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सक्षम और निर्भय नारी से बदलेगी समाज की तस्वीर, शिक्षा के माध्यम से लाया जा सकता है नया बदलाव

पहाड़ में कामकाज के बोझ तले दबी महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाने को शिक्षा सबसे अहम कड़ी है। शिक्षा के माध्यम से जीवन में नया बदलाव लाया जा सकता है। सक्षम नारी निर्भय नारी से समाज की तस्वीर बदलेगी।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Mon, 08 Mar 2021 05:33 PM (IST)
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सक्षम और निर्भय नारी से बदलेगी समाज की तस्वीर।
चंदराम राजगुरु, चकराता। पहाड़ में कामकाज के बोझ तले दबी महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाने को शिक्षा सबसे अहम कड़ी है। शिक्षा के माध्यम से जीवन में नया बदलाव लाया जा सकता है। सक्षम नारी, निर्भय नारी से समाज की तस्वीर बदलेगी। इसी सोच के साथ डाकपत्थर महाविद्यालय की प्राध्यापिका डॉ. राजकुमारी चौहान शिक्षा के साथ समाज में महिला सशक्तीकरण की अलख जगा रहीं हैं। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मुहिम में भी उनके प्रयासों की लोग सराहना कर रहे हैं।

मूल रूप से रुद्रप्रयाग जनपद के प्रकंडी निवासी डॉ. राजकुमारी भंडारी चौहान ने वर्ष 2011 में जौनसार के कोरु खत से जुड़े बाढौ गांव निवासी भारत चौहान से विवाह कर दो संस्कृति को एक सूत्र में बांध दिया। वह वर्तमान में वीर शहीद केसरी चंद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय डाकपत्थर में राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्ष हैं। पिछले दस वर्षों से अध्यापन का कार्य कर रहीं डॉ. राजकुमारी शिक्षा के साथ समाज में महिला सशक्तीकरण की मुहिम को सफल बनाने में जुटी हैं।

शिक्षा व सामाजिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए टीचर ऑफ द ईयर अवार्ड 2020 से सम्मानित डॉ. राजकुमारी चौहान ने लॉकडाउन के समय महाविद्यालय के छात्र-छात्रओं को शिक्षा व्यवस्था से जोड़ने को अपने घर में रीडिंग रूम तैयार कर ऑनलाइन पढ़ाई का संचालन किया। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के विभिन्न महाविद्यालयों के विशेषकर एनसीसी, एनएसएस और रोवर्स रेंजर्स के छात्र-छात्रओं को वेबिनार के माध्यम से जागरूक करने का कार्य किया।

वर्ष 2019 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर स्मरणोत्सव कार्यक्रम के तहत उन्होंने महाविद्यालय में खेलकूद व कवि सम्मेलन का आयोजन सफलतापूर्वक किया। राजनीति विज्ञान में एमए गोल्ड मेडलिस्ट रही डॉ. राजकुमारी चौहान ने वर्ष 2006 में उत्तराखंड राज्य की महिलाओं पर एवं वर्ष 2013 में जौनपुर टिहरी गढ़वाल की महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पर शोध किया। उन्होंने वर्ष 2007 से वर्ष 2010 तक अपराजिता पत्रिका के अलावा कई अन्य पुस्तकें व 50 से अधिक शोध पत्र का प्रकाशन भी कीं। 

सक्षम नारी निर्भय नारी मुहिम के तहत वह शिविर, बैठकें, वेबीनार व सेमिनार का आयोजन कर महिलाओं में जागरूकता लाने का प्रयास कर रही हैं। नौ साल के बेटे, पति व परिवार की जिम्मेदारी के साथ ही वह अध्यापन और सामाजिक क्षेत्र में बेहतर भूमिका निभा रहीं हैं। डॉ. राजकुमारी चौहान ने कहा कि बदलते दौर में शिक्षा के माध्यम से महिलाओं के जीवन में नया बदलाव आ रहा है।

कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही महिलाएं 

लक्ष्मीपुर में नई दिशा जनहित ग्रामीण विकास समिति ने महिला दिवस की पूर्व संध्या पर ग्रामीण क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर रही महिलाओं को सम्मानित किया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व राज्य मंत्री संतोष कश्यप ने कहा कि महिलाएं आज स्वतंत्र हैं, वह पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं। महिलाओं के लिए सबसे अधिक जरूरी है कि वे अपनी बेटियों को खूब पढ़ाएं और उनके सपने साकार करें। उन्होंने राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित गीता मौर्य को पछवादून गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया।

शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने पर भवप्रीता, रुकसार, पुष्पा देवी, अरुणा चौहान, रूपा देवी, संजीदा बेगम, ज्योति, संगीता, लक्ष्मी देवी, राधिका, सीमा देवी, पिंकी देवी आदि को सम्मानित किया। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता नीरज कश्यप, समिति संस्थापक अमर सिंह कश्यप, मंजू, शाहिना, ज्योति, संगीता रानी, राधिका, वकीला, गुलफाम जान, रजनीश, मुकुल कश्यप, सुभाष चंद्र, सोनू आदि मौजूद रहे।

भौतिकता की दौड़ में संस्कृति को न भूलें

रविवार को डाकपत्थर स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में महिला दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में केंद्र संचालिका सविता दीदी ने कहा कि नारी इस संसार का आधार है, लेकिन भौतिकता की दौड़ में नारी अपनी संस्कृति के महत्व को भूलती जा रही है। भाजपा नेता नीरु देवी, ग्राम प्रधान डाकपत्थर मंजू मोघा के साथ कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए केंद्र संचालिका ने 'विश्व परिवर्तन में नारी की भूमिका' विषय पर चर्चा कीं। उन्होंने कहा कि बिना आध्यात्म के नारी जीवन में नैतिक गुण नहीं आ सकते। इसके आधार पर नारी की आदिकाल में दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी आदि रूपों में आराधना होती थी। कहा कि नारी और संस्कृति एक दूसरे के पूरक हैं। 

वर्तमान समय में नारी यदि पुन: आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर हो तो वह अपने जीवन में दैवीय शक्तियों को उजागर कर एक श्रेष्ठ समाज का निर्माण कर सकती है। कार्यक्रम में ग्राम प्रधान डाकपत्थर मंजू ने कहा कि इतिहास भी महिलाओं की वीर गाथाओं से भरा हुआ है, जो हमें आज भी जीवन को श्रेष्ठ और उत्तम बनाने की प्रेरणा देता है। भाजपा नेता नीरु देवी ने कहा कि महिला सशक्तीकरण से ही समाज का उत्थान संभव है।

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