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देहरादून के मियांवाला में अंडरपास की चौड़ाई घटाना संभव नहीं

मांग है कि मियांवाला के पास प्रस्तावित अंडरपास की चौड़ाई 30 मीटर की जगह 17 मीटर तक सीमित की जाए। अधिकारी भी जानते हैं कि ऐसा नहीं किया जा सकता।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 29 Apr 2019 08:34 AM (IST)
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देहरादून के मियांवाला में अंडरपास की चौड़ाई घटाना संभव नहीं
देहरादून, जेएनएन। हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग चौड़ीकरण के विभिन्न कार्यों को लेकर क्षेत्रवासियों का धरना उनकी मांगों पर उचित कार्रवाई के आश्वासन के साथ समाप्त हो गया। हालांकि, इसके साथ ही सवाल भी खड़े हो गए हैं कि जिन मांगों पर कार्रवाई का आश्वासन अधिकारियों ने दिया है, क्या उन्हें पूरा किया जाना संभव है। तकनीकी रूप से देखा जाए तो ऐसा कर पाना न संभव है, न ही ऐसा करना उचित रहेगा। क्योंकि इस तरह की परियोजनाओं का निर्माण 50 से 100 साल के यातायात दबाव के लिहाज से किया जाता है। ऐसे में कम से कम उसकी चौड़ाई से तो समझौता नहीं किया जा सकता।

क्षेत्रवासियों की मांग है कि मियांवाला के पास प्रस्तावित अंडरपास की चौड़ाई 30 मीटर की जगह 17 मीटर तक सीमित की जाए। अधिकारियों ने बेशक इस पर उचित कार्रवाई के लिए कहा है, मगर भीतर से वह भी जानते हैं कि ऐसा नहीं किया जा सकता। वजह साफ है कि अंडरपास के दोनों छोर पर राजमार्ग की चौड़ाई जितनी होगी, उसी चौड़ाई के अनुरूप काम करना होगा। लोगों की दूसरी मांग है कि अंडरपास का निर्माण पिलर खड़े कर उसके ऊपर किया जाए। ऐसा करना भी तकनीकी रूप से से सही नहीं है। क्योंकि अंडरपास का निर्माण स्थानीय यातायात के लिए किया जा रहा है। ताकि स्थानीय लोग इसका प्रयोग कर सकें और राजमार्ग का ट्रैफिक ऊपर से सरपट गुजर सके। स्थानीय ट्रैफिक का दबाव काफी कम है और भविष्य में भी इसमें उतना इजाफा नहीं हो पाएगा। लिहाजा, इसके लिए सर्विस रोड की चौड़ाई बढ़ाने की दिशा में भी खास कवायद संभव नहीं है। फिर एक तरफ की सर्विस रोड कम से कम साढ़े छह मीटर रहेगी और उतनी ही चौड़ाई दूसरी तरफ भी मिलेगी। इस तरह दोनों तरफ की लेन की चौड़ाई 13 मीटर हो जाएगी।

सर्विस रोड का स्तर भी राजमार्ग के अनुरूप ही रहेगा

क्षेत्रवासियों की आशंका है कि सर्विस रोड का स्तर काफी ऊंचा रहेगा। हालांकि, इसका स्तर राजमार्ग के अनुरूप ही रहेगा और इसे बढ़ाया जाना संभव भी नहीं है। इससे जिस भी तरफ के लोग अंडरपास का प्रयोग कर दूसरी तरफ जाएंगे तो उन्हें परेशानी नहीं होगी।

मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन से एनओसी लेने का मतलब नहीं

यह सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के अधीन है। ऐसे में लोगों की मांग के अनुरूप प्राधिकरण उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन से एनओसी नहीं ले सकता, बल्कि जब मेट्रो रेल का काम शुरू होगा तो कॉर्पोरेशन को एनओसी की जरूरत पड़ेगी। इसको लेकर भविष्य में कोई तकनीकी अड़चन न पेश आए, इसके लिए मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के अधिकारी ही समय-समय पर प्राधिकरण से चौड़ाई व उसके मध्य भाग की जानकारी लेते रहते हैं। प्राधिकरण के परियोजना निदेशक प्रदीप गुसाईं का कहना है कि मेट्रो परियोजना के लिए राजमार्ग में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा, बल्कि मेट्रो परियोजना के लिए संबंधित अधिकारी राजमार्ग के अनुरूप ही निर्माण कार्य करेंगे।

परियोजनाओं में छेड़छाड़ का ही नतीजा है बल्लीवाला फ्लाईओवर

राजमार्ग की परियोजना में छेड़छाड़ किस तरह भारी पड़ सकती है, इसका जीता-जागता उदाहरण बल्लीवाला फ्लाईओवर है। इसकी स्वीकृति फोर-लेन में मिली थी, जबकि मनमर्जी से इसका निर्माण दो लेन में किया गया। जब निर्माण हो गया, तब पता चला कि इसकी कम चौड़ाई लोगों की जान पर किस तरह भारी पड़ रही है। यहां पर अब तक 13 लोगों की जान जा चुकी है। अब भी महसूस हो रहा है कि चौड़ाई बढ़ाने के सिवा यहां पर कोई भी अन्य प्रयोग सफल नहीं हो सकते।  

बनने के दो दिन बाद ही उखाड़े जाने लगे स्पीड ब्रेकर

बल्लीवाला फ्लाईओवर पर एक और प्रयोग फेल हो जाने के बाद अब राष्ट्रीय राजमार्ग खंड डोईवाला ने दो दिन पहले लगाए गए रंबल स्टिप्स वाले स्पीड ब्रेकरों को उखाड़ने का काम शुरू कर दिया है। शनिवार देर रात शुरू किए गए इस काम में सुबह करीब पांच बजे तक काफी हद तक स्पीड ब्रेकरों को उखाड़ दिया गया है।

राजमार्ग अधिकारियों ने संकरे फ्लाईओवर हादसे रोकने के लिए दोनों तरफ 17 जगह रंबल स्टिप्स वाले स्पीड ब्रेकर बना डाले थे। एक स्थल के ब्रेकर में 10-10 रंबल स्टिप्स बनाई गई थी। इस तरह पूरा फ्लाईओवर स्पीड ब्रेकरों से पटा नजर आने लगा था।

जिसके चलते 800 मीटर के फ्लाईओवर पर वाहन हिचकोले खाकर चलने लगे थे और इससे रफ्तार पर पूरी तरह ब्रेक लग जाने से जाम की समस्या भी पैदा हो गई थी। इसका नतीजा जल्द ही यह निकला भी अधिकतर लोगों ने फ्लाईओवर की जगह नीचे सर्विस लेन से गुजरना शुरू कर दिया और सिंगल लेन से भी पतली सर्विस रोड पर जाम की नई समस्या भी खड़ी हो गई। सिर मुंडाते ही ओले पड़ने जैसी स्थिति से घिरे अधिकारियों ने फिर नया प्रयोग किया कि 17 में से आठ स्थानों के स्पीड ब्रेकर हटा दिए जाएं और शनिवार रात से इसकी शुरुआत भी कर दी गई।

रविवार रात तक सभी आठ जगह के स्पीड ब्रेकर हटा दिए जाएंगे और फिर देखने वाली बात होगी कि इसके बाद भी वाहन चालकों को राहत मिलती है या फिर एक और नया प्रयोग करना होगा। वैसे फ्लाईओवर पर किए जा रहे इस तरह के अटपटे प्रयोग के सफल होने के आसार कम ही हैं। क्योंकि फ्लाईओवर पर सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम करने से अधिकारी अब भी परहेज कर रहे हैं।

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