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Joshimath Sinking: केंद्र सरकार भी सतर्क, जोशीमठ के त्वरित अध्ययन को गठित की छह सदस्यीय समिति

Joshimath Sinking जोशीमठ क्षेत्र सामरिक और धार्मिक महत्व के साथ ही पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है। भूमि धंसने के कारण इससे उत्पन्न स्थिति और आबादी क्षेत्र पर पड़ रहे प्रभाव के त्वरित अध्ययन के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने छह सदस्यीय समिति गठित की है।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sat, 07 Jan 2023 08:42 AM (IST)
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Joshimath Sinking: जोशीमठ में भू-धंसाव को लेकर केंद्र सरकार भी सतर्क हो गई है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून : Joshimath Sinking: उत्‍तराखंड के सीमांत जिले चमोली के जोशीमठ में भू-धंसाव को लेकर केंद्र सरकार भी सतर्क हो गई है।

भूमि धंसने के कारण, इससे उत्पन्न स्थिति और आबादी क्षेत्र पर पड़ रहे प्रभाव के त्वरित अध्ययन के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने छह सदस्यीय समिति गठित की है। यह समिति तीन दिन में अपनी अध्ययन रिपोर्ट नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा (एनएमसीजी) को सौंपेगी।

इसी क्षेत्र से होकर गुजरती है गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी

जोशीमठ क्षेत्र सामरिक और धार्मिक महत्व के साथ ही पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है। गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी अलकनंदा इसी क्षेत्र से होकर गुजरती है। भूमि धंसने की गंभीर समस्या सामने आने के बाद खतरे को कई स्तर पर महसूस किया जा रहा है।

तत्परता दिखाते हुए अध्ययन समिति का गठन

सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय भी लगातार राज्य सरकार से जोशीमठ में भूधंसाव को लेकर अपडेट ले रहा है। प्रदेश सरकार समस्या के समाधान के लिए हाथ-पांव मार ही रही है, तो केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने भी तत्परता दिखाते हुए अध्ययन समिति का गठन कर दिया है।

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प्रोजेक्ट डायरेक्टर को समन्वय स्थापित करने का दायित्व

समिति में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग, जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया, देहरादून और एनएमसीजी के एक-एक प्रतिनिधि, उत्तराखंड स्टेट प्रोग्राम मैनेजमेंट ग्रुप के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाइड्रोलाजी के प्रतिनिधि सम्मिलित किए गए हैं। उत्तराखंड से प्रोजेक्ट डायरेक्टर को समन्वय स्थापित करने का दायित्व दिया गया है।

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रिपोर्ट तैयार कर एनएमसीजी को तीन दिन के भीतर सौंपेगी समिति

समिति तेजी से अध्ययन करेगी और भूमि धंसने के कारण और प्रभाव पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर एनएमसीजी को तीन दिन के भीतर सौंपेगी। जोशीमठ क्षेत्र के निवासियों, भवनों और अवस्थापना सुविधाओं पर प्रभाव का जायजा लिया जाएगा।

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साथ में वर्तमान में जारी जलविद्युत व हाइवे परियोजनाओं से पडऩे वाले असर को भी समिति देखेगी। विशेष रूप से नदी क्षेत्र और गंगा नदी के बहाव पर भी किसी तरह के प्रभाव दिखने का भी आकलन रिपोर्ट में किया जाएगा। भू-धंसाव का अन्य गतिविधियों पर हो रहे प्रभाव का अध्ययन भी किया जाएगा।

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