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Kedarnath Helicopter Crash: हेलीकाप्टर, पहाड़ और बादलों का दुर्योग पल-पल लेता है परीक्षा, अचानक बदलता है मौसम

Kedarnath Helicopter Crash हेलीकाप्टर पहाड़ और बादलों का दुर्योग पल-पल परीक्षा लेता है। केदारघाटी में हेलीकाप्टर क्रैश के पीछे अचानक बादल आने को भी वजह माना जा रहा है। केदारनाथ क्षेत्र में मौसम अचानक करवट लेता है और बादल घिर आते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Sunil NegiUpdated: Wed, 19 Oct 2022 01:06 AM (IST)
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केदारघाटी जैसे उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हेलीकाप्टर, पहाड़ और बादलों का दुर्योग पल-पल पायलट की परीक्षा लेता है।
जागरण संवाददाता, देहरादूनः Kedarnath Helicopter Crash: हेलीकाप्टर की उड़ान से पहले पायलट सुरक्षा के सभी मानकों का पालन करते हैं। मौसम की पल-पल की जानकारी ली जाती है, लेकिन केदारघाटी जैसे उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हेलीकाप्टर, पहाड़ और बादलों का दुर्योग पल-पल पायलट की परीक्षा लेता है। पहाड़ और बादलों की इस चुनौती से पार पाना हमेशा आसान नहीं रहता। देश के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत के हेलीकाप्टर क्रैश में भी ऐसा ही दुर्योग सामने आया था।

मौसम की जानकारी को नहीं किया जा सकता नजरंदाज

इस तरह की विकट परिस्थितियों को बदला नहीं जा सकता। तो फिर कैसे इन चुनौतियों से पार पाकर सुरक्षित उड़ान भरी जा सकती है? इसका जवाब देते हुए उत्तराखंड के नागरिक उड्डयन विभाग के पूर्व प्रमुख अभियंता जी सितैया कहते हैं कि केदारनाथ क्षेत्र में उड़ान भरने के लिए मौसम की जानकारी को जरा भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता। जो भी कंपनी केदारनाथ क्षेत्र में हेली सेवाओं का संचालन कर रही हैं, उनके पायलट इन बातों का पूरा ख्याल रखते भी हैं।

अचानक बदल जाता है मौसम

सबसे अधिक दिक्कत यह आती है कि केदारघाटी में उड़ान भरने के बाद अचानक मौसम बदल जाता है और हेलीकाप्टर के सामने बादल आ जाते हैं। यह स्थिति बेहद खतरनाक होती है। कई बार पायलट इससे बचने के लिए अतिरिक्त प्रयोग करते हैं, लेकिन विषम परिस्थितियों में निर्णय हर बार साफल नहीं होते हैं।

विंडो की तरह ही करना चाहिए मूव

इस स्थिति में उड़ान स्थगित कर आगे नहीं बढ़ना चाहिए। या जिस तरफ विंडो (बिना बादल वाला हवाई क्षेत्र) दिख रही है, वहां मूव करना चाहिए। केदारघाटी में हुए इस क्रैश में बादलों की उपस्थिति अहम कारण दिख रही है। हालांकि, इसके अलावा हेलीकाप्टर की तकनीकी स्थिति व यात्रियों की संख्या की भी पड़ताल जरूरी है।

नागरिक उड्डयन विभाग के पूर्व प्रमुख अभियंता जी सितैया का यह भी कहना है कि विषम परिस्थितियों वाली उड़ान में बेहद कुशल पायलटों से ही उड़ान करानी चाहिए। केदारघाटी की ही बात की जाए तो यहां न सिर्फ मौसम व पहाड़ की चुनौती हर पल खड़ी रहती है, बल्कि यहां सामने से भी दूसरे हेलीकाप्टर आते रहते हैं।

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एक मिनट में मौसम में बड़े बदलाव का अंदेशा कम

इस दुर्घटना में यह बात भी सामने आ रही है कि उड़ान भरने के एक मिनट के भीतर ही हेलीकाप्टर क्रैश हो गया। यानी जो मौसम उड़ान भरने की अनुमति दे रहा था, वह उसमें इतने सूक्ष्म अंतराल में बड़ा बदलाव आ गया। इस पर पूर्व प्रमुख अभियंता जी सितैया कहते हैं कि केदारनाथ में मौसम तेजी से बदलता है, लेकिन इतने कम अंतराल में भारी बदलाव आने की आशंका कम ही है। इस बात पर भी जांच की जानी चाहिए कि कहीं खराब मौसम में ही तो उड़ान भरने का खतरा तो नहीं उठाया गया।

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