगस्त 2018 को जब देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट से स्पाइस जेट के विमान ने दिल्ली तक उड़ान भरी तो यह तारीख इतिहास में दर्ज हो गई थी। अब संस्थान की मेहनत के बूते देश में कमर्शियल बायोफ्यूल प्लांट भी स्थापित किया जाएगा। केंद्र सरकार ने इस प्लांट को मंजूरी प्रदान कर दी है।
भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के निदेशक डॉ. अंजन रे ने बताया प्लांट का डिजाइन तैयार करने का जिम्मा इंजीनियरिंग इंडिया लि. (ईआइएल) को दिया गया है। कच्चे तेल के प्रोसेसिंग के आधार पर 110 टन और 45 टन प्रतिदिन क्षमता के दो प्लांट के विकल्प पर काम किया जाएगा। प्लांट की क्षमता का अंतिम निर्णय निवेश की स्थिति के अनुरूप लिया जाएगा। प्लांट लगाने के लिए ऐसे स्थान की तलाश की जा रही है, जहां कच्चा तेल तैयार करने के संसाधन सुलभ हों। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का प्लांट वहीं लगाया जा सकता है, जहां अधिक मात्रा में वेस्ट कुकिंग ऑयल, वेस्ट पाम ऑयल या तेल की प्रचूर मात्रा वाली वनस्पतियां मिल सके।
15 फीसद तक कम होगा कार्बन उत्सर्जन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में पेरिस समझौते में विश्व को भरोसा दिलाया था कि वर्ष 2030 तक कार्बन सिंक की क्षमता 2.5 से 3 बिलियन टन तक बढ़ाई जाएगी। वर्तमान में हमारे वनों की जो क्षमता है या उसमें विस्तार हो रहा है, बावजूद इसके लक्ष्य से 0.6 से 1.1 बिलियन टन तक पीछे रहने का अनुमान है। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए बयोफ्यूल की दिशा में गंभीरता से काम कर रही है। इसके नियमित प्रयोग के बाद कार्बन उत्सर्जन में 15 फीसद कमी की उम्मीद भी की जा रही है।
उत्पादन का अनुमान
- 110 टन क्षमता: कच्चे तेल की प्रोसेसिंग के बाद 27,500 से 36,666 लीटर तक उत्पादन।
- 45 टन क्षमता: कच्चे तेल की प्रोसेसिंग के बाद 11,250 से 15,000 लीटर तक उत्पादन।
वायु सेना को मिलेगा 8700 लीटर बायोफ्यूलआइआइपी के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. अनिल सिन्हा ने बताया कि वायु सेना ने अपने फाइटर प्लेन में 10 फीसद बायोफ्यूल (सामान्य जेट में 25 फीसद तक) मिलाने का लक्ष्य रखा है। इसे देखते हुए आरंभिक स्थिति में सालभर के भीतर सेना को 8700 लीटर बायोफ्यूल की आपूर्ति शुरू की जाएगी। वायु सेना व सीएसआइआर (काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) के 11 करोड़ रुपये के वित्तीय सहयोग से प्रतिदिन करीब 2500 लीटर क्षमता का प्लांट भी संस्थान में लगाया गया है। अभी तक सेना को 6000 लीटर बायोफ्यूल उपलब्ध कराया जा चुका है।
सामान्य ईंधन के करीब लाई जाएगी लागतअभी जो बायोफ्यूल तैयार हो रहा है, उसकी लागत करीब 120 रुपये प्रति लीटर आ रही है, जबकि इसे 70 रुपये लीटर के आसपास लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि बड़ा प्लांट स्थापित होने के बाद इस लक्ष्य को पाना आसान होगा। यह भी पढ़ें: इस्तेमाल खाद्य तेल से आइआइपी में बायोफ्यूल बनना हुआ शुरू
अमेरिका से बेहतर हमारा बायोफ्यूलआइआइपी की तकनीक से तैयार बायोफ्यूल अमेरिका में बन रहे बायोफ्यूल से बेहतर है। आइआइपी के विज्ञानी डॉ. अनिल सिन्हा का कहना है कि अमेरिका में डबल प्रोसेसिंग से ईंधन तैयार हो रहा है, जबकि उनके संस्थान में सिंगल प्रोसेसिंग से ईंधन तैयार किया जा रहा है।यह भी पढ़ें: इस्तेमाल किए गए खाद्य तेल से तैयार किया 640 लीटर डीजल, पढ़िए पूरी खबर
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