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Joshimath Crisis: सामने आया भूधंसाव का नया कारण! लेकिन विज्ञानियों ने कहा- मौजूदा हालात में यह तर्कसंगत नहीं

Joshimath Crisis जोशीमठ क्षेत्र में वर्ष 1970 व इससे पहले कई जलकुंडों के अस्तित्व में होने की बात कही जा रही है। हालांकि यह कहना मुश्किल है कि जलकुंडों का पानी भूगर्भ मे मार्ग बदलकर भूधंसाव का कारण बना।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Mon, 23 Jan 2023 08:24 AM (IST)
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Joshimath Crisis: यह कहना मुश्किल है कि जलकुंडों का पानी भूगर्भ मे मार्ग बदलकर भूधंसाव का कारण बना।

जागरण संवाददाता, देहरादूनः Joshimath Crisis: जोशीमठ क्षेत्र में वर्ष 1970 व इससे पहले कई जलकुंडों के अस्तित्व में होने की बात कही जा रही है। सरकार भी जलकुंडों के अस्तित्व को पुष्ट करने के प्रयास कर रही है।

यह भी कहा जा रहा है कि जलकुंडों का जो पानी समय के साथ भूगर्भ में समा गया, उससे भी भूधंसाव का संबंध हो सकता है। हालांकि, भूविज्ञानी इस बात से सहमत नहीं दिखते।

जोशीमठ में करीब 50 से 60 साल पहले तक जलकुंडों का अस्तित्व था

एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के प्रो. एमपीएस बिष्ट के मुताबिक, जोशीमठ में करीब 50 से 60 साल पहले तक जलकुंडों का अस्तित्व था। आज यह जलकुंड नहीं हैं।

इनके अस्तित्व की समाप्ति को लेकर पर्यावरणीय व भौगोलिक कारण हो सकते हैं। क्योंकि, समय के साथ इनमें नियमित रीचार्ज नहीं हो पाया। साथ ही यहां के ढाल विष्णुगाड की तरफ सरक रहे हैं। इस तरह जलकुंडों का पानी समय के साथ समाप्त हो गया होगा।

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हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि जलकुंडों का पानी भूगर्भ मे मार्ग बदलकर भूधंसाव का कारण बना। अभी इस तरह के भी प्रमाण नहीं हैं कि जलकुंड कितने बड़े थे और उनमें अधिकांश समय कितना पानी रहता था।

वरिष्ठ विज्ञानी सहमत नहीं

जलकुंडों के विलुप्त होने और इसका संबंध भूधंसाव से जोड़ने की अवधारणा को लेकर वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डा. विक्रम गुप्ता भी सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जोशीमठ में भूधंसाव को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं।

हालांकि, जब तक किसी बात को विज्ञान की कसौटी पर परख न लिया जाए, तब तक कुछ भी कहना सही नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि तमाम वैज्ञानिक संस्थान जोशीमठ में अध्ययन कर रहे हैं।

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कुछ समय इंतजार करना चाहिए और फिर तस्वीर साफ होने लगेगी। डा. गुप्ता ने यह भी कहा कि जलकुंडों के विलुप्त होने के पीछे के प्रामाणिक कारण उपलब्ध नहीं हैं।

जोशीमठ में बाईपास को लेकर बीआरओ से होगा मंथन

भूधंसाव की जद में आए जोशीमठ शहर पर यात्रियों व वाहनों का दबाव कम करने के मद्देनजर हेलंग-मारवाड़ी बाईपास के सिलसिले में विमर्श के लिए शासन ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के अधिकारियों को देहरादून बुलाया है।

सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत कुमार सिन्हा ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि बीआरओ के अधिकारियों के साथ बाईपास की स्थिति, इसे लेकर पूर्व में कराए गए अध्ययन समेत अन्य बिंदुओं पर चर्चा होगी। गौरतलब है कि बदरीनाथ धाम की यात्रा शुरू होने पर यह बाईपास बड़े विकल्प के रूप में सामने होगा।

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