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जंगली बने उत्तराखंड वन विभाग के ब्रांड एंबेसडर

उत्तराखंड वन विभाग ने जगत सिंह चौधरी 'जंगली' को राज्य में वन विभाग का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया है।

By Edited By: Updated: Thu, 05 Jul 2018 05:10 PM (IST)
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जंगली बने उत्तराखंड वन विभाग के ब्रांड एंबेसडर
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: रुदप्रयाग जिले के चरकोट में खुद के बूते मिश्रित वन विकसित करने वाले जगत सिंह चौधरी 'जंगली' के प्रयासों को उत्तराखंड वन विभाग ने भी सलाम किया है। उन्हें राज्य में वन विभाग का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया गया है। इसका ऐलान विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जय राज ने मंगलवार को वन मुख्यालय में जंगली के सम्मान समारोह में किया। उन्होंने जंगली की पहल को आगे बढ़ाने की कड़ी में प्रत्येक जिले में मिश्रित वन विकसित करने की बात भी कही।

सीमा सुरक्षा बल से सेवानिवृत्त जगत सिंह ने वर्ष 1974 में अपने गांव चरकोट में खुद की दो हेक्टेयर भूमि में जंगल पनपाना शुरू किया। इसके लिए वहां मिश्रित प्रजाति के पेड़ों के पौधे लगाए। धीरे-धीरे मुहिम आगे बढ़ी और गांव के नजदीक जंगल का क्षेत्रफल दो से बढ़कर छह हेक्टेयर हो गया।

वहां लहलहा रहे विभिन्न प्रजातियों के डेढ़ लाख पेड़ जंगली के प्रयासों की गवाही दे रहे हैं। उनकी इस पहल से जहां क्षेत्र के लोगों पशुओं के लिए चारा मिल रहा है, वहीं, जैव विविधता के संरक्षण के साथ ही जलस्रोत भी रीचार्ज हुए हैं। जंगली के मिश्रित वन के इस मॉडल को देश-दुनिया में सराहा गया। इंग्लैंड की रेमिडी कंपनी के नुमाइंदों ने चरकोट आकर इस जंगल का जायजा लिया, बल्कि विश्वभर में इसी तरह के वनों के मॉडल विकसित करने की जरूरत बताई। 

यही नहीं, देश में भी जंगली विभिन्न राज्यों में जाकर इस कांसेप्ट को समझाते आ रहे हैं। बनारस में तो उनके मार्गदर्शन में 50 हजार से अधिक विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए गए। अब लंबे इंतजार के बाद उनकी इस पहल को उत्तराखंड वन विभाग ने भी सराहा। मंगलवार को राजपुर रोड स्थित वन मुख्यालय के मंथन सभागार में आयोजित कार्यक्रम में विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जय राज ने जंगली को सम्मानित किया। 

उन्होंने जंगली की पहल को अनुकरणीय बताते हुए उन्हें वन विभाग का ब्रांड एंबेसेडर घोषित किया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार जंगली ने रुद्रप्रयाग में मिश्रित वन तैयार किया है, उसी तरह प्रत्येक जिले में एक-एक मॉडल वन तैयार किए जाएंगे। कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय सचिव कमल टावरी समेत वन विभाग के तमाम अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।

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