क्या आज भी जिंदा हैं जामवन्त? पुराणों में वर्णित उनके जीवन के यह रहस्य कर रहे इसका दावा
Jamwant Ramayan पुराणों में बताया गया है कि जामवन्त (Jamwant) विद्वान हैं। उन्हें वेद उपनिषद पूरे याद हैं। रामायण काल में जामवन्त रामसेना के सेनापति थे। युद्ध के बाद भगवान राम ने जामवन्त को अपना अगला रूप धारण करने तक तपस्या करने का आदेश दिया था।
By Nirmala BohraEdited By: Updated: Sun, 31 Jul 2022 03:29 PM (IST)
टीम जागरण, देहरादून : Jamwant Ramayan : पुराणों के अनुसार कई ऋषि मुनि और देवता आज भी सशरीर जीवित हैं। इनमें वशिष्ठ, अत्रि, विश्वामित्र, दुर्वासा, अश्वत्थामा, राजा बलि, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम, मार्कण्डेय ऋषि, वेद व्यास और जामवन्त (Jamwant) आदि का नाम शामिल है। आइए जानते हैं पुराणों और धर्म ग्रंथों में वर्णित उन दावों के बारे में...
- आचार्य डाक्टर सुशांत राज ने बताया कि पुराणों में बताया गया है कि जामवन्त (Jamwant) विद्वान हैं। उन्हें वेद उपनिषद पूरे याद हैं।
- परशुराम और हनुमान के बाद जामवन्त ही एक ऐसे व्यक्ति हैं। जिनका तीनों युगों में होने का वर्णन मिलता है। वहीं पुराणों और धर्म ग्रंथों की मानें तो कहा जाता है कि वह आज भी जीवित हैं।
- राजा बलि के काल सतयुग में जामवन्त का जन्म हुआ था जिस वजह से उनकी आयु परशुराम और हनुमान (Hanuman) से भी लंबी है। परशुराम से बड़े हैं जामवन्त और जामवन्त से बड़े हैं राजा बलि।
- प्राचीन काल में जामवन्त को ऋक्षपति कहा जाता था। बाद में यह ऋक्ष शब्द बिगड़कर रीछ अर्थात भालू के राजा हो गया। वहीं रामायण आदि ग्रंथों में भी उनका चित्रण भालू मानव के रूप में किया गया है।
- डाक्टर सुशांत राज के अनुसार धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि जामवन्त को चिरंजीवियों में शामिल किया गया है जो कलियुग के अंत तक रहेंगे। जामवन्त की माता एक गन्धर्व कन्या थीं। जामवन्त सतयुग में उत्पन्न हुए थे।
- जामवन्त (Jamwant) का जन्म अग्नि पुत्र के रूप में देवासुर संग्राम में देवताओं की सहायता के लिए हुआ था। कहा जाता है कि वह राजा बलि के काल में भी थे।
- वामन अवतार के समय जामवन्त अपनी युवावस्था में थे। वहीं एक दूसरी मान्यता के मुताबिक भगवान ब्रह्मा ने दो पैरों पर चल सकने वाला और संवाद करने वाला एक रीछ मानव बनाया था।
- भगवान राम के काल त्रेतायुग में जामवन्त बूढ़े हो गए थे। इसलिए जामवन्त ने हनुमानजी से समुद्र लांघने की विनती की थी।
- वाल्मीकि रामायण के युद्धकांड में जामवन्त का नाम भी उल्लेखनीय है। इसमें वर्णन किया गया है कि रामायण काल में जामवन्त का एक विशेष काम हनुमानजी को उनका बल याद दिलाना था।
- कहा जाता है कि जामवन्त और कुंभकर्ण के आकार-प्रकार में कुछ ही अंतर था। जामवन्त को अनुभवी और ज्ञानी माना जाता था। उन्होंने ही हनुमान को हिमालय में प्राप्त होने वाली दुर्लभ औषधियों के बारे में बताया था। जिसमें से एक संजीविनी थी।
- राम व रावण के युद्ध में जामवन्त रामसेना के सेनापति थे। कहा जाता है कि युद्ध समाप्ति के बाद जामवन्त में अहंकार आ गया था। जिस पर भगवान श्रीराम ने जामवन्त को अपना अगला रूप धारण करने तक तपस्या करने का आदेश दिया था।
- पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक द्वापर युग में जामवन्त ने कोहिनूर हीरे (Kohinoor Diamond) को धारण किया। इस हीरे को तब स्यमंतक मणि कहा जाता था। इस मणि के लिए श्रीकृष्ण को जामवन्त से युद्ध करना पड़ा था।
- कथाओं के अनुसार यह मणि भगवान सूर्य ने श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा के पिता सत्राजित को दी थी। जिसे सत्राजित ने अपने देवघर में रखा था। वहां से उनका भाई मणि पहनकर आखेट के लिए चला गया। जंगल में आखेट के दौरान उसे और उसके घोड़े की मौत हो गई। जामवन्त ने वहां से मणि ले ली और अपनी गुफा में चले गए। जामवन्त ने उक्त मणि अपने पुत्र को खिलौने के रूप में दे दी।
- वहीं सत्राजित ने श्रीकृष्ण पर मणि चोरी का आरोप लगा दिया। तब श्रीकृष्ण को जामवन्त से मणि लेने के लिए युद्ध करना पड़ा।
- खुद को युद्ध में हारता देखा जब जामवन्त ने भगवान श्रीराम को पुकारा और श्रीकृष्ण को अपने रामस्वरूप में आना पड़ा। जिसके बाद जामवन्त ने आत्म समर्पण कर दिया और मणि भी दे दी और श्रीकृष्ण से निवेदन किया कि उनकी पुत्री जामवन्ती से विवाह करें।
- कहा जाता है कि जामवन्त ने मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में जामथुन नामक नगरी बसाई थी। शोध के दौरान यहां एक गुफा मिली है जो जामवन्त (Jamwant Cave) का निवास स्थान माना जाता है। उत्तर प्रदेश के बरेली के पास जामगढ़ में भी एक प्राचीन गुफा मिली है।
- कहा जाता है कि यहां जामवन्त हजारों वर्ष तक रहे थे। विंध्याचल की पहाड़ी पर पुराकाल से ही गणेश-जामवन्त की प्रतिमा स्थापित हैं, जिनके बारे में मान्यता है कि जामवन्त द्वारा स्थापित यह प्रतिमा प्रतिवर्ष एक तिल के बराबर बढ़ती जा रही है।
पीर खोह को माना जाता है जामवन्त (Jamwant) की तपोस्थली
जामवन्त की तपोस्थली जम्मू और कश्मीर के जम्मू नगर में स्थित एक गुफा मंदिर (Jamwant Cave) को माना जाता है। इस गुफा में कई पीर-फकीरों और ऋषियों ने तपस्या की जिस कारण इसे 'पीर खोह' कहा जाता है।
गुफा के साथ एक साधना कक्ष का निर्माण किया गया है जो तवी नदी के तट पर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
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