Kedarnath Helicopter Crash : उड़ान पर निगरानी के लिए खटकती है ठोस व्यवस्था की कमी, अब एटीसी से होगा नियंत्रण
Kedarnath Helicopter Crash हेलीकाप्टर दुर्घटना के बाद यात्रियों की सुरक्षा पुख्ता करने के लिए विभिन्न स्तर पर चर्चा तेज हो गई है। मांग उठती रही है कि उड़ानों को नियंत्रित करने के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (एटीसी) की स्थापना की जाए।
जागरण संवाददता, देहरादूनः Kedarnath Helicopter Crash : केदारनाथ में हेलीकाप्टर दुर्घटना के बाद यात्रियों की सुरक्षा पुख्ता करने के लिए विभिन्न स्तर पर चर्चा तेज हो गई है। क्योंकि, वर्ष 2003 में इस क्षेत्र में हेली सेवाओं का संचालन शुरू होने के बाद से अब तक धरातल पर निगरानी और उड़ानों पर नियंत्रण की ठोस व्यवस्था नहीं बनाई जा सकी है।
सिर्फ यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर उड़ानों पर नियंत्रण के लिए नियम-कानून ही बनाए गए हैं, जबकि इनके पालन के लिए ठोस तंत्र अभी विकसित होना बाकी है। शासन स्तर से अभी डीजीसीए को इस संबंध में अनुरोध किया जा रहा है।
उड़ानों का आंकड़ा कई बार प्रतिदिन 260 से भी अधिक
केदारनाथ क्षेत्र में हेलीकाप्टर उड़ानों का आंकड़ा कई बार प्रतिदिन 260 से भी अधिक हो जाता है और 1500 से अधिक यात्री इनमें सफर करते हैं। ऐसे में लंबे समय से यह मांग उठती रही है कि उड़ानों को नियंत्रित करने के लिए जो नियम बनाए गए हैं, उनके पुख्ता पालन के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (एटीसी) की स्थापना की जाए।
उत्तराखंड के नागरिक उड्डयन विभाग के पूर्व प्रमुख अभियंता जी. सितैया भी इस बात को उचित मानते हैं। उनका कहना है कि वैसे तो सामान्य तौर पर हेली कंपनियां और उनके पायलट सुरक्षा को लेकर सजग रहते हैं, लेकिन थर्ड पार्टी स्तर से रियल टाइम निगरानी व नियंत्रण की व्यवस्था की जाए तो स्थिति को बेहतर बनाया जा सकता है।
क्योंकि, जब भी महानिदेशालय नागरिक उड्डयन (डीजीसीए) की टीम औचक निरीक्षण करती है तो कुछ न कुछ खामी जरूर पाई जाती है। इसके चलते हेली कंपनियों पर जुर्माना भी लगाया जाता रहा है। उनका कहना है कि एटीसी की स्थापना के बाद यह नौबत नहीं आएगी।
वहीं, शासन स्तर से अब इस तरह के तंत्र को विकसित करने की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए डीजीसीए से अनुरोध भी किया जा रहा है। सचिव नागरिक उड्डयन दिलीप जावलकर का कहना है कि इस संबंध में विचार किया जा रहा है।
रुद्रप्रयाग में कोई बर्न यूनिट नहीं
केदारनाथ क्षेत्र में ताबड़तोड़ हेली सेवाओं के संचालन के बाद भी यात्रियों की सुरक्षा को लेकर तंत्र अभी उतना सजग नहीं दिखता। दुर्घटना के बाद अक्सर हेलीकाप्टर में आग लग जाती है। यदि इस तरह के हादसों में कोई व्यक्ति जीवित है और आग से प्रभावित है तो उसके उपचार के लिए पूरे रुद्रप्रयाग जिले में कोई बर्न केयर यूनिट नहीं है।
वर्ष 2013 में आई आपदा के बाद सरकार ने केदारघाटी में आधुनिक सुविधाओं वाले अस्पताल की स्थापना की घोषणा की थी। इसके लिए जमीन की खोजबीन भी शुरू की गई थी, लेकिन समय के साथ यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया।