जानिए दादी सा की उस अधूरी ख्वाहिश के बारे में, जिसकी वजह से उनकी आंखों में आ गए थे आंसू
उत्तराखंड में अपनी जिंदगी गुजारने वाली फिल्म और टीवी इंडस्ट्री की दिग्गज कलाकार सुरेखा सीकरी का यहां से बेहद खास रिश्ता था। उनके साथ बालिका वधू में सांची का किरदार निभा चुकी टीवी कलाकार रूप दुर्गापाल ने बताया इस सीरियल में उन्होंने सुरेखा के साथ काम किया।
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में अपनी जिंदगी गुजारने वाली फिल्म और टीवी इंडस्ट्री की दिग्गज कलाकार सुरेखा सीकरी का यहां से बेहद खास रिश्ता था। उनके साथ बालिका वधू में सांची का किरदार निभा चुकी टीवी कलाकार रूप दुर्गापाल ने बताया कि इस सीरियल में उन्होंने सुरेखा सीकरी के साथ वर्ष 2012 से 2015 तक काम किया। बकौल रूप दुर्गापाल, कुछ साल पहले जब उनकी मुलाकात हुई तो सुरेखा ने पूछ लिया कि कहां से हो। मैंने उत्तराखंड के अल्मोड़ा का जिक्र किया। मुझे लगा कि उन्हें अल्मोड़ा के बारे में ज्यादा पता नहीं होगा, लेकिन उन्होंने अल्मोड़ा के कई जगहों के नाम गिना दिए और उनकी आंखों में आंसू आ गए। तब दादी सा ने बताया कि उनका बचपन भाई-बहनों के साथ अल्मोड़ा में ही बीता। उनकी इच्छा दोबारा अल्मोड़ा आने की थी। उन्होंने कहा भी था कि जल्द ही अल्मोड़ा जाऊंगी, ताकि बचपन के दिन याद कर सकूं, लेकिन उनकी ये इच्छा अधूरी रह गई।
19 अप्रैल 1945 में जन्मी सुरेखा सीकरी का 75 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनको उत्तराखंड से बेहद लगाव था और भला होता भी क्यों न, उनका बचपन यहीं जो बीता था। उनके पिता एयरफोर्स, जबकि मां शिक्षिका थी। कुछ सालों बाद परिवार अल्मोड़ा आ गया तो चार भाई बहनों के साथ सुरेखा ने यहीं जीवन बिताया। इसके बाद 1964 में वह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एक्टिंग के लिए दिल्ली चली गईं। अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1978 में फिल्म किस्सा कुर्सी से की। 1989 में उन्हें संगीत नाटक एकेडमी अवार्ड से नवाजा गया। इसके बाद सरदारी बेगम, सरफरोश, बधाई हो आदि फिल्मों व कई टीवी सीरियल में काम किए। टीवी सीरियल बालिका वधू में उनका दादी सा का किरदार घर- घर में इतना प्रसिद्ध हुआ कि लोग उन्हें दादी सा के नाम से पहचानने लगे।
जब दादी सा की आंखों में आ गए थे आंसू
बालिका वधू में सांची का किरदार निभा चुकी टीवी कलाकार रूप दुर्गपाल ने बताया कि इस सीरियल में उन्होंने सुरेखा सीकरी यानी दादी सा के पोते की बहू का किरदार निभाया। वर्ष 2012 से 2015 तक उन्होंने दादी के साथ काम किया। बताया कि दादी यानी सुरेखा सीकरी अपने बचपन के दिनों को याद करने के लिए अल्मोड़ा आना चाहती थी। कुछ साल पहले जब उनकी मुलाकात शो खत्म होने के बाद हुई उन्होंने पूछा कि कहां से हो तो मैने उत्तराखंड के अल्मोड़ा का जिक्र किया। मुझे लगा कि उन्हें अल्मोड़ा के बारे में ज्यादा पता नहीं होगा, लेकिन उन्होंने वहां की कई जगहों के नाम गिनाए और आंखों में आंसू आ गए।
अल्मोड़ा आकर बचपन को फिर याद करने की ख्वाहिश रहेगी अधूरी
सुरेखा ने कहा था कि उनका बचपन भाई-बहनों के साथ वहीं बीता। लंबा समय हो गया, इसलिए जल्द ही अल्मोड़ा जाऊंगी ताकि बचपन के दिन याद हो सके। रूप दुर्गपाल ने बताया कि सुरेखा सीकरी से उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला और बालिका वधू सीरियल मेरे लिए एक्टिंग इंस्टीट्यूट की तरह था। वह बेहतर और दूसरों को प्रोत्साहित करती थीं, जब भी मिलती थी तो अपना अल्मोड़ा कनेक्शन की जरूर याद दिलाती। इतना कर्मठ थी कि पति की मौत के अगले दिन से ही शूटिंग पर आ गई और अपनी डायलॉग की लाइन में किसी तरह की रुकावट देखने को नहीं मिली। उम्रदराज होने के बाद भी उनका किरदार को कभी भुलाया नहीं जा सकता, आज भी हम उन्हें दादी से ही याद करते हैं।