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नवाचारी अधिकारी: अधिशासी निदेशक की कड़ी मेहनत और नवाचार ने बदली शुगर मिल की तस्वीर

Uttarakhand News - देहरादून के डोईवाला शुगर मिल के अधिशासी निदेशक दिनेश प्रताप सिंह ने अपने नेतृत्व में मिल की काया पलट दी है। उनके कार्यकाल में मिल का घाटा 16.59 करोड़ रुपये से घटकर 11.55 करोड़ रुपये पर आ गया। उन्होंने लंबित गन्ना समितियों का 5.16 करोड़ रुपये का भुगतान किया और मिल की उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि की।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Thu, 17 Oct 2024 06:59 PM (IST)
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डोईवाला शुगर मिल का प्रवेश द्वार व अधिशासी निदेशक दिनेश प्रताप सिंह की फाइल फोटो।
महेंद्र चौहान, देहरादून। अपने ज्ञान, अनुभव एवं नवाचार से यदि कोई अधिकारी किसी मुकाम को हासिल करना चाहे तो राह की बाधाएं खुद-ब-खुद दूर होती चली जाती हैं। इसकी बानगी हैं देहरादून की डोईवाला शुगर मिल के अधिशासी निदेशक दिनेश प्रताप सिंह, जिन्होंने अपने अल्प कार्यकाल में मिल की काया पलटकर रख दी है। 

वित्तीय वर्ष 2021-22 में जहां मिल का घाटा 16.59 करोड़ रुपये था, वहीं उनके अधिशासी निदेशक का कार्यभार संभालने के बाद महज डेढ़ साल की अवधि में वह पांच करोड़ रुपये घटकर 11.55 करोड़ रुपये पर आ गया। 

साथ ही पिछले कई वर्षों से लंबित हरिद्वार, देहरादून, डोईवाला, पांवटा आदि गन्ना समितियों का 5.16 करोड़ रुपये का भुगतान भी उन्होंने इस अवधि में किया। दिनेश प्रताप के प्रयासों से डोईवाला शुगर मिल अब नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रही है।

पदभार संभालते ही कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए

वरिष्ठ पीसीएस दिनेश प्रताप सिंह ने सितंबर 2022 में मिल के अधिशासी निदेशक का पदभार संभालते ही कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। सबसे पहले उन्होंने मिल के कर्मचारियों को अनुशासित करने का कार्य किया। इससे कर्मचारियों की कार्यप्रणाली में सुधार आया, जिन्होंने फिर भी अनुशासन तोड़ने की कोशिश की, उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया गया। 

यहां तक कि जिम्मेदारी का ठीक ढंग से निर्वहन न करने पर उन्होंने पेराई सीजन में ही मिल के चीफ इंजीनियर को भी पदमुक्त कर दिया। दिनेश प्रताप स्वयं भी पेराई सत्र शुरू होने से लेकर समाप्त होने तक रात-दिन की परवाह किए बगैर 18-18 घंटे मिल कर्मचारियों के बीच डटे रहे। नतीजा मिल ने पिछले 15 वर्षों का रिकार्ड तोड़ते हुए जहां सर्वाधिक गन्ने की पेराई की, वहीं चीनी की अच्छी रिकवरी के साथ रिकार्ड उत्पादन भी किया।

अधिशासी निदेशक के प्रयासों से ही अब गन्ना किसानों को पूरी रात लाइन में खड़ा नहीं रहना पड़ता। इस बार तो उन्हें पेराई सत्र चलने का आभास तक नहीं हुआ और पूरे सीजन अपनी सहूलियत के हिसाब से मिल को गन्ना उपलब्ध कराते रहे। यही नहीं, अब किसानों को भुगतान प्राप्त करने के लिए भी मिल के चक्कर नहीं लगाने पड़ते।

किसानों के साथ ही मजदूर, ट्रांसपोर्टर और गन्ना समितियों के कमीशन का भी पेराई सत्र में ही भुगतान कर अधिशासी निदेशक ने एक नई लकीर खींच दी है। जो मिल पहले अपने स्तर से मात्र 40 प्रतिशत गन्ने का भुगतान ही किसानों को कर पाती थी, उसने वित्तीय वर्ष 2022-23 में 45 प्रतिशत और वित्तीय वर्ष 2023-24 में 55 प्रतिशत का भुगतान किया। 

वित्तीय वर्ष 2023-24 में मिल प्रबंधन ने अपने स्तर पर 45.60 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों को किया। अधिशासी निदेशक ने कर्मचारी व किसानों के बीच मिल के जर्जर होने और अधिक पेराई न कर पाने के मिथक को तोड़ने का भी काम किया है। इसी का नतीजा है कि आज किसान और श्रमिक उनके मुरीद हैं।

15 वर्ष बाद हुई 31 लाख क्विंटल से अधिक गन्ने की पेराई

शुगर मिल ने वित्तीय वर्ष 2006-07 में सर्वाधिक 35.27 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई करते हुए 3.18 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया था। तब एक क्विंटल गन्ने से 8.81 किग्रा चीनी का उत्पादन हुआ था, जबकि शीरे का उत्पादन 1.74 लाख लीटर और बेगास का उत्पादन 11.80 लाख क्विंटल था।

दिनेश प्रताप सिंह के कार्यभार संभालने के बाद मिल ने 15 वर्ष बाद 31.29 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई कर 3.13 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया। इसमें एक क्विंटल गन्ने से 9.90 किग्रा चीनी का उत्पादन हुआ। इस दौरान मिल ने 3.13 लाख लीटर शीरे और 14.33 लाख क्विंटल बेगास का उत्पादन भी किया।

शुगर मिल के व्यवस्थित संचालन को लेकर काफी चुनौतियां थीं, जिनका हमने मुकाबला किया और इसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिले। मिल के संचालन में कर्मचारी व किसानों का सहयोग मिला तो मिल हित में जरूरी निर्णय लेने में उच्चाधिकारियों व सरकार का। नतीजा मिल अच्छे परिणाम देने में सफल रही है। आगे इससे भी बेहतर हो, इसके लिए प्रयास जारी हैं।

-दिनेश प्रताप सिंह, अधिशासी निदेशक, डोईवाला शुगर मिल

नादेही शुगर मिल की जिम्मेदारी भी मिली

वर्तमान में मिल पर वेतन, ग्रेच्युटी, कमीशन आदि मद में किसी भी प्रकार का कोई भुगतान लंबित नहीं है। वर्ष 1990 के आसपास अस्तित्व में आई यह शुगर मिल, जिसे लोग जर्जर व बूढ़ी हो चुकी मिल कहते थे, एक नए रूप और नई ऊर्जा से आगे बढ़ रही है। 

दिनेश प्रताप की कार्य कुशलता से प्रभावित होकर शासन ने उन्हें वित्तीय वर्ष 2023-24 में डोईवाला के साथ जसपुर (ऊधम सिंह नगर) की नादेही शुगर मिल का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा है। शासन ने उम्मीद जताई है कि वह डोईवाला के साथ ही नादेही मिल को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाने का कार्य करेंगे।

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