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शौचालय में डिलीवरी की जांच का शिगूफा, हालात सुधारने को उठाएंगे ये कदम

दून महिला अस्पताल में शौचालय में डिलीवरी के बाद नवजात की मौत के मामले में एक बार फिर जांच का शिगूफा छोड़ा गया है। वहीं, व्यवस्था सुधार के लिए भी कई कदम उठाए जाएंगे।

By BhanuEdited By: Updated: Tue, 13 Nov 2018 08:52 PM (IST)
शौचालय में डिलीवरी की जांच का शिगूफा, हालात सुधारने को उठाएंगे ये कदम
देहरादून, [जेएनएन]: दून महिला अस्पताल में शौचालय में डिलीवरी के बाद नवजात की मौत के मामले में एक बार फिर जांच का शिगूफा छोड़ा गया है। चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना ने इस मामले में प्राचार्य से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अधिकारी दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई का राग जरूर अलाप रहे हैं, पर इसके साथ ही नवजात की मौत के पीछे कई स्वास्थ्य कारण भी गिना दिए हैं। अस्पताल प्रशासन को इस मामले में क्लीन चिट दे दी गई। सुधार के नाम पर फिर वही बातें दोहराई जा रही हैं जिन पर पिछले दो-ढाई साल से कुछ नहीं हुआ। 

चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना ने महिला अस्पताल का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने अस्पताल की तमाम व्यवस्थाओं का जायजा लिया और मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रदीप भारती गुप्ता, महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. मीनाक्षी जोशी व विभागाध्यक्ष डॉ. चित्रा जोशी के साथ बैठक की। 

अस्पताल प्रशासन की ओर से निदेशक को बताया गया कि महिला को 35 सप्ताह का प्रसव था। अल्ट्रासाउंड में पाया गया कि गर्भस्थ शिशु के फेफड़े आदि सही ढंग से विकसित नहीं हो पाए है। इसी कारण गर्भवती को कुछ इंजेक्शन, दवाएं दी जानी थी। इस कारण उसे अस्पताल में भर्ती किया गया। प्रसव जैसे लक्षण महिला में दिखाई नहीं दे रहे थे। चिकित्सा शिक्षा निदेशक ने प्राचार्य से इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। साथ ही जिस भी स्तर पर गलती हुई है, दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं। 

यह दिए निर्देश 

-अस्पताल में सिंगल एंट्री प्वाइंट की व्यवस्था लागू करें। -अनावश्यक भीड़ को रोकने के लिए तीमारदारों के लिए पास सिस्टम शुरू करें। 

-अस्पताल परिसर में पब्लिक एनाउंसमेंट सिस्टम की व्यवस्था तुरंत शुरू की जाए। 

-दून अस्पताल व दून महिला अस्पताल के सभी विभागों में इंटरकॉम की व्यवस्था सुचारु की जाए। 

-साफ-सफाई, पेयजल, विद्युत आपूर्ति व अन्य जरूरी सुविधाओं के प्रति जबावदेही तय की जाए। 

पानी की आपूर्ति बहाल, हर तरफ सफाई 

जैसे ही अस्पताल प्रशासन को चिकित्सा शिक्षा निदेशक के दौरे की सूचना मिली इससे पहले व्यवस्थाओं को चुस्त दुरस्त कर दिया गया। न केवल पानी की व्यवस्था सुचारू थी, बल्कि अस्पताल परिसर साफ सुधरा दिखाई दिया। खुद पीड़िता के परिजनों ने बताया कि रविवार सुबह तक पूरे अस्पताल में कहीं भी पानी नहीं आ रहा था। लेबर रूम के बाहर गंदगी पड़ी हुई थी। पर सोमवार से सब बदल गया। 

जच्चा बच्चा मौत मामले में नहीं हुई कार्रवाई 

दून महिला अस्पताल में इंसानियत को शर्मसार करने वाली ये पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी 20 सितंबर को जच्चा-बच्चा की मौत के मामले की जाच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित की गई थी। अपर सचिव स्वास्थ्य व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक युगल किशोर पंत ने 21 सितंबर को दून महिला अस्पताल का निरीक्षण भी किया। 

इस मामले में किसी के खिलाफ भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसे में शौचालय में बच्चे को जन्म देने और नवजात की मौत के लिए जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी या मामला फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा, इस पर संशय बना हुआ है।

महिला चिकित्सालय का बोझ कम करेंगे अन्य अस्पताल

पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्र ही नहीं बल्कि शहर के अन्य अस्पतालों से भी मरीज दून व दून महिला अस्पताल रेफर किए जा रहे हैं। इन अस्पतालों में चिकित्सक व सुविधा होने के बाद भी यह चलन बन गया है। बात अगर, गर्भवती महिलाओं की करें तो इन्हें भी अक्सर इस तरह की ही समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। 

खासकर देर शाम या रात में आने वाले मामलों को लेकर अस्पताल (सीएचसी/पीएचसी) कन्नी काट रहे है। क्रिटिकल केस ही नहीं बल्कि सामान्य डिलिवरी में भी गर्भवती को दून महिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। ऐसे में अस्पताल पर बिना वजह लोड बढ़ रहा है। 

इसी समस्याओं को लेकर चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की स्वास्थ्य महानिदेशालय में बैठक हुई। बैठक में इस समस्या के समाधान पर चर्चा की गई। कहा गया कि अस्पताल अपनी जिम्मेदारी समझें। सुविधा होने पर गर्भवती को रेफर नहीं किया जाना चाहिए। 

बैठक में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. टीसी पंत, निदेशक स्वास्थ्य डॉ. अमिता उप्रेती, चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता, दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रदीप भारती गुप्ता, गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीएस रमोला, प्रेमनगर अस्पताल के सीएमएस डॉ. यूसी कंडवाल आदि उपस्थित रहे। बैठक में लिए गए निर्णय 

-यह सहमति बनी कि केवल गंभीर प्रकृति के ही मामले दून महिला अस्पताल को रेफर किए जाएं। सामान्य डिलिवरी अस्पताल अपने स्तर पर निपटाएं। 

- स्वास्थ्य महानिदेशक ने कहा कि आशा कार्यकर्ता व 108 सेवा को भी निर्देशित किया जाएगा कि गर्भवती को वह निकटतम अस्पताल में ही लेकर जाएं। इसके अलावा पुलिस को भी एक पत्र भेजा जाएगा। ताकि मेडिकोलीगल केस भी निकटतम अस्पताल की महिला डॉक्टर के मार्फत निपटाएं जाएं। 

-दून मेडिकल कॉलेज में एनेस्थेटिक, रेडियोलाजिस्ट, गाइनी आदि की कमी पूरा करने में स्वास्थ्य विभाग अपना पूरा सहयोग देगा। मंगलवार होने वाले साक्षात्कार में मेडिकल कॉलेज को प्राथमिकता में रखा जाएगा। इसके अलावा अन्य अस्पतालों से भी अन्यत्र व्यवस्था की जाएगी।

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