Kanwar 2022 : हरियाणा से जल भरने पहुंचे ये 'भोले', पीठ पर लोहे के कुंडे फंसाकर खींच रहे डेढ़ कुंतल की कांवड़, तस्वीरें
Kanwar 2022 प्लंबर का काम करने वाले जोगिंदर ने बताया कि वह ताइक्वांडों के खिलाड़ी हैं और इस प्रकार कांवड़ ले जाने की प्रेरणा उन्हें अपने कोच देशराज से मिली है। कांवड़ यात्री जोगिंदर गुर्ज्जर सबके आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
By Nirmala BohraEdited By: Updated: Sun, 24 Jul 2022 10:12 AM (IST)
जागरण संवाददाता, हरिद्वार : Kanwar 2022 : कांवड़ मेले में आस्था के कई रंग देखने को मिल रहे हैं। आस्था और विश्वास से सराबोर अधिकांश कांवड़ यीत्रा कंधों पर कांवड़ उठाए चल रहे हैं तो कोई रेंगते हुए अपने अभिष्ट शिवालय जा रहा है। लौट रहे लाखों कांवड़ियों के बीच पीठ पर लोहे के कुंडे फंसाकर तथा उनके सहारे करीब डेढ़ कुंतल वजन की कांवड़ खींच अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे हरियाणा कैथल के केयोडक गांव के कांवड़ यात्री जोगिंदर गुर्ज्जर सबके आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं।
जोगिंदर कहते हैं, जैसे बजरंग बली ने सीना चीरकर अपने हृदय में साक्षात विराजमान भगवान श्रीराम के दर्शन सबको कराए थे। उसी प्रकार वह भगवान शिव की भक्ति में अपनी पीठ पर लोहे के कुंडे फंसाकर उसके जरिये कांवड़ को खींचते हुए ले जा रहे हैं। भगवान शिव का स्मरण करते रहने के कारण उन्हें दर्द भी महसूस नहीं होता है।
प्लंबर का काम करने वाले जोगिंदर ने बताया कि वह ताइक्वांडों के खिलाड़ी हैं और इस प्रकार कांवड़ ले जाने की प्रेरणा उन्हें अपने कोच देशराज से मिली है। वह हरियाणा बार्डर तक इसी प्रकार कांवड़ लेकर जाएंगे। इसके बाद स्वयं कांवड़ को मंदिर तक लेकर पहुंचेंगे। देशराज ने बताया कि इसी प्रकार कमर में कुंडे लगाकर उन्होंने वाल्मिीकि जयंती पर ट्रक खींचा था। इसके बाद उनके मन में इसी प्रकार हरिद्वार से कांवड़ ले जाने का विचार आया।
जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय ने शनिवार को कांवड़ मेला क्षेत्र के ऋषिकुल मालवीय घाट से लेकर सीसीआर तक भ्रमण किया। मुख्य कांवड़ मार्ग और व्यवस्था का जायजा लेते शंकराचार्य चौक, चंडी चौक, बिड़ला घाट स्थित टाट वाले बाबा की समाधि पहुंचे। वहां से पैदल संजू मेमोरियल ट्रस्ट, आनंदमयी सेवा सदन, होटल गंगा, भोलागिरि धर्मशाला, राजसत्ता गेस्ट हाउस होते प्राचीन श्री विष्णु मंदिर के पास पहुंचे। नगर आयुक्त को मौसम को देखते साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए।
डाक कांवड़ के अलग-अलग रंग मेले में नजर आ रहे हैं। मेरठ के शिवभक्तों की डाक कांवड़ पर लगे सबसे बड़े डीजे ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा है। यह डाक कांवड़ में सबसे बड़ा और महंगा डीजे सेट बताया जा रहा है। इस डीजे का रोजाना का खर्च 30 हजार रुपये है।
शनिवार को मेरठ से 24 डाक-कांवड़ यात्रियों का दल धर्मनगरी गंगाजल भरने पहुंचा। डीजे की धमक ने दूर-दूर तक सबको हिलाकर रख दिया। दल में शामिल कांवड़ यात्रियों ने बताया कि ट्रैक्टर और आठ पहियों की ट्राली पर डीजे को लगाया गया है। इसे चलाने के लिए 62 केवी का जनरेटर सेट लगाया गया है।जिलाधिकारी ने विष्णु घाट पर कांवड़ यात्रियों से बातचीत भी की। राम घाट पर पुराने साइनेज के स्थान पर नया साइनेज लगाने के निर्देश दिए। राम घाट से मोती बाजार, ठंडा कुंआ, बड़ा बाजार चौक, हरकी पैड़ी पैदल मार्ग, कुशाघाट, गऊ घाट आदि क्षेत्र का भी जायजा लिया। हाथी पुल के निकट रैन बसेरा होते बीईजी की ओर से स्थापित अस्थायी चौकी पहुंचे। वहां से मोटर बोट से पूरे क्षेत्र की सुरक्षा का जायजा लिया।
डाक कांवड़ यात्रियों के हजारों वाहन धर्मनगरी पहुंचने से शनिवार को हरिद्वार-ऋषिकेश हाईवे पूरी तरह पैक हो गया। हाईवे पर कई किलोमीटर लंबा जाम लगने से श्रद्धालु घंटों फंसे रहे। वाहनों का दबाव हर घंटे बढ़ने पर जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय के निर्देश पर दोपहर करीब तीन बजे हिल बाईपास मार्ग खोल दिया गया। तब जाकर नीलकंठ ऋषिकेश जाने वाले कांवड़ यात्रियों और स्थानीय निवासियों को कुछ राहत मिली।
कांवड़ यात्रा खत्म होने तक हिल बाईपास मार्ग सुबह से लेकर शाम तक खुला रहेगा। वहीं, हरकी पैड़ी के आसपास की पार्किंगें फुल होने पर वाहनों को बैरागी कैंप की तरफ भेजा गया। धर्मनगरी में डाक कांवड़ का रैला हर दिन बढ़ता जा रहा है। हालांकि वापसी का सिलसिला भी जारी है, लेकिन आने वाले यात्रियों की संख्या बहुत ज्यादा है।
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