Move to Jagran APP

आरटीओ के करोड़पतियों पर है खुफिया नजर, गुप्त ढंग से जांच शुरू

दून आरटीओ के करोड़पति अफसर-बाबुओं के खिलाफ सरकार ने खुफिया नजर बैठा दी है। गुरुवार को गिरफ्तार मुख्य सहायक के मामले के बाद विजिलेंस ने 2015 की फाइल दोबारा बाहर निकाल ली है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 24 Nov 2019 08:41 PM (IST)
Hero Image
आरटीओ के करोड़पतियों पर है खुफिया नजर, गुप्त ढंग से जांच शुरू
देहरादून, अंकुर अग्रवाल। संभागीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) देहरादून के 'करोड़पति' अफसर-बाबुओं के खिलाफ सरकार ने खुफिया नजर बैठा दी है। गुरुवार को गिरफ्तार मुख्य सहायक के मामले के बाद विजिलेंस ने वर्ष 2015 की फाइल दोबारा बाहर निकाल ली है, जिसमें 14 अफसरों और कर्मियों के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति की जांच होनी थी। मामला सूचना आयोग में गया था और आयोग ने इसमें विजिलेंस जांच के आदेश भी दिए थे, मगर उस दौरान फाइल दब गई थी। बताया जा रहा कि विजिलेंस ने इसकी जांच आगे बढ़ाते हुए आरटीओ कार्यालय में गुप्त ढंग से छानबीन करते हुए दो कर्मियों की सर्विस बुक कब्जे मे ले ली। इसे लेकर आरटीओ कार्यालय में हड़कंप मचा हुआ है। 

आरटीओ देहरादून के कुछ अधिकारियों और बाबुओं पर लंबे समय से उंगली उठती रही है। साल-2006 में एक अधिकारी के घर पर आयकर ने छापा मारा था। उस वक्त आटे के कनस्तर, वाशिंग मशीन, तकियों और गद्दों से लाखों की रकम बरामद हुई थी। अधिकारी की शहर में काफी बेनामी संपत्ति का भी पता चला था। इसके बाद संबंधित अधिकारी का दूसरे जनपद में तबादला कर दिया गया मगर कुछ माह पहले वह वापस दून आ गए। मामला विचाराधीन चल रहा। यह अकेला मामला नहीं।

आरटीओ में जो 'खेल' चल रहा है उससे हर कोई वाकिफ है। अधिकतर प्रकरण ऐसे हैं, जिनमें पैसे के बगैर कोई काम नहीं किया जाता। पांच वर्ष पूर्व सामने आया कमर्शियल डीएल घोटाला और पेनल्टी घोटाला इसकी बानगी है। पिछले दिनों एक अफसर के घर सवा करोड़ रुपये की डकैती का मामला भी सामने आया तो गाहे-बगाहें आरटीओ अफसरों और कर्मियों की संपत्ति की चर्चा होने लगी। 

एक सप्ताह के भीतर विजिलेंस ने परिवहन मुख्यालय और आरटीओ के दो कर्मियों को अलग-अलग मामलों में रिश्वत लेने के आरोप में पकड़ा तो बाकी अफसरों व कर्मियों के विरुद्ध भी जांच की फाइलें बाहर निकलने लगी। मुख्य सहायक के घर में मिली पचीस लाख रुपये की लग्जरी कार व संपत्ति के दस्तावेजों के बाद अफसरों की संपत्ति करोड़ों में होने का संदेह है। यही वजह है कि वर्ष 2015 में दबी फाइल दोबारा जांच के लिए खोली गई है। 

डीआइजी विजिलेंस कृष्ण कुमार वीके ने बताया कि प्रदेश के कईं सरकारी विभागों कुछ कार्मिकों के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति के मामले में गोपनीय जांच चल रही है। इनमें आरटीओ कार्यालय के कर्मचारी भी शामिल हैं।

आरटीओ अफसरों पर गिर सकती है गाज 

मुख्य सहायक की घूसखोरी प्रकरण में गिरफ्तारी के बाद आरटीओ के कुछ आला अफसरों पर गाज गिर सकती है। विजिलेंस की जांच रिपोर्ट में कुछ अफसरों को संदिग्ध श्रेणी में रखा गया है। शासन के लिए तैयार की जा रही इस रिपोर्ट में जिक्र है कि आरटीओ में घूसखोरी से लेकर दलालों की एंटी व कुर्सी पर बैठकर सरकारी कंप्यूटर पर काम करना भी आला अफसरों के संज्ञान में था। दफ्तर में सीसी कैमरे लगे हैं व अफसरों के कक्ष में इसके डिस्प्ले हैं। इसके बावजूद मामले पर अफसर खामोश रहे। विजिलेंस ने रिपोर्ट तैयार कर ली है व इसे जल्द ही शासन को सौंपा जा सकता है। 

आरटीओ में गुरुवार को मुख्य सहायक यशवीर सिंह बिष्ट की घूसखोरी प्रकरण में गिरफ्तारी के बाद पूरा दफ्तर संदेह के घेरे में है। सूत्रों ने बताया कि विजिलेंस ने गुरुवार को ही दफ्तर में छापा नहीं मारा, बल्कि वह कई दिनों से दफ्तर में जाल बिछाए हुए थी। सोमवार को भी विजिलेंस अफसरों ने गुप्त ढंग से पूरे दफ्तर में अफसरों और कर्मचारियों के पटलों पर चल रहे कार्य की पड़ताल की थी। इसमें यह भी देखा गया कि दफ्तर के अंदर कहां-कहां सीसी कैमरे लगे हुए हैं और इनका डिसप्ले किस-किस अफसर के कक्ष में होता है।

विजिलेंस की मानें तो दफ्तर में दलालों के प्रवेश पर कोई लगाम नहीं मिली और वे बेधड़क सर्वर रूप से लेकर रिकॉर्ड रूम तक घूमते मिले। खुद ही रिकार्ड रूम से फाइल निकाल रहे और फाइलों के अंदर दस्तावेजों की मोबाइल पर फोटो तक ले रहे थे। रिकार्ड रूम का ताला तक खुला मिला। डीआइजी विजिलेंस कृष्ण कुमार वीके ने बताया कि आरटीओ दफ्तर में क्या हो रहा था, इसकी रिपोर्ट तैयार की जा रही। रिपोर्ट जल्द ही शासन को सौंपी जाएगी।

यह भी पढ़ें: आरटीओ का मुख्य सहायक और दो दलाल गिरफ्तार, इस खबर में पढ़िए क्या है पूरा मामला

सरकार के आदेश पर हुई कार्रवाई 

विश्वस्त सूत्रों की मानें तो आरटीओ में चल रहे भ्रष्टाचार को लेकर सरकार बेहद गंभीर है। परिवहन मुख्यालय और आरटीओ में एक हफ्ते के भीतर दो कर्मियों की घूस प्रकरण में गिरफ्तारी भी सरकार के एक्शन प्लान का हिस्सा बताई जा रही। सूत्र बता रहे कि सरकार ने ही दो माह पूर्व विजिलेंस को परिवहन कर्मियों की आय की गोपनीय जांच के आदेश दिए थे। 

यह भी पढ़ें: देहरादून के आरटीओ में दलाल राज में चल रहा हाईटेक दफ्तर, पढ़िए पूरी खबर

...बड़े दलालों के काम फोन पर 

विजिलेंस जांच के चलते भले ही दफ्तर में दलालों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया हो, मगर बताया गया कि बड़े दलालों के काम गुपचुप तरीके से फोन पर चल रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि, बातचीत अधिकारी या बाबू के मोबाइल पर नहीं बल्कि दफ्तर के निचले कर्मचारियों के मोबाइल पर की जा रही है। अधिकारियों व बाबू को खौफ है कि कहीं उनके मोबाइल टेप न किए जा रहे हों। 

यह भी पढ़ें: रिश्वतखोरों पर विजिलेंस की पैनी नजर, 11 महीने में आठ पर शिकंजा

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।