Kargil Vijay Diwas: नैनीताल के मेजर राजेश की वीरगाथा, दिखाया था अदम्य साहस; सर्वोच्च बलिदान को मिला महावीर चक्र
Kargil Vijay Diwas शहर निवासी महावीर चक्र विजेता मेजर राजेश अधिकारी ने कारगिल युद्ध में अदम्य साहस व वीरता का परिचय देते हुए दुश्मन को देश की सीमा से खदेड़ दिया था। मेजर अधिकारी लड़ाई में घायल हो गए। लेकिन उन्होंने सब यूनिट को निर्देशित करना जारी रखा। 30 मई को मेजर राजेश अधिकारी देश के लिए बलिदान हो गए।
जागरण संवाददाता, नैनीताल। Kargil Vijay Diwas: शहर निवासी महावीर चक्र विजेता मेजर राजेश अधिकारी ने कारगिल युद्ध में अदम्य साहस व वीरता का परिचय देते हुए दुश्मन को देश की सीमा से खदेड़ दिया था। मेजर राजेश के नेतृत्व में 14 मई 1999 को सैनिकों की तीन टोलियों ने पाकिस्तान के घुसपैठियों को मार गिराया था। इस दौरान उन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया।
25 दिसंबर 1970 को नैनीताल में जन्मे मेजर राजेश अधिकारी 1993 में आइएमए देहरादून से पास आउट हुए थे। कारगिल जंग में मेजर राजेश को तोलोलिंग चोटी से पाकिस्तानी घुसपैठियों को भगाने की जिम्मेदारी दी गई। इसके लिए मेजर अधिकारी ने तीन टीमें तैयार करें। यूनिवर्सल मशीनगन के साथ उन्होंने दुश्मनों को कमजोर करते हुए बाहर निकाल दिया।
दो घुसपैठियों को मार गिराया
उन्होंने तुरंत राकेट लांचर टुकड़ी को दुश्मन से लोहा लेने के निर्देश दिए और बिना प्रतीक्षा किए वहां पहुंच गए। करीब चौथाई लड़ाई में दो घुसपैठियों को मार गिराया।मेजर राजेश ने अपनी मशीनगन टुकड़ी को पीछे की स्थिति को संभालने व दुश्मन को उलझाए रखने का आदेश दिया। इस दौरान मेजर अधिकारी लड़ाई में घायल हो गए। लेकिन उन्होंने सब यूनिट को निर्देशित करना जारी रखा।
साथ ही तोलोलिंग में दूसरे स्थान पर कब्जा करते हुए प्वाइंट 4590 पर भी कब्जा कर लिया। 30 मई को मेजर राजेश देश के लिए बलिदान हो गए। मेजर अधिकारी के भाई एसएस अधिकारी का भी कुछ माह पूर्व निधन हो गया। माता-पिता का पूर्व में ही निधन हो चुका है।
मेजर अधिकारी के नाम पर जीजीआइसी का नाम व कुमाऊं विवि के केंद्रीय पुस्तकालय का नामकरण किया गया है। दर्शनघर तल्लीताल में बलिदानी मेजर राजेश अधिकारी की प्रतिमा स्थापित की गई है।
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