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Janmashtami 2024: 'रात 12 बजते ही नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की' से गूंजी द्रोणनगरी, तस्‍वीरें

Janmashtami 2024 रात 12 बजे ही नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की से गूंजी द्रोणनगरी। देहरादून में जन्माष्टमी का पर्व श्रद्धा भक्तिभाव और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मंदिरों में झांकियां श्रीकृष्ण की जीवन लीलाओं का मंचन और मटकी फोड़ ने सभी का मन मोह लिया। कन्हैया की जयकारों के साथ भजन-कीर्तन का दौर देर रात तक चलता रहा। आज नंदोत्सव मनाया जाएगा।

By Sumit kumar Edited By: Nirmala Bohra Updated: Tue, 27 Aug 2024 08:56 AM (IST)
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Krishna Janmashtami 2024: बच्चों ने विभिन्न प्रतियोगिता में दिखाया उत्साह

जागरण संवाददाता, देहरादून । Krishna Janmashtami 2024: भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी श्रद्धा, भक्तिभाव व हर्षोल्लास के साथ मनाई। रात 12 बजते ही नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की, बधाई गीत व आतिशबाजी से द्रोणनगरी गूंज उठी।

कन्हैया की जयकारों के साथ मंदिर में झांकियां व श्रीकृष्ण की जीवन लीलाओं के मंचन व मटकी फोड़ ने सभी का मन मोहा। मंदिरों में कान्हा को उनकी पसंदीदा माखन मिश्री का भोग लगाया गया। बाल कलाकारों ने श्रीकृष्ण व राधा रानी बनकर मनमोहक प्रस्तुति दी। देर रात तक मंदिरों में भजन-कीर्तन का दौर चलता रहा। आज नंदोत्सव मनाया जाएगा।

कृष्ण भक्तों ने घरों में पूजा की

सोमवार सुबह व्रत धारण के साथ ही कृष्ण भक्तों ने घरों में पूजा की तैयारी शुरू की। विभिन्न मंदिरों को लाइट व फूलों से सजाया गया। सुबह से लेकर देर रात तक भजन गायन का दौर चलता रहा।

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किशन नगर चौक स्थित राधा-कृष्ण मंदिर, सनातन धर्म मंदिर गीता भवन, राधा-कृष्ण मंदिर मन्नूगंज, सनातन धर्म मंदिर प्रेमनगर, श्याम सुंदर मंदिर पटेलनगर, कालिका माता मंदिर अंसारी मार्ग समेत विभिन्न मंदिरों में विशेष झांकियों के साथ ही कृष्ण गीत चलते रहे।

कृष्ण जन्मोत्सव पर लड्डू गोपाल का दूध, दही, शक्कर, घी के साथ अभिषेक के बाद उन्हें वस्त्र धारण करा पालने में विराजमान किया। इसके बाद पंचामृत मिष्ठान का भोग लगाया।

कलाकारों ने भक्ति गीत, बच्चों ने किया कृष्ण की लीलाओं का मंचन

इंटरनेशनल सोसायटी फार कृष्णा कंशसनेस (इस्कान) की ओर से दौड़वाला के हरे कृष्णा हिल्स स्थित श्रीराधा बांके बिहारी मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई गई। भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य अभिषेक में भगवान को फूलों, आभूषणों से सजाया गया। इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम में नृत्य श्लोक पाठ, कृष्ण की लीलाओं का मंचन में बच्चों व बड़ों ने उत्साह दिखाया। मंदिर के कलाकारों ने भक्ति गीतों की प्रस्तुति दी।

इसके अलावा विभिन्न तरह खेल स्टाल में पारंपरिक दही-हांडी, रिंग टास व कृष्णा थीम पर आधारित प्रश्नोत्तरी, वैदिक पुस्तकों की प्रदर्शनी, भव्य सजावट व पुरस्कार वितरण विशेष रहा। मंदिर के निदेशक लीला पुरुषोत्तम दास व अध्यक्ष परम करुणा माधव दास ने सभी का स्वागत किया।

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वहीं, इस्कान की ओर से कौलागढ़ स्थित ओएनजीसी के सामुदायिक केंद्र में केशव भारती दास के सानिध्य में संध्या आरती, हरिनाम संकीर्तन व सांस्कृतिक कार्यक्रम, लड्डू गोपाल का महाभिषेक के बाद भोग व आरती की गई।

दिवाकर गांगुली व साथियों के भजनों पर झूमे भक्त

द आर्ट आफ लिविंग की ओर से परेड ग्राउंड स्थित सुसात फंक्शन सेंटर में सत्संग व ध्यान में भजन गायकों ने प्रस्तुति देकर पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया। दिवाकर गांगुली व अन्य भजन गायकों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति पर भक्तों ने खूब नृत्य किया।

इस दौरान उन्होंने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की महत्ता के बारे में भी बताया। द आर्ट आफ लिविंग के मीडिया समन्वयक नितिन जैन ने बताया कि भक्ति में जो डूबता है, वही तर जाता है। संसार में जो डूबता है वह दुखी हो जाता है। यही जन्माष्टमी का संदेश है। इस मौके पर वेद व्यास गुलाटी, राज्य समन्वयक नंदिता सिंह, आभा ममगाईं, सरल अग्रवाल, केपी उप्रेती आदि मौजूद रहे।

शोभायात्रा में कलाकारों व झांकियों ने मोहा मन

डीएल रोड स्थित श्री चैतन्य गौड़ीय मठ द्वारा क्षेत्र में भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जो डीएल रोड स्थित मठ से शुरू होकर आर्य नगर, राजपुर रोड, दिला राम बाजार, ओल्ड सर्वे रोड, ईसी रोड, सर्वे चौक, करनपुर बाजार, सीमेंट रोड होते हुए मठ पहुंची।

शोभायात्रा में कलाकारों की प्रस्तुति, राधा कृष्ण की भव्य झांकी व रथ खास रहे। इस मौके पर त्रिदंडी स्वामी भक्ति सौरभ आचार्य महाराज, भक्ति विलास त्रिदंडी महाराज, बंगाल से भक्ति सर्वस त्यागी महाराज, वृंदावन से दुर्गादास प्रभु, राधा गोविंद प्रभु, जीवन कृष्ण प्रभु, अशोक प्रभु, मठ रक्षक त्रिदंडी स्वामी भक्ति प्रसन्न त्यागी महाराज आदि मौजूद रहे।

आचार्य दुर्गा प्रसाद नौडियाल ने कहा कि श्रीकृष्ण ने कर्तव्य निष्ठा व मानवीय आचार विचार पर जो ज्ञान दिया वह विश्व की अन्य धार्मिक पुस्तकों में कम ही मिलता है। आज जरूरी है कि हम सब गीता में दिए ज्ञान का अनुसरण करें।

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