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डीएनए जांच में चला पता, बोक्सा जनजाति के वंशज हैं जौनसारी, थारू व भोटिया

भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण विभाग की डीएनए जांच में पता चला है कि जौनसारी, थारू व भोटिया जनजाति बोक्सा जनजाति की वंशज हैं।

By sunil negiEdited By: Updated: Fri, 23 Sep 2016 05:00 AM (IST)
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देहरादून, [सुमन सेमवाल]: उत्तराखंड में निवास करने वाले पांच जनजाति समुदायों का आधुनिक युग में सामाजिक ताना-बाना भले ही एक-दूसरे से अलग नजर आता है, लेकिन भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) ने इन जनजातियों के बीच गहरी समानता का पता लगाया है। यह समानता इतनी गहरी है कि चार जनजातियां आपस में पूर्वज और वंशज की भूमिका निभा रही हैं। डीएनए जांच में पता चला है कि जौनसारी, थारू व भोटिया जनजाति बोक्सा जनजाति की वंशज हैं। सिर्फ राजी ही ऐसी जनजाति है, जिसका विकास क्रम किसी अन्य जनजातीय समुदाय के रूप में नहीं मिला।

एएसआइ के देहरादून स्थित क्षेत्रीय मुख्यालय ने उत्तराखंड की जनजातियों के विकास क्रम का पता लगाने के लिए समुदाय के लोगों की डीएनए जांच के लिए ब्लड सैंपल लिए। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से कुल 467 सैंपल एएसआइ की टीम ने एकत्रित किए। संस्थान की डीएनए लैब में इनका पॉलीमरेज चेन रियेक्शन कराया गया। एएसआइ की डीएनए लैब के प्रभारी डॉ. वेणुगोपाल पीएन के मुताबिक इस अध्ययन से यह स्पष्ट हो गया कि उत्तराखंड में मूल जनजातियां बोक्सा व राजी ही हैं। क्रम विकास करते हुए बोक्सा से पहले जौनसारी जनजाति अस्तित्व में आई। इसके बाद भोटिया व थारू जनजाति का एकसाथ उदय हुआ। यानी कि ये चारों जनजातियां बोक्सा जनजाति की ही वंशज हैं।

डॉ. वेणुगोपाल के अनुसार राजी जनजाति का क्रम विकास पता करने के लिए अब नेपाल व देश के अन्य स्थानों पर पाई जाने वाली राजी जनजाति के समुदाय की डीएनए जांच की जाएगी। ताकि स्पष्ट हो सके कि इस जनजाति का विकास क्रम क्या है।

यहां से लिए गए ब्लड सैंपल
देहरादून, ऊधमसिंहनगर, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली।

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विकास क्रम न होने से संकट में राजी
उत्तराखंड में राजी जनजाति का विकास क्रम न होने का असर इस जाति के विकास पर भी पड़ रहा है। प्रदेश में सभी पांच जनजाति के लोगों की संख्या करीब तीन लाख है। जबकि, राजी जनजाति के लोगों की संख्या 150 के आसपास सिमटी है। इसका कारण क्षेत्रीय केंद्र के कार्यालय प्रमुख अधीक्षण मानवविज्ञानी डा. हर्षवर्धन विकास क्रम न होना ही मान रहे हैं। उनका कहना है कि पूर्व में कराई गई पोषण की जांच में इस जनजाति का शारीरिक सौष्ठव सबसे कम पाया गया और साक्षरता का स्तर भी इस जनजाति में सबसे कम पाया गया।

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उत्तराखंड में जनजाति समुदाय
समुदाय, संख्या
थारू, 90431
जौनसारी, 81814
भोटिया, 42922
बोक्सा, 42168
राजी, 155

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