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Joshimath Sinking: फ‍िर बढ़ा जेपी कालोनी के पास फूटी जलधारा का प्रवाह, उत्‍तराखंड सरकार चिंतित

Joshimath Sinking भूधंसाव का दंश झेल रहे जोशीमठ शहर की जेपी कालोनी में फूटी जलधारा से पानी का प्रवाह बढ़ने से सरकार की चिंता भी बढ़ गई है। जलधारा में चार जनवरी को पानी का प्रवाह 550 एलपीएम था जो 13 जनवरी को घटकर 190 एलपीएम पर आ गया।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sat, 14 Jan 2023 10:41 PM (IST)
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Joshimath Sinking: जलधारा से पानी का प्रवाह बढ़ने से सरकार की चिंता भी बढ़ गई है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: Joshimath Sinking: भूधंसाव का दंश झेल रहे जोशीमठ शहर की जेपी कालोनी में फूटी जलधारा से पानी का प्रवाह बढ़ने से सरकार की चिंता भी बढ़ गई है। इस धारा में 24 घंटे पहले जल प्रवाह 190 एलपीएम (लीटर पर मिनट) था, जो अब बढ़कर 240 एलपीएम पहुंच गया है।

सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत कुमार सिन्हा ने शनिवार को हुई ब्रीफिंग में इसकी पुष्टि की और कहा कि जल प्रवाह बढ़ने के कारणों की तकनीकी एजेंसी जांच कर रही है। उन्होंने इस क्षेत्र में भूमि के भीतर बड़ा जलस्रोत होने की संभावना से इन्कार नहीं किया और कहा कि जांच के बाद ही इस बारे में स्थिति साफ हो सकेगी।

जोशीमठ के निचले हिस्से में मुख्य शहर से लगभग नौ किलोमीटर की दूरी पर मारवाड़ी में है जेपी कालोनी। इसी कालोनी में दो जनवरी को अचानक जलधारा फूटी थी। इससे निरंतर मटमैला पानी बह रहा है।

जलधारा के प्रवाह पर लगातार नजर रखी जा रही

जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव और भवनों में दरारें पड़ने का बड़ा कारण भी भूमि के नीचे पानी के रिसाव को माना जा रहा है। जलधारा में चार जनवरी को पानी का प्रवाह 550 एलपीएम था, जो 13 जनवरी को घटकर 190 एलपीएम पर आ गया। इससे क्षेत्रवासियों के साथ ही विशेषज्ञ भी राहत महसूस कर रहे थे, लेकिन शनिवार को फिर से इसमें तेजी आ गई और यह 240 एलपीएम रिकार्ड किया गया।

सचिव आपदा प्रबंधन डा सिन्हा के अनुसार जलधारा के प्रवाह पर लगातार नजर रखी जा रही है। क्षेत्र में बीते दिवस हल्की वर्षा हुई। इसे भी जलधारा के प्रवाह में बढ़ोत्तरी का कारण माना जा रहा है।

यह भी संभव है कि जमीन के भीतर पानी का कोई बड़ा स्रोत हो, जिससे ये जलधारा आ रही है। उन्होंने कहा कि जल प्रवाह बढ़ने के कारणों की तकनीकी एजेंसी जांच पड़ताल कर रही है। रविवार को वह स्वयं जोशीमठ में तकनीकी एजेंसी के विशेषज्ञों से इस संबंध में बातचीत करेंगे।

जलधारा का स्रोत पता लगाने में महत्वपूर्ण होगी यह रिपोर्ट

जलधारा के स्रोत का पता लगाने को लेकर सरकार की निगाह राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआइएच) की रिपोर्ट पर टिक गई है। यहां पांच स्थानों से पानी के नमूने लिए गए हैं। एनआइएच की दो प्रयोगशालाओं में इनकी जांच चल रही है। एक में जल की गुणवत्ता और दूसरी में स्रोत का पता लगाने का परीक्षण किया जा रहा है।

सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत सिन्हा के अनुसार एनआइएच की रिपोर्ट काफी महत्वपूर्ण होगी। इससे पता चल सकेगा कि जलधारा का स्रोत एनटीपीसी की निर्माणाधीन टनल है या कहीं और।

जेपी कालोनी में दो जनवरी को फूटी जलधारा से लगातार मिट्टी व रेतयुक्त पानी बह रहा है। इस बीच जोशीमठ में भूधंसाव व भवनों में दरारें पडऩे या पहले से पड़ी दरारों के चौड़ी होने का क्रम भी तेज हुआ। कुछ लोग ये आशंका जता रहे हैं कि इस जलधारा से बह रहे पानी का संबंध एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग से है। यद्यपि इसे लेकर अभी तक कोई साक्ष्य नहीं है।

जलधारा का एनटीपीसी की सुरंग से कोई वास्ता है या नहीं अथवा इसका स्रोत कहीं और है, इसका पता लगाने का जिम्मा एनआइएच को सौंपा गया है। अब सरकार की नजर भी एनआइएच की रिपोर्ट पर टिक गई है।

इससे जहां जलधारा के स्रोत को लेकर स्थिति स्पष्ट होगी, वहीं उपचारात्मक कदम भी इसी हिसाब से उठाए जाएंगे। सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत सिन्हा के अनुसार एनआइएच से अभी रिपोर्ट नहीं मिली है। उसे जल्द रिपोर्ट देने को कहा गया है, ताकि इसका अध्ययन करने के बाद आवश्यक कदम उठाए जा सकें।

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