उत्तराखंड: कृषि कानून वापस लेने की घोषणा पर बोली कांग्रेस, किसान एकता और पार्टी नेतृत्व की हुई जीत
तीन कृषि कानून वापस लेने की घोषणा को किसान एकता और कांग्रेस पार्टी नेतृत्व की जीत करार दिया है। वहीं कांग्रेस ने मांग की है कि आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को शहीद का दर्जा दिया जाए।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sat, 20 Nov 2021 11:31 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून। कांग्रेस ने केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानून वापस लेने की घोषणा को किसान एकता और कांग्रेस पार्टी नेतृत्व की जीत करार दिया है। कांग्रेस ने मांग की है कि आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को शहीद का दर्जा दिया जाए। कांग्रेस ने किसानों का ऋण माफ करने और किसानों की आय दोगुना करने के दावों पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
कृषि कानून को लेकर कांग्रेस प्रदेश में शुरू से ही मुखर रही है। अब जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है तो कांग्रेस इसका श्रेय किसानों के साथ ही पार्टी नेतृत्व को भी दे रही है। कांग्रेस प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा कि किसानों के संघर्ष व बलिदान के बाद अगर एक ऐसे कानून को वापस लिया गया, जिसकी मांग पहले से ही थी, तो यह बड़ी बात नहीं है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने ट्रैक्टर पर बैठकर किसानों की समस्याओं को उठाया था। भाजपा की आदत हो गई है कि समस्याओं को बनाओ, बढ़ाओ और फिर छूट देकर वाहवाही लूटो।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि भारी दबाव के कारण केंद्र सरकार को कृषि कानून वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा। ये जीत किसान एकता और राहुल गांधी के इरादों की जीत है। कांग्रेस चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस सदन में इस पर सीधी लड़ाई लड़ रही है। कांग्रेस की मांग है कि सरकार सदन में प्रस्ताव लाकर इन बिलों को रद करे। किसानों को नुकसान का मुआवजा दिया जाए। सरकार भरोसा दे कि भविष्य में इस तरह का कानून नहीं लाया जाएगा। कांग्रेस किसानों की कर्ज माफी के लिए लड़ती रहेगी।
नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि देर आए, दुरुस्त आए। कुछ प्रश्न अभी भी हैं। क्या ये कानून सिर्फ इसलिए वापस लिए गए कि पांच राज्यों में चुनाव हैं। जब-जब भी चुनाव होते हैं तब केंद्र सरकार रंग बदल लेती है। सरकार बताए कि किसानों का ऋण कब माफ होगा और किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य कैसे पूरा किया जाएगा।यह भी पढें- उत्तराखंड में विपक्ष के हाथ से फिसला किसानों का मुद्दा, इन दो जिलों में 16 विधानसभा सीटें हैं किसान बहुल
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