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यहां आज भी 13 हजार आबादी की हो रही उपेक्षा, पढ़िए पूरी खबर

ऋषिकेश की कृष्णा नगर कॉलोनी के लोग आज तक उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। इन्हें विधानसभा और लोकसभा के लिए मत का अधिकार प्राप्त है। मगर छोटी सरकार के गठन का अधिकार इन्हें नहीं है।

By Edited By: Updated: Sun, 17 Mar 2019 08:37 PM (IST)
यहां आज भी 13 हजार आबादी की हो रही उपेक्षा, पढ़िए पूरी खबर
ऋषिकेश, जेएनएन। ऋषिकेश औषधि निर्माण संस्थान आइडीपीएल वीरभद्र से सटे कृष्णा नगर कॉलोनी की 13000 आबादी को विधानसभा और लोकसभा के लिए मत का अधिकार प्राप्त है, मगर छोटी सरकार के गठन का अधिकार इन्हें नहीं है। कारण यही है कि यह क्षेत्र न ही ग्राम पंचायत और न ही निकाय क्षेत्र में शामिल है। विडंबना यह है कि केंद्र और राज्य सरकार की किसी भी योजना का लाभ यहां के 1500 सौ परिवारों को आज तक नहीं मिला है। पानी, बिजली, शौचालय, स्वास्थ्य, सड़क इन तमाम बुनियादी सुविधाओं से महरूम इस क्षेत्र को आज भी विकास का इंतजार है।

आइडीपीएल में 57 साल पहले औषधि निर्माण संस्थान का शुभारंभ हुआ था। कारखाने में काम करने वाले श्रमिकों के लिए लेबर कॉलोनी के नाम पर आबादी बसाई गई थी। बाद में क्षेत्र का नाम कृष्णा नगर कॉलोनी रख दिया गया। क्षेत्र में रहने वाले लोगों को कच्चे घर बनाने का अधिकार था। यहां आबादी की बसावट हुई मगर मूलभूत सुविधाओं की स्थापना नहीं हो पाई। 41 वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश सरकार ने 10 सितंबर 1977 को इस क्षेत्र में नोटिफाइड एरिया गठन के लिए गजट नोटिफिकेशन जारी किया था। 

1998 में विशेष सचिव उत्तर प्रदेश सरकार आरके सिंह ने पत्र जारी कर नगर पंचायत के मानक पूर्ण करने वाले इस क्षेत्र के लिए प्रशासन को प्रस्ताव देखने की आदेश जारी किए। 1991 की जनगणना को आधार मानते हुए जिला प्रशासन ने नोटिफाइड एरिया कमेटी वीरभद्र के गठन की संस्तुति का प्रस्ताव शासन को भेजा। जिसमें 13 वार्डों को शामिल किया गया। इस संबंध में जिला पंचायत राज अधिकारी ने अनापत्ति प्रमाण पत्र भी जारी किया था। 1995 में इस क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र में शामिल बता दिया गया। बीते वर्ष केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने आइडीपीएल की समस्त भूमि को राज्य सरकार को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया। 

10 जुलाई 2018 को डोईवाला में सीपेड संस्थान का उद्घाटन करने आए केंद्रीय रसायन मंत्री अनंत कुमार ने भूमि हस्तांतरण का पत्र मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंपा था। इतना सब होने के बावजूद कृष्णा नगर कॉलोनी के दिन नहीं बहुरे। आज भी यह क्षेत्र को किसी पंचायत या निकाय का हिस्सा नहीं बनाया सका है। हालांकि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में यहां के लोगों को मत डालने का अधिकार है। इससे ज्यादा कोई अधिकार यहां रहने वाले 1500 सौ परिवारों को प्राप्त नहीं है। 

इस साल 21 जनवरी को नगर निगम बोर्ड की बैठक में कृष्णा नगर क्षेत्र को नगर निगम में शामिल करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। मगर बात आगे नहीं बढ़ पाई। मामला शासन में लंबित है। प्रधानमंत्री की स्वच्छता योजना से अछूता कृष्णा नगर उत्तराखंड सरकार की ओर से संपूर्ण राज्य को खुले में शौच मुक्त घोषित किया जा चुका है। मगर कृष्णा नगर कॉलोनी क्षेत्र सरकार के इस दावे को झूठलाता है। आज भी यहां के कई लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। 

प्रत्येक रविवार को यहां के नागरिक स्वच्छता अभियान चलाते हैं। नहीं मिलती जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र की सुविधा इस कॉलोनी में जन्म लेने वाले बच्चों को जन्म प्रमाण पत्र की सुविधा प्राप्त नहीं है। किसी की मृत्यु हो जाए तो उसके परिवार के साथ भी यही स्थिति है। जन कल्याण समिति कृष्णा नगर कॉलोनी के संरक्षक डॉ. बीएन तिवारी ने बताया कि इस संबंध में जिलाधिकारी ने नगर आयुक्त नगर निगम ऋषिकेश निर्देश जारी किए थे। जिसके बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने भी नगर निगम प्रशासन को पत्र जारी किया था। मगर अब तक यह सुविधा यहां के लोगों को नहीं मिल पाई है। यही स्थिति पेयजल की भी है। यहां के लोग हैंडपंप के पानी पर निर्भर हैं। 

विधायक प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि नगर निगम की महापौर अनीता मंमगाई पेयजल निगम को नगर निगम के प्रस्ताव का हवाला देते हुए यहां के लिए नगरीय मानकों के अनुरूप योजना गठन के लिए लिखा। यह मामला भी अभी तक प्राकलन न बनने के कारण आगे नहीं बढ़ पाया है। कृष्णा नगर कॉलोनी क्षेत्र के लिए विधायक निधि से कई जगह सड़कों का निर्माण कराया गया। यहां हैंडपंप भी लगवाए गए। यह क्षेत्र नगर निगम क्षेत्र में शामिल हो इसके लिए शासन स्तर पर बात की गई है। 

महापौर अनीता ममगार्इं कहती हैं कि नगर निगम में शामिल हो जाने के बाद इस क्षेत्र की सभी समस्याएं सुलझ जाएंगी। 21 जनवरी को मैंने स्वयं नगर निगम की बैठक में इस क्षेत्र को नगर निगम में शामिल करने का प्रस्ताव रखा। शासन को यह प्रस्ताव भेजा जा चुका है। 

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