उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अनियमितताओं का बोलबाला, जानिए
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अनियमितताओं का बोलबाला है। यहां नियम कायदों को ताक पर रखकर काम किए जा रहे हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 25 Jul 2019 04:38 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अनियमितताओं का बोलबाला है। यहां नियम कायदों को ताक पर रखकर काम किए जा रहे हैं। कभी नियुक्तियां, कभी खरीद और कभी संसाधनों की कमी के कारण विश्वविद्यालय चर्चाओं में रहा है। अब निजी कॉलेजों से लिए जा रहे संबद्धता शुल्क के नाम पर बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। जिस पर विवि प्रशासन ने मामले की जांच का निर्णय लिया है।
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में शिक्षण शुल्क, काउंसिलिंग एवं संबद्धता संबंधी लंबित प्रकरणों के निस्तारण के लिए कुलपति प्रो. अभिमन्यु की अध्यक्षता में बैठक की गई। जिसमें अधिकारियों ने संबद्धता शुल्क का मामला रखा। बताया कि संबद्ध कॉलेजों से संबद्धता मद में निर्धारित शुल्क से अपेक्षाकृत कम शुल्क जमा कराया जा रहा है। साथ ही पीजी पाठ्यक्रमों के लिए प्रति विषय की दर से शुल्क जमा नहीं कराया जा रहा है। मुख्य वित्त अधिकारी ने यह भी कहा कि कितने विषय की अनुमति विवि ने दी है, इसका ब्योरा भी वक्त पर नहीं मिलता है। यह निर्णय लिया गया कि परीक्षा अनुभाग विषय सूची मुख्य वित्त अधिकारी को उपलब्ध कराएगा। यह भी तय किया गया कि संबद्धता अनुभाग द्वारा समय-समय पर विभिन्न शुल्कों को लिए जाने संबंधी निर्गत आदेशों का परीक्षण करा लिया जाए। इसी अनुरूप कॉलेजों को शुल्क जमा कराने के निर्देश दिए जाएंगे। साथ ही पूर्व में जमा शुल्क के संदर्भ में कॉलेज प्रबंधकों को लेखा अनुभाग से जमा कराई गई धनराशि के मिलान के भी निर्देश दिए गए हैं। मुख्य वित्त अधिकारी ने यह भी सुझाव दिया है कि भविष्य में कॉलेज को संबद्धता पूर्व में उनके द्वारा जमा धनराशि का भी परीक्षण कराने के बाद ही प्रदान की जाए। बैठक में प्रभारी कुलसचिव रामजी शरण शर्मा आदि उपस्थित रहे।
शिक्षण शुल्क निर्धारण को समिति गठित
आयुर्वेद विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों में अध्ययनरत बीएएमएस छात्रों का शिक्षण शुल्क कम किए जाने पर भी बैठक में चर्चा की गई। इस दौरान विवि द्वारा पूर्व के वर्षों में लिए गए शिक्षण शुल्क की समीक्षा एवं सत्र 2019-20 में प्रवेशित होने वाले छात्र-छात्राओं के शिक्षण शुल्क के पुनरीक्षण के लिए कुलसचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की जाए। यह समिति एक सप्ताह के भीतर देश के अन्य आयुर्वेद विश्वविद्यालयों में लागू शिक्षण शुल्क का अध्ययन कर तुलनात्मक विवरण तैयार करेगी। इसके अलावा विवि के परिदृश्य में क्या शिक्षण शुल्क व अन्य शुल्क निर्धारित किए जाएं, इस संबंध में अपनी रिपोर्ट देगी। बता दें, आयुर्वेद विवि के तीनों परिसरों में फीस कम करने को लेकर छात्र पिछले एक सप्ताह से आंदोलनरत हैं। उनका कहना है कि बीएएमएस की फीस 2016 में 27 हजार रुपये थी। जिसे बढ़ाकर 80 हजार रुपये कर दिया गया। छात्रों के आंदोलन के बाद विवि फीस को 48 हजार कर इस संबंध में आदेश भी जारी कर चुकी है। लेकिन छात्र इसे मानने से इनकार कर रहे हैं।
काउंसिलिंग के लिए जल्द होगा एजेंसी का चयन
आयुष-यूजी की काउंसिलिंग को लेकर कुलपति ने रजिस्ट्रार को जल्द उपयुक्त एजेंसी के चयन के निर्देश दिए हैं। ताकि सीसीआइएम द्वारा निर्धारित समय सीमा में काउंसिलिंग प्रक्रिया पूरी की जा सके। बता दें, बीती 9 जुलाई को विवि की काउंसिलिंग बोर्ड की बैठक में तय किया गया था कि 24 जुलाई से ऑनलाइन काउंसिलिंग कराई जाएगी। काउंसिलिंग के लिए एक एजेंसी का चयन भी किया गया, पर टेंडर में हिस्सा लेने वाली दिल्ली की एक अन्य एजेंसी ने विवि को लीगल नोटिस भेज दिया। उसका आरोप था कि मानकों के हिसाब से वे पहले नंबर पर थे, जबकि टेंडर दूसरी एजेंसी को दिया जा रहा है। इस विवाद को देख विवि ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
यह भी पढ़ें: शुल्क पर अब अपने ही घर में घिरा आयुर्वेद विश्वविद्यालययह भी पढ़ें: उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में नियुक्तियों में धांधली, स्पेशल ऑडिट में हुआ खुलासा
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।