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Joshimath: भूधंसाव से जीवंत हुई यह तीन बड़ी चुनौतियां, सबक लेकर तैयार करना होगा विकास का मॉडल

Joshimath उत्तराखंड राज्य में पर्यावरण व प्राकृतिक आपदा पहले से ही बड़ी चुनौतियां हैं लेकिन जोशीमठ में भूधंसाव के मामले ने एक और नई चुनौती खड़ी कर दी है। जोशीमठ को लेकर सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती ऐतिहासिक जोशीमठ शहर और शहरवासियों को बचाने की है।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sat, 07 Jan 2023 12:45 PM (IST)
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Joshimath: जोशीमठ में भूधंसाव के मामले ने नई चुनौती खड़ी कर दी है।

टीम जागरण, देहरादून: Joshimath: अपनी भौगोलिक विभिन्नता के कारण उत्तराखंड राज्य में पर्यावरण व प्राकृतिक आपदा पहले से ही बड़ी चुनौतियां हैं, लेकिन जोशीमठ में भूधंसाव के मामले ने एक और नई चुनौती खड़ी कर दी है।

यह कहना है सोशल डेवलपमेंट फार काम्युनिटी फाउंडेशन के संस्‍थापक अनूप नौटियाल का। उनका है कि इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार को तीन स्तर पर न केवल व्यापक रूप से कार्य करना होगा, बल्कि जोशीमठ से सबक लेते हुए उत्तराखंड के विकास का मॉडल भी तैयार करना होगा।

सरकार से सामने हैं ये चुनौतियां

  • अनूप नौटियाल ने कहा कि जोशीमठ को लेकर सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती ऐतिहासिक जोशीमठ शहर और शहरवासियों को बचाने की है। सरकार को विस्थापन की महत्वकांक्षी योजना पर गंभीरता से कार्य करना चाहिए, क्योंकि सरकार के अधिकारिक बयान के अनुसार अभी तक जोशीमठ भूधंसाव के प्रभावित केवल 385 नागरिकों के पुनर्वास की व्यवस्था हो पाई है। यह जोशीमठ की कुल आबादी का मात्र तीन से चार प्रतिशत है।

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  • सरकार ने अभी तक पुनर्वास के लिए 70 कमरे, सात हाल एवं सभागार तैयार किए हैं, जो बहुत कम हैं। जबकि जोशीमठ की आबादी 20 से 22 हजार के बीच है।
  • सरकार को जोशीमठ से सीख लेते हुए प्रदेश में कहां-कहां और जोशीमठ पनप रहे हैं, इसकी तेजी से पड़ताल करनी होगी। अभी कर्णप्रयाग में भी भूधंसाव का मामला प्रकाश में आया है।
  • प्रदेश के 1600 गांवों में से करीब 400 गांव पुनर्वास की जद में हैं।
  • सरकार को प्रत्येक जनपद में ब्लाक स्तर पर ऐसे गांवों का सर्वे कराना चाहिए, जहां भूकटाव व भूधंसाव के मामले सामने आ रहे हैं। इससे जोशीमठ जैसे कई गांवों की वास्तविक तस्वीर सामने आ पाएगी।

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मेरी सरकार को राय है कि वह जोशीमठ के घटनाक्रम से सीख लेते हुए भूधंसाव की व्यापक स्तर पर उच्च स्तरीय जांच करे। क्या यह भूधंसाव एनटीपीसी की सुरंग के बनने से हुआ है, क्या आल वैदर रोड की कटिंग इसका कारण हो सकता है या फिर जोशीमठ में बिना प्लानिंग के बने बड़े-बड़े होटल भी इसकी एक वजह हो सकती है। मेरा मानना है कि सरकार यदि इन प्रमुख बिंदुओं पर फोकस करते हुए जोशीमठ प्रकरण की पड़ताल करे तो इससे उत्तराखंड के विकास का मॉडल तैयार हो सकता है।

-अनूप नौटियाल, संस्थापक, सोशल डेवलपमेंट फार काम्युनिटी फाउंडेशन

जोशीमठ में भधंसाव के मामले में लापरवाही बरती तो होगा आंदोलन

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, सीपीएम और नागरिक कल्याण मंच एवं जागरूक समिति ने चमोली जनपद के जोशीमठ में भूधंसाव से पैदा हो रही स्थिति से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर लोगों की मदद करने की मांग सरकार से की है।

उन्होंने कहा कि इसमें किसी प्रकार की हीलाहवाली बरती गई तो व्यापक आंदोलन किया जाएगा। विभिन्न संगठनों से जुड़े कार्यकर्त्ताओं ने हेमवती नंदन बहुगुणा मूर्ति स्थल पर सांकेतिक धरना देते हुए कहा कि जोशीमठ में काफी संख्या में स्थानीय लोगों के घरों में भूधंसाव से दरारें पड़ गई है।

ज्ञापन में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के जिला संयोजक सत्यवान सिंह राणा, महासचिव नरेश चन्द्र नौड़ियाल, सुरेंद्र सिंह रावत, सीटू के सचिव देवानंद नौटियाल, नागरिक कल्याण मंच के अध्यक्ष रघुवीर सिंह रावत, गिरीश बड़थ्वाल, गब्बर सिंह नेगी, भगवान सिंह रावत, विनोद चमोली, विजयमोहन रावत आदि के नाम शामिल हैं।

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