Joshimath: ...तो क्या पानी में घुल रहे हैं 'पहाड़', विशेषज्ञों की ताजा रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य
Joshimath जोशीमठ में भूधंसाव की खतरनाक होती जा रही स्थिति बताती है कि यहां की जमीन मौजूदा भार को वहन करने की स्थिति में नहीं है। रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात यह भी कही गई है कि न सिर्फ यहां की जमीन कमजोर है।
By Suman semwalEdited By: Nirmala BohraUpdated: Tue, 10 Jan 2023 09:50 AM (IST)
सुमन सेमवाल, देहरादूनः Joshimath Sinking: जोशीमठ में भूधंसाव की खतरनाक होती जा रही स्थिति बताती है कि यहां की जमीन मौजूदा भार को वहन करने की स्थिति में नहीं है। इसके वैज्ञानिक कारण भी एक बार फिर पुष्ट किए गए हैं।
राज्य सरकार को सौंपी गई विशेषज्ञों की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ की जमीन भूस्खलन के मलबे से बनी है।
हिमालय की उत्पत्ति के समय अस्तिस्त्व में ऐतिहासिक फाल्ट
रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात यह भी कही गई है कि न सिर्फ यहां की जमीन कमजोर है, बल्कि इसके नीचे से हिमालय की उत्पत्ति के समय अस्तिस्त्व में आया ऐतिहासिक फाल्ट मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) भी गुजर रहा है। जिसके चलते यहां भूगर्भीय हलचल होती रहती है और पहले से कमजोर सतह को इससे अधिक नुकसान होता है।यह भी पढ़ें: जोशीमठ में क्यों हो रहा भूधंसाव? 1976 से आई हर रिपोर्ट में जताई खतरे की आशंका, लेकिन नहीं हुआ अमल
विज्ञानियों ने संयुक्त रूप से तैयार की यह रिपोर्ट
- ''जियोलाजिकल एंड जियोटेक्निकल सर्वे आफ लैंड सब्सिडेंस एरियाज आफ जोशीमठ टाउन एंड सराउंडिंग रीजंस'' नामक रिपोर्ट में जोशीमठ की जमीन की पूरी क्षमता का विश्लेषण किया गया है।
- यह रिपोर्ट उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण समेत सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च आफ इंडिया, आइआइटी रुड़की, जीएसआइ व वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के विज्ञानियों ने संयुक्त रूप से तैयार की है।
- हाल में सरकार को सौंपी गई इस रिपोर्ट में जोशीमठ की जमीन के पत्थरों की प्रकृति भी बताई गई है।
- इसमें कहा गया है कि ऐतिहासिक फाल्ट लाइन के दोनों तरफ के क्षेत्र हेलंग फार्मेशन और गढ़वाल ग्रुप्स में पत्थरों की प्रकृति समान है। ये पत्थर क्वार्टजाइट और मार्बल हैं, जिनकी मजबूती बेहद कम होती है। इन पत्थरों में पानी के साथ घुलने की प्रवृत्ति भी देखने को मिलती है।
- जोशीमठ की जमीन का भीतरी आकलन किया जाए तो ऐतिहासिक फाल्ट लाइन एमसीटी के ऊपर मार्बल पत्थरों के साथ लूज (ढीला) मलबे की मोटी परत है और फिर इसके ऊपर जोशीमठ शहर बसा है।
- रिपोर्ट में मलबे की इस परत को भूस्खलन जनित बताया गया है। जिससे स्पष्ट होता है कि समय के साथ जो निर्माण कमजोर जमीन पर किए गए, वह अब ओवरबर्डन (क्षमता से अधिक बोझ) की स्थिति में आ गई है। यही कारण है कि यहां की जमीन धंस रही है और भवनों पर दरारें गहरी होती जा रही हैं।
1976 में मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट का भी हवाला
विशेषज्ञों की हालिया रिपोर्ट में वर्ष 1976 की मिश्रा कमेटी का जिक्र भी किया गया है। उस रिपोर्ट के हवाले से यह कहा गया है कि पूर्व में भी जोशीमठ के समय के साथ धरे-धीरे धंसने की आशंका व्यक्त की गई थी।साफ है कि जिस हालिया रिपोर्ट के बाद सरकार चौकन्नी दिख रही है, उसी तरह की बातों का जिक्र पूर्व में कई दशक पहले किया जा चुका था।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।