Dehradun News: अनूठी है जौनसार-बावर की संस्कृति, कोरुवा में पंचायती आंगन में नचाया काठ का हिरन
देहरादून जनपद स्थित जौनसार-बावर अपनी अनूठी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। बूढ़ी दीपावली पर लोक नृत्य तांदी झेंता रासो हारुल की धूम रही। कोरुवा में पंचायती आंगन में काठ का हिरन नचाया। सभी ने एकत्र होकर बूढ़ी दीपावली मनायी।
By Jagran NewsEdited By: Sunil NegiUpdated: Sun, 27 Nov 2022 12:53 AM (IST)
संवाद सूत्र, साहिया (देहरादून): अनूठी संस्कृति के लिए विख्यात जौनसार-बावर की बूढ़ी दीपावली की रंगत और चटख हो गई है। शनिवार को कोरुवा गांव में दीपावली की रंगत देखने लायक थी। पंचायती आंगन में सामूहिक रूप से पारंपरिक लोकनृत्य ने हर किसी को मंत्रमुग्ध किया।
बूढ़ी दीपावली मनाने के लिए खत बमटाड़ के कोरुवा गांव का अंदाज निराला है। पर्व पर पूरे जौनसार में काठ का हिरन व हाथी बनाया जाता है। कोरुवा में नाचते हिरन का पंचायती आंगन में तीन या पांच चक्कर लगाना अनिवार्य होता है।
कोरुवा गांव में सबसे पहले महासू देवता की पूजा-अर्चना की गई। उसके बाद काठ के हिरन को पंचायती आंगन में लाया गया। बूढ़ी दीपावली के जश्न को देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचे। ग्रामीण भी पंचायती आंगन में जौनसारी लोक नृत्य को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए।
जौनसारी गीतों व लोक नृत्य किए
कालसी ब्लाक की खत बमटाड़ के कोरूवा गांव में ग्रामीण सुबह ही पंचायती आंगन में पंहुचे और जौनसारी गीतों व लोक नृत्य झेंता, रासो, तांदी, हारुल नृत्य किया। इसके बाद सुबह स्याणा ने हिरन को नचाया।
खत स्याणा बुध सिंह तोमर ने बताया कि केवल जौनसार-बावर क्षेत्र के कोरुवा में ही दिन में हिरन नचाते की परंपरा है। हिरन पर बैठे गांव स्याणा बलवीर सिंह तोमर ने हिरन को नचाया।
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