Kedarnath Tragedy: 2013 में आई प्रलय के बाद बदल गई है केदारनाथ की तस्वीर, बेहतर संपर्क सुविधाओं से बढ़ा आकर्षण
Kedarnath Tragedy प्रदेश में 16 जून 2013 को आई आपदा के बाद केदार घाटी का स्वरूप काफी बदल गया था। इसके बाद से ही सरकार केदारधाम धाम व केदार घाटी के पुनर्निर्माण की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Thu, 15 Jun 2023 03:44 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश सरकार केदारनाथ यात्रा को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए लगातार कदम उठा रही है। इस कड़ी में सरकार का ध्यान इस समय संपर्क मार्गों को बेहतर बनाने पर केंद्रित है। सरकार के ये प्रयास परवान चढ़ने पर निश्चित रूप से आने वाले वर्षों में केदारनाथ यात्रा का स्वरूप काफी बेहतर हो जाएगा।
प्रदेश में 16 जून 2013 को आई आपदा के बाद केदार घाटी का स्वरूप काफी बदल गया था। इसके बाद से ही सरकार केदारधाम धाम व केदार घाटी के पुनर्निर्माण की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इस समय केदारनाथ को जाने वाले मार्गों को दुरुस्त कर दिया गया है। अब इन्हें और सुगम बनाने की तैयारी चल रही है। इस कड़ी में कई योजनाएं बनाई गई है।
केदारनाथ रोपवे परियोजना
केदारनाथ रोपवे एक बहुउद्देशीय परियोजना है। गत वर्ष अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया था। यह रोपवे सोनप्रयाग से केदारनाथ के बीच बनाया जाएगा। लगभग 9.7 किमी लंबाई की इस रोपवे परियोजना की लागत 1267 करोड़ रुपये आंकी गई है। रोपवे बनने के बाद सोनप्रयाग से केदारनाथ का सफर महज 25 से 30 मिनट में पूरा हो जाएगा। अभी इसकी पैदल दूरी 16 किमी है, जिसे पूरा करने में यात्रियों को चार से पांच घंटे लगते हैं।इस रोप वे निर्माण की जिम्मेदारी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधीन नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) ने एक कंपनी को सौंपी है। इस रोपवे में 22 टावर लगाए जाने प्रस्तावित है। इसमें गौरीकुंड, चीरबासा, लिनचोली और केदारनाथ में चार स्टेशन भी बनाए जाएंगे। परियोजना को वर्ष 2026 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है।
सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच फ्लाईओवर ब्रिज
केदारनाथ में जून 2013 की आपदा ने केदारनाथ के साथ ही गौरीकुंड व सोनप्रयाग के बीच भारी तबाही मचाई थी। सोनप्रयाग से आगे गौरीकुंड तक हाईवे का पूरी तरह नामोनिशान मिट गया था। साथ ही सोनप्रयाग कस्बे का 70 फीसदी हिस्सा भी बाढ़ की भेंट चढ़ गया था। ऐसे में सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच 750 मीटर लंबे फ्लाईओवर ब्रिज का निर्माण प्रस्तावित किया गया।दरअसल, गौरीकुंड से सोनप्रयाग के बीच हाईवे सिंगल लेन है, जिस कारण यहां नियंत्रित तरीके से वाहनों की आवाजाही होती है। इस मार्ग पर भारी यातायात को देखते हुए गौरीकुंड से सोनप्रयाग को जोड़ने के लिए 500 करोड़ की लागत से फ्लाईओवर ब्रिज बनाने का निर्णय लिया गया। इस पर जल्द काम शुरू होने की उम्मीद है।
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