Kedarnath Helicopter Crash : केदारनाथ अभयारण्य में हेलीकाप्टरों की गड़गड़ाहट से बिदकते हैं बेजबान
Kedarnath Helicopter Crash केदारनाथ अभयारण्य में हेलीकाप्टरों की गड़गड़ाहट से बेजबान जानवर बिदकते हैं। इस क्षेत्र में 600 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान का मानक है। कई बार इसका उल्लंघन होता है। केदारनाथ वन प्रभाग के डीएफओ ने ऐसी तीन उड़ानों के मामले में नोटिस जारी किए थे।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: Kedarnath Helicopter Crash: विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड में हेलीकाप्टर सेवाओं की उपयोगिता किसी से छिपी नहीं है, लेकिन यह भी सही है कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में उड़ान के नियमों की अनदेखी से वन्यजीवन में खलल पड़ रहा है।
तीन उड़ानों को जारी किए थे नोटिस
केदारनाथ अभयारण्य भी इससे अछूता नहीं है। यात्राकाल में केदारनाथ धाम के लिए हेलीकाप्टरों के ऊंचाई के तय मानकों से नीचे उड़ान भरने और इनकी गड़गड़ाहट से बेजबान बिदक रहे हैं। केदारनाथ वन प्रभाग के डीएफओ ने हाल में ही ऐसी तीन उड़ानों के मामले में नोटिस जारी किए थे। इससे पहले भी हेली सेवा प्रदाता कंपनियों को नोटिस जारी हुए थे।
लगभग 97 हजार हेक्टेयर में फैले केदारनाथ अभयारण्य में हेलीकाप्टरों की बेहद नीची उड़ान का मामला वर्ष 2014-15 में तूल पकड़ा था। इसके बाद भारतीय वन्यजीव संस्थान ने अध्ययन कर इस उच्च हिमालयी क्षेत्र में उड़ानों के संबंध में निश्चित ऊंचाई तय करने समेत अन्य कई सुझाव दिए थे।
बाद में ये सुझाव इस क्षेत्र में हेली सेवाओं की उड़ान की गाइडलाइन में शामिल कर दिए गए। बावजूद इसके हेेलीकाप्टर तय मानकों की अनदेखी करते आए हैं। वन विभाग की ओर से जारी किए जाने वाले नोटिस इस बात का उदाहरण हैं।
इन मानकों का हो रहा उल्लंघन
गाइडलाइन के अनुसार इस क्षेत्र में मंदाकिनी नदी के तट से 600 मीटर ऊपर उडऩे की अनुमति है। यह मार्ग बेहद संकरा होने के कारण वहां एक बार में केवल दो हेलीकाप्टर ही आ-जा सकते हैं। शाम के समय ये उड़ान नहीं भरेंगे। इन मानकों के अक्सर उल्लंघन की शिकायतें आ रही हैं।
नीची उड़ानों और कानफोडू शोर के कारण इस क्षेत्र में कस्तूरा मृग, हिम तेंदुआ, भरल, थार, भालू, राज्यपक्षी मोनाल, फीजेंट समेत अनेक वन्यजीवों व पक्षियों पर असर पड़ रहा है। हाल में अलग-अलग तिथियों पर तीन हेलीकाप्टरों ने इस क्षेत्र में काफी नीचे उड़ान भरी थी। इस पर केदारनाथ वन प्रभाग के डीएफओ इंद्र सिंह नेगी ने नोटिस जारी किए थे।
- डा समीर सिन्हा (मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड) का कहना है कि केदारनाथ दुर्गम क्षेत्र है और समय-समय पर यहां संचालित हेली कंपनियों को चेतावनी जारी की जाती है। हेलीकाप्टर की उड़ानों में ये आवश्यक है कि ये निर्धारित मानकों का पालन करें। साथ ही पर्यावरणीय मानकों का उल्लंघन भी न हो।
- एनबी शर्मा (सेवानिवृत्त डीएफओ नंदादेवी नेशनल पार्क) का कहना है कि जितनी नीची उड़ान होगी, उससे उतना ही अधिक वन्यजीवन में खलल पड़ेगा। ऐसे में यह आवश्यक है कि हेलीकाप्टर कंपनियां तय नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें। इसके लिए तंत्र को सक्रियता से कदम उठाने होंगे।
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रोपवे बनने पर कम होगी निर्भरता
केदारनाथ धाम के लिए सोनप्रयाग से केदारनाथ तक के लिए केंद्र सरकार रोपवे की स्वीकृति दे दे चुकी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 21 अक्टूबर को केदारनाथ आगमन पर इसकी आधारशिला रखेंगे। केदारनाथ रोपवे बनने पर इस क्षेत्र में हेली सेवाओं पर निर्भरता कम होगी। साथ ही साढ़े ग्यारह किलोमीटर लंबे इस रोपवे से यात्री इस क्षेत्र में प्रकृति के नयनाभिराम दृश्यों का आनंद भी लेंगे।
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