उत्तराखंड के कण कण में है शंकर, जानिए यहां के प्रमुख शिव मंदिरों के बारे में
उत्तराखंड के कण कण में शिव शंकर हैं। यहां छोटे से लेकर कई बड़े शिवालय हैं। सावन का महीना हो या महाशिवरात्रि यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है। आइए आपको हम उत्तराखंड के कुछ प्रमुख शिव मंदिरों के बारे में बताते हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 26 Feb 2022 03:28 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना है। यहां कण कण में देवी देवताओं का वास है। इतना ही नहीं यहां देवों देव महादेव भी विराजमान हैं। यहां 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल बाबा केदार का धाम केदानाथ का मंदिर भी है। आइए आपको उत्तराखंड के ऐसे कुछ प्रमुख शिव मंदिरों के बारे में बताते हैं।
1 केदारनाथ धाम
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित है केदारनाथ धाम। यह देश के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां भगवान शिव लिंग रूप में विराजमान हैं। स्कंद पुराण के केदार खंड में इसका उल्लेख हुआ है। कहा जाता है कि पांडवों के वंशज जन्मेजय ने केदारनाथ मंदिर की स्थापना की थी। मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली में हुआ है। बाद में आदि शंकराचार्य ने इसका जीर्णोद्धार कराया। हलांकि, यह मंदिर छह माह के लिए श्रद्धालुओं के लिए खुलता है। शीतकाल में इसके कपाट बंद रहते हैं।
2 जागेश्वर धामउत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद में स्थित है जागेश्वर धाम। ऐसा कहा जाता है कि यह प्रथम मंदिर है, जहां लिंग के रूप में शिव पूजन की परंपरा सबसे पहले शुरू हुई। इसे भगवान शिव की तपस्थली माना जाता है। इस मंदिर को योगेश्वर नाम से भी जाना जाता है। इसका उल्लेख स्कंद पुराण, शिव पुराण और लिंग पुराण में भी मिलता है।
3 गोपीनाथ मंदिरउत्तराखंड के चमोली जिले के गोपेश्वर में स्थित है गोपीनाथ मंदिर। यहां मंदिर परिसर में भगवान शिव का त्रिशूल है। मान्यता है कि त्रिशूल पर इतनी शक्ति है कि कितना भी बलशाली इसे हिला नहीं सकता है। यदि तर्जनी अंगुली त्रिशूल पर एकाग्र होकर लगाई जाए तो यह कंपन करने लगता है। मंदिर के अंदर जाने के लिए 24 पौराणिक दरवाजे हैं। मान्यता है कि भगवान शिव ने यहां पर कामदेव को भस्म किया था।
4 विश्वनाथ मंदिरउत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में भागीरथी नदी के किनारे स्थित है प्राचीन विश्वनाथ मंदिर। प्राचीन समय में उत्तरकाशी को विश्वनाथ नगरी कहा जाता था। केदारखंड में ही बाड़ाहाट में विश्वनाथ मंदिर का उल्लेख मिलता है। पुराणों में इसे सौम्य काशी भी कहा गया है।
5 टपकेश्वर महादेव मंदिरउत्तराखंड के देहरादून जनपद में शहर से करीब छह किलोमीटर दूर गढ़ी कैंट छावनी क्षेत्र में तमसा नदी के तट पर स्थित है ऐतिहासिक श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर। महाभारत काल से पूर्व गुरु द्रोणाचार्य के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दर्शन दिए। गुरु द्रोण के अनुरोध पर ही भगवान शिव जगत कल्याण को लिंग के रूप में स्थापित हो गए। इसके बाद द्रोणाचार्य ने शिव की पूजा की और अश्वत्थामा का जन्म हुआ।
6 दक्षेश्वर महादेव मंदिरउत्तराखंड के हरिद्वार जनपद के कनखल में दक्षेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। भगवान शिव का यह मंदिर सती के पिता राजा दक्ष प्रजापित के नाम पर है।
7 बाबा बागनाथ मंदिरउत्तराखंड के बागेश्वर जनपद में सरयू-गोमती नदियों के संगम पर स्थित है प्रसिद्ध शिवालय बागनाथ मंदिर है। यह मंदिर चंदवंशीय राजा लक्ष्मीचंद ने वर्ष 1602 में निर्मित करवाया था। बाघ एवं गाय रूपी शिव और पार्वती ने मार्कंडेय मुनि के समक्ष अपने वास्तविक रूप में प्रकट हो गए। इसे व्याघ्रेश्वर कहा जाने लगा जो कालांतर में बागनाथ बना।
8 बूढ़ाकेदार धाम उत्तराखंड में टिहरी जिले में स्थित है प्रसिद्ध धाम बूढ़ाकेदार धाम। मान्यता है कि यहां का शिवलिंग पूरे उत्तर भारत में सबसे विशाल है। यह शिव मंदिर धर्म गंगा और बाल गंगा के संगम पर स्थित है। मान्यता है कि ब्रह्मा ने ब्रम्हांड की रचना करने से पहले यहां तप किया था।यह भी पढ़ें:- Mahashivratri 2022 : भगवान शिव को क्यों प्रिय हैं जल, दूध, दही जैसी शीतल चीजें, जानिए जलाभिषेक के सारे नियम
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