ये एक गलती उत्तराखंड के छह बाल विकास परियोजना अधिकारियों पर पड़ी भारी, रोका गया वेतन
अति महत्वाकांक्षी योजना के प्रति भी अधिकारियों का टालने का रवैया दूर नहीं हो रहा। बार-बार चेताने के बाद भी जब अधिकारियों ने योजना की प्रगति नहीं बढ़ाई तो जिला कार्यक्रम अधिकारी डा. अखिलेश मिश्रा ने जिले के सभी छह बाल विकास परियोजना अधिकारियों का वेतन रोक दिया है।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Tue, 28 Dec 2021 09:04 AM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून। प्रधानमंत्री मातृ वंदना जैसी अति महत्वाकांक्षी योजना के प्रति भी अधिकारियों का टालने का रवैया दूर नहीं हो रहा। बार-बार चेताने के बाद भी जब अधिकारियों ने योजना की प्रगति नहीं बढ़ाई तो जिला कार्यक्रम अधिकारी डा. अखिलेश मिश्रा ने जिले के सभी छह बाल विकास परियोजना अधिकारियों का वेतन रोक दिया है। जब तक योजना की प्रगति न्यूनतम 75 प्रतिशत नहीं हो जाती, तब तक वेतन जारी नहीं किया जाएगा।
यदि कोई महिला सरकारी या सरकारी उपक्रमों की कार्मिक नहीं है तो उसे प्रथम प्रसव पर पांच हजार रुपये दिए जाने का प्रविधान है। इसके साथ ही संस्थागत प्रसव पर जननी सुरक्षा के तहत 1400 रुपये अतिरिक्त रूप से दिए जाते हैं। देहरादून जैसे बड़े जिले में इस योजना के तहत महज 12,400 महिला लाभार्थियों का लक्ष्य तय किया गया है और संबंधित अधिकारी व सुपरवाइजर इस लक्ष्य को भी हासिल नहीं कर पा रहे।
इस योजना को 20 सूत्रीय कार्यक्रम में भी शामिल किया गया है, लिहाजा योजना में लेटलतीफी पर जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी की भी जवाबदेही तय हो जाती है। इसके बाद भी 20 सूत्रीय कार्यक्रम में योजना सबसे निम्न श्रेणी 'डी' से बाहर नहीं निकल पा रही। योजना की प्रगति बढ़ाने को लेकर जिला कार्यक्रम अधिकारी कई दफा बाल विकास परियोजना अधिकारियों को चेता चुके हैं। वित्तीय वर्ष समाप्ति को करीब तीन माह ही शेष हैं और प्रगति 60 प्रतिशत से भी कम है। अभी तक महज 7400 लाभार्थियों को ही योजना का लाभ दिया जा सका है। लाभार्थियों के जो फार्म भरवाए गए हैं, उसमें भी त्रुटियां हैं और इन्हें दूर करने से संबंधित 353 आवेदन शेष हैं।
दूसरी तरफ अंतिम स्वीकृति के मोर्चे पर भी 225 लाभार्थियों के आवेदन लटके पड़े हैं। इस स्थिति को देखते हुए जिला कार्यक्रम अधिकारी डा. अखिलेश मिश्रा ने सभी बाल विकास अधिकारियों का दिसंबर का वेतन जारी न करने के आदेश दिए हैं। उन्होंने यह भी आदेश दिए हैं कि दिसंबर के अंत तक प्रगति 75 प्रतिशत व इससे अधिक हासिल कर ली जाए। यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो वेतन जारी नहीं किया जाएगा और अन्य तरह की प्रशासनिक कार्रवाई भी शुरू कर दी जाएगी।
मंडलायुक्त व जिलाधिकारी जता चुके नाराजगी
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि मंडलायुक्त व जिलाधिकारी स्तर पर की गई समीक्षा में योजना को लेकर गहरी नाराजगी व्यक्त की जा चुकी है। राजधानी में योजना की इस स्थिति पर पूरे जिले की छवि धूमिल हो रही है, जिससे यह भी संदेश जाता है कि बाल विकास विभाग के कार्मिक काम के प्रति गंभीर नहीं हैं।यह भी पढ़ें- उत्तराखंड में 18 शिक्षाधिकारियों के हुए तबादले, इन्हें बनाया गया टिहरी का सीईओ; देखें पूरी लिस्ट
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