नेपाल सीमा पर वन्यजीव सुरक्षा को आइटीबीपी व एसएसबी की मदद
वन्यजीव सुरक्षा को लेकर अब नई रणनीति के तहत काम शुरू हो गया है। खासकर उत्तराखंड से सटी नेपाल सीमा पर विशेष फोकस किया गया है। वहां भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (आइटीबीपी) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की मदद ली जाएगी।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sat, 24 Oct 2020 10:14 PM (IST)
देहरादून, केदार दत्त। उत्तराखंड में वन्यजीव सुरक्षा को लेकर अब नई रणनीति के तहत काम शुरू हो गया है। खासकर उत्तराखंड से सटी नेपाल सीमा पर विशेष फोकस किया गया है। वहां भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (आइटीबीपी) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की मदद ली जाएगी। हाल में हुई हाईलेवल इंटर एजेंसी मीटिंग में इस पर सहमति बनी। इसे देखते हुए वन महकमे ने आइटीबीपी और एसएसबी से समन्वय स्थापित करने का जिम्मा हल्द्वानी के डीएफओ को सौंपा है। इसके अलावा वन्यजीवों के शिकार के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों में कुख्यात बावरिया गिरोहों और सपेरों पर नजर रखने के लिए वन महकमा स्थानीय पुलिस का सहयोग लेगा।
छह राष्ट्रीय उद्यान, सात अभयारण्य और चार कंजर्वेशन रिजर्व वाले उत्तराखंड में वन्यजीव सुरक्षा को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। पूर्व में उच्च न्यायालय ने भी इस पर चिंता जताते हुए वन्यजीव सुरक्षा को ठोस एवं प्रभावी कदम उठाने के आदेश दिए थे। इसे देखते हुए अब संजीदगी से कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में हाल में हुई हाईलेवल इंटर एजेंसी मीटिंग में वन्यजीव सुरक्षा के लिए विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापि२त करने का निर्णय लिया गया। इसमें नेपाल सीमा पर निगरानी समेत अन्य जरूरी कदम उठाने पर जोर दिया गया।
राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग के अनुसार नेपाल से सटी उत्तराखंड की सीमा पर आइटीबीपी और एसएसबी की तैनाती है। बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार महकमा अब सीमा पर वन्यजीव सुरक्षा के लिए इनकी मदद लेगा। उन्होंने बताया कि नेपाल सीमा पर आइटीबीपी और एसएसबी से समन्वय का जिम्मा डीएफओ हल्द्वानी को दिया गया है। इसके अलावा नेपाल सीमा से सटी ब्रहमदेव मंडी का सर्वे करने के लिए चंपावत के डीएफओ को एसएसबी से समन्वय के लिए कहा गया है।
सुहाग ने बताया कि जिन क्षेत्रों में आइटीबीपी की तैनाती है, वहां वन्यजीव सुरक्षा में सहयोग के लिए उससे संबंधित जिलों के डीएफओ को भी संपर्क करने के निर्देश दिए गए हैं। सुहाग के अनुसार बैठक में वन्यजीव अपराधियों के केस कमजोर होने या साक्ष्य के अभाव में बरी होने पर भी चिंता जताई गई। इसे देखते हुए तय हुआ कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा वनकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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बावरिया गिरोहों पर पुलिस भी रखेगी नजर उत्तराखंड में कुख्यात बावरिया गिरोहों के अलावा सपेरा गिरोहों की गिद्धदृष्टि भी यहां के वन्यजीवों पर गड़ी है। बावरिया गिरोह तो कई मौकों पर संरक्षित क्षेत्रों के कोर जोन तक में घुसकर अपनी कारगुजारियों को अंजाम देते आए हैं। इसे देखते हुए अब सूचना तंत्र को सशक्त बनाने के साथ ही बावरिया व सपेरा गिरोहों पर पुलिस की मदद से भी नजर रखी जाएगी।
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