उत्तराखंड में देश के पहले हेलीकॉप्टर समिट का आयोजन, पढ़िए पूरी खबर
देहारदून में देश के पहले हेलीकॉप्टर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य में हेली सेवाओं के विस्तार की अपार संभावनाए हैं।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sat, 07 Sep 2019 08:19 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में देश के पहले हेलीकॉप्टर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य में हेली सेवाओं के विस्तार की अपार संभावनाए हैं। इसलिए यहां हर साल हेलीकॉप्टर सम्मेलन का आयोजन होगा। उड़ान योजना में चिह्नित स्थानों के लिए हेली सेवाएं देने पर राज्य सरकार केंद्र से मिलने वाली सब्सिडी के अतिरिक्त भी सब्सिडी देगी।
सहस्त्रधारा हेली ड्रोम में हेलीकॉप्टर समिट-2019 का मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उद्घाटन किया। ये आयोजन नागरिक उड्डयन मंत्रालय, केंद्र सरकार, राज्य सरकार और फिक्की के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया। इस तरह का हेलीकाप्टर समिट भारत में पहली बार आयोजित किया गया है। इस सम्मेलन की थीम 'हेलीकाप्टर के माध्यम से कनेक्टिविटी में विस्तार' थी।शूटिंग के लिए पसंदीदा गंतव्य बना उत्तराखंड
सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीएम रावत ने कहा कि उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यहां हेली सेवाएं बहुत जरूरी हैं। सीमांत क्षेत्रों तक सड़क मार्ग से जाने में 20 घंटे तक लग जाते हैं, जबकि हेलीकाप्टर से सिर्फ डेढ़ घंटे में पहुंचा जा सकता है। उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों की प्राकृतिक सुदंरता का कोई मुकाबला नहीं है। उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन के साथ ही खर्चीले पर्यटकों की संख्या में काफी वृद्धि हो रही है। हमारे प्रयासों से पिछले कुछ समय में फिल्म शूटिंग के लिए भी उत्तराखंड पंसदीदा गंतव्य बनता जा रहा है।
हेली सेवाओं की है बेहद जरूरत
सीएम ने बताया कि इन्वेस्टर्स समिट के समय मुम्बई में फिल्मकारों के साथ बैठक की गई थी। फिल्म निर्माता महेश भट्ट पहले रोमानिया में अपनी फिल्म की शूटिंग करना चाहते थे। हमने उन्हें उत्तराखंड आमंत्रित किया। वे यहां के बहुत से दूरस्थ क्षेत्रों तक घूम कर आए। वे यहां की प्राकृतिक सुंदरता से बहुत प्रभावित हुए। आतिथ्य उत्तराखंड के स्वभाव में है। देश-विदेश से बहुत से लोग, यहां के दूरस्थ क्षेत्रों तक जाना चाहते हैं। लेकिन उनके पास समय की कमी होती है। इसलिए यहां हेली सेवाओं की बहुत जरूरत है।
आपदा में हेली एंबुलेंस जरूरी
सीएम ने कहा कि उत्तराखंड दैवीय आपदा की दृष्टि से भी संवेदनशील राज्य है। आपदा प्रभावितों को बचाने और राहत पहुंचाने में हेली सेवाएं बहुत ही उपयोगी हैं। हम राज्य में हेली एंबुलेंस की सेवा देना चाहते हैं। दूरस्थ क्षेत्रों में गंभीर रूप से बीमार लोगों को हायर सेंटर कम समय में पहुंचाने के लिए भी हेली एम्बुलेंस जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में साल में औसतन दो लाख लोग हेली सेवाएं ले रहे हैं। हमारे यहां 51 हेलीपेड, दो एयरपोर्ट और एक एयरस्ट्रिप है। इसी तरह टिहरी में एक वाटर ड्रोम विकसित किया जा रहा है।
सम्मेलन में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि केदारनाथ आपदा और हाल ही में आराकोट आपदा में बचाव-रहत के काम में हेली सेवाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने कहा कि राज्य के छोटे-छोटे स्थानों को कनेक्टिविटी देने के लिए हेलीसेवा को बढ़ावा देना होगा। उत्तराखंड पिछले कुछ सालों में औद्योगिक वृद्धि करने वाले अग्रणी राज्यों में है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से निकटता, जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट, औद्योगिक वातावरण, प्रशिक्षित मानव संसाधन, जलवायु, स्वच्छ वातावरण, उच्च स्तरीय स्कूल, प्रभावी सिंगल विंडो सिस्टम, एमआरओ सुविधाओं की उपलब्धता बहुत से ऐसी वजह हैं, जिनसे हेली विनिर्माता कम्पनियां उत्तराखंड आ सकती हैं।
वहीं, नागर विमानन मंत्रालय के सचिव प्रदीप सिंह खरोला ने कहा, पर्वतीय क्षेत्रों में यातायात का सबसे ज्यादा प्राथमिकता वाला साधन हेलीकॉप्टर हो सकते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में एयरपोर्ट की बजाय हेलीपोर्ट विकसित किए जा सकते हैं। अगर राज्य सरकार भूमि उपलब्ध कराती है तो केंद्र सरकार हेलीपोर्ट विकसित कर सकती है। उन्होंने ये भी कहा कि केंद्र सरकार पहली बार हेलीकॉप्टर समिट का आयोजन कर रही है। उन्होंने ऐसे अद्वितीय आयोजन के लिए मुख्यमंत्री और राज्य सरकार को बधाई दी। यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में लोकगाथाएं बनेंगी प्रकृति प्रेम की संवाहक, जानिए क्या है वन महकमे की तैयारीबता दें पिछले पांच सालों से सिविल एविएशन में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है। वर्तमान में भारतीय आसमान में 600 से ज्यादा विमान उड़ रहे हैं। हेलीकॉप्टर सेवाओं में भी काफी सम्भावनाएं हैं। चार बातों पर फोकस करना बेहद जरूरी है। पहला, पर्वतीय क्षेत्रों में हेली सेवाएं बढ़ाने के लिए नियमों में क्या संशोधन करने की आवश्यकता है। दूसरा, एटीएफ टैक्स आदि में छूट सहित अन्य किस प्रकार के प्रोत्साहन दिए जाने की जरूरत है। उड़ान योजना में एटीएफ टैक्स केवल एक प्रतिशत है। तीसरा, सुरक्षा प्रबंधन और चौथा इन्फ्रास्ट्रक्चर। यह भी पढ़ें: पारिस्थितिकी को केंद्र में रख बने हिमालयी विकास का रोडमैप, पढ़िए पूरी खबर
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