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कठिन तप से तय किया लक्ष्य, चिकित्सक बनने के बाद बनीं आइपीएस, बाबा केदार के जिले में मिली पहली पोस्टिंग

IPS Vishakha Bhadane आइपीएस विशाखा भदाणे की कहानी एक ऐसी प्रेरणा है जो बताती है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी लगन और मेहनत से सफलता हासिल की जा सकती है। महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में जन्मी विशाखा ने अपने भाई - बहन के साथ मिलकर संघर्षों का सामना किया और आज वह एक सफल आईपीएस अधिकारी हैं।

By Soban singh Edited By: Nirmala Bohra Updated: Fri, 04 Oct 2024 04:46 PM (IST)
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IPS Vishakha Bhadane: उत्तराखंड कैडर की आइपीएस डा. विशाखा अशोक भदाणे। साभार - स्‍वयं

सोबन सिंह गुसांई, देहरादून। IPS Vishakha Bhadane: अगर आपमें सच्ची लगन और मेहनत करने का जज़्बा है, तो कामयाबी एक दिन आपके कदम जरूर चूमेगी। ऐसे कम ही उदाहरण आपको देखने को मिलेंगे, जिन्होंने तमाम अभावों के बावजूद अपनी मेहनत के बल पर सफलता हासिल की है।

इसमें एक उत्तराखंड कैडर की आइपीएस डा. विशाखा अशोक भदाणे हैं, जिन्होंने संसाधनों के अभाव के चलते न खुद सफलता हासिल की बल्कि अपने भाई व बहन को भी काबिल बनाया। आज वह खुद आइपीएस अधिकारी हैं, उनके भाई आयुर्वेदिक चिकित्सक जबकि बहन योगा टीचर है।

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महाराष्ट्र के नासिक के उमराने गांव में जन्मीं विशाखा भदाणे के पिता अशोक भदाणे मराठा विद्या प्रसारक अशासकीय स्कूल में अध्यापक थे। उनके पिताजी भी चाहते थे कि उनके बच्चे ख़ूब पढ़ लिख कर अपने जीवन में नाम कमाए और बड़े अफसर बनें, लेकिन मेहनत करने के बावजूद उनकी आय इतनी नहीं थी कि वह घर का ख़र्च और बच्चों की पढ़ाई का ख़र्च भली प्रकार से चला पाएं। तीनों भाई बहनों ने इसी स्कूल से पढ़ाई की। 12वीं पास करने के बाद विशाखा भदाणे व उनके भाई ने बीएएमएस की डिग्री हासिल की और प्रेक्टिस करने लगे।

डा. विशाखा के मन में कुछ कर गुजरने की जज्बा था, जिसके चलते उन्होंने प्रेक्टिस के साथ-साथ संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तैयारी करनी शुरू कर दी। दिन भर वह अस्पताल में व्यस्त रहती और रात को पढ़ाई करती। दो बार यूपीएससी की परीक्षा भी दी लेकिन सफल नहीं हो पाई। ऐसे में कुछ समय बाद उन्होंने प्रेक्टिस बंद कर पूरी ताकत यूपीएससी की परीक्षा में झोंक दी। वित्तीय समस्या के चलते उन्होंने घर पर रहकर ही तैयारी शुरू की। आखिरकार 2018 में वह यूपीएससी में सफल हो गई।

परिवार व रिश्तेदारों में बनीं पहली आइपीएस

आइपीएस डा. विशाखा अशोक भदाणे ने बताया कि उनके परिवार व रिश्तेदाराें में अब तक कोई आइपीएस अधिकारी नहीं है। उन्होंने किताबों में पढ़कर आइपीएस के बारे में जाना और कठिन तप से पुलिस अधिकारी बनने का लक्ष्य हासिल किया।

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उन्होंने बताया कि आइपीएस की तैयारी उन्होंने घर पर ही रहकर की, इसके लिए उन्होंने कभी कोचिंग नहीं ली। एसपी विशाखा का कहना है कि यदि मन में कुछ करने की क्षमता है तो सफलता जरूरत मिलती है।

दिन भर लाइब्रेरी में बैठकर तैयार किया स्टडी मटरियल

यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए जब किताबों का अभाव हुआ तो आइपीएस विशाखा भदाणे ने भाई बहन के साथ लाइब्रेरी में जाकर किताबें पढ़नी शुरू की। दिन भर वह लाइब्रेरी में बैठकर स्टडी मटरियल तैयार करती थी। इन बच्चों की पढ़ाई की ललक और परिश्रम को देख कर उनके शिक्षक भी उन्हें पढ़ने और जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया करते थे।

प्रशिक्षण के बाद सबसे पहले मिली रुद्रप्रयाग जिले की बड़ी जिम्मेदारी

प्रशिक्षण के दौरान कई जिलों में काम करने के बाद उन्हें रुद्रप्रयाग जिले की पहली पोस्टिंग मिली। रुद्रप्रयाग से श्री केदारनाथ यात्रा शुरू होती है ऐसे में यह जिला प्रदेश में अहम माना जाता है। दो बार सफल यात्रा करवाने के बाद अब उन्हें पुलिस मुख्यालय में एसपी अपराध एवं कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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