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Joshimath Sinking: जोशीमठ आपदाग्रस्त क्षेत्र घोषित, सेना ने खाली की कालोनी

Joshimath Sinking शहर के लगभग डेढ़ किलोमीटर के भूधंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है। दीर्घकालिक समाधान के लिए जोशीमठ का जियो टेक्निकल व जियो फिजिकल अध्ययन कराया जाएगा। साथ ही हाइड्रोलाजिकल अध्ययन भी कराने का निर्णय लिया गया है।

By kedar duttEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sat, 07 Jan 2023 10:15 PM (IST)
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Joshimath Sinking: डेढ़ किलोमीटर के भूधंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून:  Joshimath Sinking:  जोशीमठ शहर में जानमाल की सुरक्षा के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। शहर के लगभग डेढ़ किलोमीटर के भूधंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है। जोशीमठ का अध्ययन कर लौटी विशेषज्ञों की टीम की संस्तुतियों के आधार पर देर शाम यह कदम उठाया गया।

दीर्घकालिक समाधान के लिए जोशीमठ का जियो टेक्निकल व जियो फिजिकल अध्ययन कराया जाएगा। जिन क्षेत्रों में घरों में दरारें नहीं हैं, वहां भवन निर्माण के लिए गाइडलाइन जारी की जाएगी। साथ ही हाइड्रोलाजिकल अध्ययन भी कराने का निर्णय लिया गया है।

केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की से प्रस्ताव मांगा

सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत कुमार सिन्हा ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि प्रभावितों के पुनर्वास के लिए पीपलकोटी, गौचर, कोटीकालोनी समेत कुछ अन्य स्थान चयनित किए गए हैं। भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण को इन क्षेत्रों का जियो अध्ययन करने के लिए लिखा गया है। प्री-फैब्रिकेट घरों के निर्माण के दृष्टिगत केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की से प्रस्ताव मांगा गया है।

उन्होंने बताया कि सेना ने जोशीमठ स्थित अपने आवासीय परिसर में खतरे की जद में आए भवनों को खाली कर यहां रह रहे परिवारों को सुर‍क्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया है।

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जोशीमठ में भूधंसाव और घरों में दरारें पडऩे का सिलसिला तेज होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर जोशीमठ की स्थिति का दोबारा अध्ययन करने के लिए सचिव आपदा प्रबंधन डा सिन्हा की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की टीम गठित की गई।

टीम ने गुरुवार से जोशीमठ में स्थलीय निरीक्षण करने के साथ ही स्थानीय निवासियों से बातचीत की। शनिवार देर शाम टीम ने वापस लौटकर रिपोर्ट शासन को सौंपी। सचिव आपदा प्रबंधन डा सिन्हा के अनुसार रिपोर्ट की संस्तुतियों के आधार पर एहतियातन कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।

अर्धचंद्राकार आकार में लगभग 40 प्रतिशत क्षेत्र प्रभावित

डा सिन्हा के बताया कि जोशीमठ में औली रोड पर स्थित सुनील वार्ड से लेकर रविग्राम, मनोहरलाल बाग, सिंहद्वार, जेपी कालोनी, एटी नाला व अलकनंदा नदी तक अर्धचंद्राकार आकृति का करीब डेढ़ किलोमीटर का हिस्सा प्रभावित है। यह शहर का लगभग 40 प्रतिशत है और इसे ही आपदाग्रस्त क्षेत्र घोषित किया गया है।

सेना ने स्वयं खाली किया आवासीय परिसर

सचिव डा सिन्हा ने बताया कि सेना, आइटीबीपी, एनटीपीसी व जेपी कंपनी के परिसर के कुछेक हिस्से भी भूधंसाव वाले क्षेत्र की जद में है। सेना ने अपने आवासीय परिसर को खाली कर इसे अपने ही परिसर में सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया है। आइटीबीपी भी अपनी कालोनी खाली कर रही है, जबकि जेपी कंपनी ने भी अपने कुछ आवास खाली कर दिए हैं। एनटीपीसी भी इसकी तैयारी कर रहा है। उन्होंने बताया कि जोशीमठ में सेना, आइटीबीपी के पास पर्याप्त जगह है, जो सुरक्षित है।

पानी के नमूने जांच को भेजे

डा सिन्हा के अनुसार जोशीमठ में चल रहे टनल प्रोजेक्ट के कारण भी लोग भूधंसाव की आशंका जता रहे हैं, लेकिन अभी इसका अध्ययन नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि हेलंग की तरफ से बोरिंग विधि से टनल बनाई जा रही है, जबकि तपोवन की ओर से ड्रिल व ब्लास्ट विधि से। इससे कोई असर तो नहीं पड़ रहा, इसका अध्ययन कराया जाएगा।

उन्होंने बताया कि क्षेत्र में जेपी परिसर की तरफ जमीन से मिट्टीयुक्त पानी निकल रहा है। इस पानी के साथ ही टनल के पानी के नमूने लिए गए हैं। इन्हें जांच के लिए राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्था को भेजा गया है। इससे पता चल सकेगा कि इसमें कोई संबंध है अथवा नहीं।

आपात स्थिति में एयरलिफ्ट

सचिव आपदा प्रबंधन के अनुसार अभी तक एयरलिफ्ट की स्थिति नहीं है, लेकिन जरूरत पडऩे पर इसके लिए हेलीकाप्टर स्टैंडबाइ में हैं। बीमारी अथवा अन्य स्थिति में इनका उपयोग किया जा सकता है।

जल्द बनेंगे प्री-फैब्रिकेटेड घर

प्रभावितों के पुनर्वास के लिए प्री-फैब्रिकेटेड घरों के निर्माण के संबंध में सीबीआरआइ से प्रस्ताव मांगा गया है। यह 10 जनवरी तक मिल जाएगा। इसके बाद एकाध माह में ऐसे भवनों का निर्माण शुरू कराया जाएगा।

समिति ने की संस्तुतियां

  • भूधंसाव व दरारें पडऩे से क्षतिग्रस्त घर, होटल आदि को ध्वस्त कर हटाया जाए
  • शहर की धारण क्षमता के दृष्टिगत जियो टेक्निकल व जियो फिजिकल अध्ययन कराया जाए
  • जिन घरों में मामूली दरारेंं हैं, उनकी रेट्रोफिटिंग के लिए सीबीआरआइ की मदद ली जाए
  • शहर के जिन क्षेत्रों में भूधंसाव व दरारें पडऩे की समस्या नहीं है, वहां भवन निर्माण को बने गाइडलाइन
  • क्षेत्र में जिन स्रोतों से पानी निकल रहा है, उसके लिए हाईड्रोलाजिकल अध्ययन कराया जाए
  • भवनों को पहुंची क्षति के दृष्टिगत सीबीआरआइ से इसका आकलन कराया जाए
  • क्षेत्र में सिसमिक सेंसर लगाए जाएं, ताकि आसपास कहीं भी विस्फोट होने पर इसका पता चल सके
  • पिछले वर्ष अगस्त में गठित विशेषज्ञ कमेटी की ड्रेनेज प्लान समेत अन्य संस्तुतियों का अनुपालन कराया जाए

विशेषज्ञों की टीम में ये थे शामिल

सचिव आपदा प्रंबंधन डा रंजीत सिन्हा, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के डा पीयूष रौतेला, उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के शांतनु सरकार, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के प्रोफेसर बीके माहेश्वरी, भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के मनोज कायस्थ, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान की डा स्वप्नमिता चौधरी वैदेश्वरन, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की के डा गोपाल कृष्ण व एनडीआरएफ के सहायक कमाडेंट रोहिताश मिश्रा।

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