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जानें- शहीद मेजर विभूति के बारे में, जिन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से किया गया सम्मानित; पांच आतंकवादियों को मार गिराया था

विभूति शंकर ढौंडियाल को एक आपरेशन में उनकी भूमिका के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। इस आपरेशन के दौरान उन्होंने न सिर्फ पांच आतंकवादियों को मार गिराया था बल्कि 200 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री भी बरामद की थी।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Mon, 22 Nov 2021 09:35 PM (IST)
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जानें- शहीद मेजर विभूति के बारे में, जिन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से किया गया सम्मानित।
जागरण संवाददाता, देहरादून। मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को एक आपरेशन में उनकी भूमिका के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। इस आपरेशन के दौरान उन्होंने न सिर्फ पांच आतंकवादियों को मार गिराया था, बल्कि 200 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री भी बरामद की थी। आज उनकी पत्नी लेफ्टिनेंट नितिका कौल और मां ने राष्ट्रपति से पुरस्कार ग्रहण किया।

जानिए मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल के बारे में

मेजर विभूति ढौंडियाल...ये वो शख्सियत है, जिसे देश के रक्षा के आगे और कुछ नहीं दिखता था। डर उनके लिए कुछ था ही नहीं। बचपन से ही उन्होंने देश की रक्षा का ख्वाब बुनना शुरू कर दिया था और अपनी मंजिल तक भी पहुंचे। इस वीर सपूत ने हंसते-हंसते देश के लिए अपनी जान दे दी। एक हमले के दौरान शहीद हुए मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल का जन्म 19 फरवरी 1985 को हुआ था। उनके पिता ओमप्रकाश ढौंडियाल का वर्ष 2012 में देहांत हो चुका है। वे कंट्रोलर ऑफ डिफेंस अकाउंट्स (सीडीए) में सेवारत रहे। उनकी मां सरोज और दादी देहरादून में रहती हैं। शहीद ढौंडियाल तीन बहनों के इकलौते भाई थे।

बचपन में ही देख लिया था सेना में जाने का ख्वाब

उनकी दसवीं तक की पढ़ाई देहरादून के प्रतिष्ठित सेंट जोजफ्स एकेडमी से की, जबकि उन्होंने साल 2000 में दसवीं उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने 12वीं की परीक्षा पाइनहॉल स्कूल से पास की। विभूति ने बचपन से ही फौजी बनने का सपना देखा था, लेकिन इसमें वे कई बार असफल हुए। राष्ट्रीय मिलिट्री एकेडमी में प्रवेश नहीं मिलने पर भी उन्होंन हार नहीं मानी और कोशिश करते रहे। फिर साल 2011 में ओटीए से पासआउट होकर वह सेना का हिस्सा बने।

घर आते ही सुनाते थे आपरेशन के रोमांचक किस्से 

मेजर विभूति के बचपन के दोस्त मयंक खडूड़ी ने बताया था कि विभूति को हमेशा नेतृत्व करने का शौक था। छुट्टी के दौरान देहरादून आने पर वे हमेशा अपने आपरेशन के किस्से रोमांच के साथ सुनाते थे।। 55-राष्ट्रीय राइफल्स का हिस्सा रहते हुए शहीद हुए मेजर विभूति के लिए डर नाम की कोई चीज ही नहीं थी।

जानिए किस से मिली थी सेना में जाने की प्रेरणा

मेजर विभूति ढौंडियाल के मामा और बहनोई भी सेना में हैं और इन दोनों से उन्हें काफी प्रेरणा मिली। यह भी एक बड़ी वजह थी विभूति ने कई बार असफल होने के बाद भी कोशिश नहीं छोड़ी और अपने उस सपने को पूरा किया, जिसे वे बचपन से देखते आ रहे थे।

पत्नी निकिता भी चली विभूति की राह पर

नितिका कौल की शादी 19 अप्रैल 2018 को मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल के साथ हुई थी। उनके वैवाहिक जीवन को 10 महीने ही हुए थे कि मेजर विभूति कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए। ऐसे मुश्किल दौर में भी नितिका ने हार नहीं मानी। उन्होंने न सिर्फ खुद को संभाला, बल्कि स्वजन को भी हिम्मत दी। उन्होंने तय कर लिया था वह विभूति के सपने के साथ ही आगे बढ़ेंगी। नितिका इसी साल 29 मई को सेना में अफसर बनीं। वे ओटीए (ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी) चेन्नई से पासआउट होकर वह पति की राह पर बढ़ती चली गई।

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