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Joshimath Sinking: मुख्यमंत्री ने की समीक्षा, कंट्रोल रूम बनाने के निर्देश, प्रभावितों को करेंगे एयरलिफ्ट

Joshimath Sinking जोशीमठ शहर में भूधंसाव की जद में 500 से ज्‍यादा भवनों में दरारें आ गई हैं। जोशीमठ में लगातार हो रहे भूधंसाव के मामले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पैनी नजर रखे हुए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी है।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Fri, 06 Jan 2023 07:56 AM (IST)
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Joshimath Sinking: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: Joshimath Sinking: जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव से संकटग्रस्त परिवारों को बचाने और राहत देने का काम युद्ध स्तर पर होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सचिवालय में उच्चाधिकारियों के साथ बैठक कर जोशीमठ की स्थिति का समीक्षा की। उन्होंने तत्काल डेंजर जोन खाली कराने और सुरक्षित स्थान पर अस्थायी पुनर्वास केंद्र बनाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री धामी शनिवार को जोशीमठ का दौरा करेंगे

जोशीमठ में तुरंत आपदा कंट्रोल रूम स्थापित होगा। स्थायी पुनर्वास के लिए पीपलकोटी और गौचर सहित अन्य स्थानों पर सुरक्षित स्थान की तलाश की जाएगी। आवश्यक होने पर प्रभावितों के लिए एयर लिफ्ट सुविधा की तैयारी रखी जाएगी।

मुख्यमंत्री धामी शनिवार को जोशीमठ का दौरा करेंगे। वह प्रभावित परिवारों से मुलाकात के अलावा अधिकारियों के साथ जोशीमठ में बैठक भी करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह शीघ्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भेंट कर जोशीमठ की स्थिति और इस मामले में उठाए गए कदमों की जानकारी देंगे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समीक्षा बैठक में जोशीमठ शहर में भू-धंसाव के कारणों व प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की वैकल्पिक व्यवस्था का जायजा लिया। वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से क्षेत्र की अद्यतन स्थिति की आपदा प्रबंधन सचिव, गढ़वाल मंडलायुक्त और चमोली के जिलाधिकारी से विस्तृत जानकारी प्राप्त की।

उन्होंने तात्कालिक एक्शन प्लान के साथ ही दीर्घकालिक कार्यों में भी लंबी प्रक्रिया को समाप्त कर डेंजर जोन के ट्रीटमेंट, सीवर और ड्रेनेज जैसे कार्य शीघ्र पूरे करने को कहा। उन्होंने कहा कि नागरिकों का जीवन अमूल्य है। लिहाजा हमारी कार्ययोजना बिल्कुल तय होनी चाहिए।

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धरातल पर काम करने वाली प्रशासनिक मशीनरी को संवेदनशीलता से काम करना होगा। स्थिति पर निगरानी बनाए रखनी होगी। आपदा प्रबंधन सचिव, मंडलायुक्त और जिलाधिकारी से विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त करने के निर्देश भी उन्होंने दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कम प्रभावित क्षेत्रों में भी तत्काल ड्रेनेज प्लान तैयार कर काम शुरू किया जाए। संभावित डेंजर जोन चिह्नित किए जाएं। समय पर प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना आवश्यक है। इस संबंध में सेटेलाइट इमेज उपयोगी हो सकती है।

उन्होंने जिलाधिकारी और प्रशासन को स्थानीय निवासियों से निरंतर संपर्क में रहने को कहा। साथ ही सभी विभागों को टीम भावना से काम करने के निर्देश दिए, ताकि क्षेत्रवासियों की बेहतर ढंग से सहायता की जा सके। चिकित्सा उपचार की सभी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संकट की इस स्थिति में जानमाल की सुरक्षा एवं बचाव पर ध्यान देना होगा। उन्होंने क्षेत्रवासियों से भरोसा बनाए रखने को कहा। उन्होंने कहा कि जोशीमठ का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व है। वहां पर किए जाने वाले तात्कालिक महत्व के कार्यों को आपदा प्रबंधन नियमों के अंतर्गत संपादित करने की व्यवस्था बनाई जाए। ऐसे समय में व्यक्तियों की आजीविका प्रभावित न हो, इसका ध्यान रखा जाए। आपदा मद से स्थानीय निवासियों की हरसंभव सहायता की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने प्रभावितों की सहायता को एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की पर्याप्त व्यवस्था और हेली सेवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए। उन्होंने मानसून से पहले जोशीमठ में सीवरेज, ड्रेनेज के कार्य पूर्ण करने को कहा।

बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, सचिव शैलेश बगोली, सचिन कुर्वे, दिलीप जावलकर, पुलिस महानिरीक्षक एसडीआरएफ रिद्धिम अग्रवाल उपस्थित रहे। बैठक में वर्चुअली गढ़वाल मंडलायुक्त सुशील कुमार, आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा, चमोली जिलाधिकारी हिमांशु खुराना समेत अन्य अधिकारी भी सम्मिलित हुए।

प्रभावितों को चार हजार रुपये महीना किराया

जोशीमठ के प्रभावित परिवारों को सरकार छह माह तक चार हजार प्रतिमाह की दर से किराये का भुगतान करेगी। राज्य में आपदा प्रभावित ऐसे परिवारों, जिनके घर क्षतिग्रस्त होने के कारण रहने योग्य नहीं हैं या बेघर हो गए हैं, उन्हें किराए के घर पर रहने को चार हजार रुपये प्रति परिवार की दर से धनराशि मुख्यमंत्री राहत कोष से देने की व्यवस्था है। महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी के अनुसार जोशीमठ के प्रभावित परिवारों के मामले में भी ऐसा ही किया जाएगा।

जोशीमठ-औली रोपवे बंद  

भूधंसाव के बाद जोशीमठ-औली रोपवे बंद कर दिया गया है। फरवरी तक रोपवे की अग्रिम बुकिंग थी। शीतकाल में हिमक्रीड़ा स्थल औली में ट्रेकिंग और स्कीइंग का लुत्फ उठाने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। लेकिन, जोशीमठ के भूधंसाव ने पर्यटकों को भी भयभीत कर दिया है।

इससे भी पर्यटकों की संख्या लगातार कम हो रही है। इन दिनों प्रतिदिन दो हजार से अधिक पर्यटक व तीर्थयात्री जोशीमठ और औली पहुंच रहे हैं। हालांकि, पर्यटक जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव से भयभीत होकर वहां रुकने से डर रहे हैं। औली में भूधंसाव का कोई खतरा नहीं है, लेकिन वहां पर ठहरने के लिए सीमित संसाधन हैं।

कर्णप्रयाग में मंडी परिषद से आइटीआइ तक बढ़ा भूस्खलन का दायरा

चारधाम यात्रा के मुख्य पड़ाव कर्णप्रयाग में बदरीनाथ यात्रा मार्ग से लगे भवनों में भूधसाव से मकानों में दरारें बढ़ती जा रही हैं, जिससे यहां बसे लोग भय के साए में रातें गुजार रहे हैं।

हालांकि प्रशासन की ओर से भूस्खलन वाले क्षेत्रों पर नजर रखी जा रही है। गुरुवार को चमोली भ्रमण पर आए सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर सीएस पांडे ने बहुगुणा नगर एवं मंडी परिसर का स्थलीय निरीक्षण कर स्थानीय निवासियों को सुरक्षा के इंतजाम जल्द शुरू करने का भरोसा दिलाया।

बीते दो साल के दौरान मंडी परिषद से लगी भूमि के ऊपरी हिस्से में बसे बहुगुणा नगर के 30 से अधिक भवन भूधंसाव की जद में आने के बाद 12 परिवार किराए के मकानों में शिफ्ट हो गए हैं।

वहीं भूस्खलन का दायरा मंडी परिषद से आइटीआइ तक बढ़ गया है। निरीक्षण को पहुंचे सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर सीएस पांडे से प्रभावितों ने सुरक्षा की गुहार लगाई है।

सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता मोहन सिंह बुटोला ने बताया कि बहुगुणा नगर का सर्वे आइआइटी के भूगर्भीय वैज्ञानिकों की टीम ने किया है, जबकि दूसरे चरण में वैज्ञानिकों की टीम की ओर से मंडी परिषद, आइटीआइ सहित नगर के अन्यत्र भूस्खलित क्षेत्रों का सर्वे किया जाना है। इसके बाद बाद सिंचाई विभाग की ओर से सुरक्षा के उपाय शुरू किए जाएंगे।