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ब्रिटिशकाल में बना देहरादून रेलवे स्टेशन, बढ़ता यात्री दबाव; कम पड़ती सुविधाएं

ब्रिटिशकाल में बने देहरादून रेलवे स्टेशन का ऐतिहासिक स्वरूप बढ़ते यात्री दबाव और सिमटती सुविधाओं में कहीं गुम सा हो गया है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 21 Aug 2019 09:32 PM (IST)
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ब्रिटिशकाल में बना देहरादून रेलवे स्टेशन, बढ़ता यात्री दबाव; कम पड़ती सुविधाएं
देहरादून, निशांत चौधरी। वर्ष 1899 में ब्रिटिशकाल में बने देहरादून रेलवे स्टेशन का ऐतिहासिक स्वरूप बढ़ते यात्री दबाव और सिमटती सुविधाओं में कहीं गुम सा हो गया है। कहने को इस रेलवे स्टेशन को केंद्र सरकार ने श्रेणी एक में रखा है, मगर इस तरह की प्राथमिकता का ऐहसास यहां होता नहीं है। स्टेशन पर रोजाना करीब 12 हजार यात्रियों की आवाजाही रहती है और इसके अनुरूप पार्किंग सुविधा नगण्य नजर आती है। 10 रिजर्वेशन काउंटर होने के बाद भी अधिकांश समय चार से छह काउंटर ही संचालित होते हैं। यात्रियों के प्रतीक्षा स्थल (वेटिंग लाउंज) की स्थिति की बात करें तो सिर्फ पुरुषों का वेटिंग लाउंज कुछ बेहतर स्थिति में है। सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील होने के बाद भी यहां रखे गए दो मेटल डिटेक्टर में से भी एक ही चालू अवस्था में है। स्टेशन पर यात्रियों की सुविधा के लिए लगाए गए एक्सेलिरेटर (स्वचालित सीढ़ी) लंबे समय से बंद पड़ी है। इसी तरह डबल ट्रैक का जो काम शुरू किया गया था, उसके कॉन्ट्रेक्टर के काम छोड़ देने के चलते यह मामला भी अधर में दिख रहा है। स्टेशन के विस्तारीकरण या आधुनिकीकरण का मामला भी लंबे समय से गतिमान है, हालांकि धरातल पर अभी काम शुरू नहीं हो पाया है।

अधर में पड़ी स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्था

देहरादून के रेलवे स्टेशन को सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है। खूफिया रिपोर्टों के मुताबिक इस स्टेशन पर आतंकी संगठनों की भी निगाह रहती है। देश में कहीं पर भी कोई आतंकी वारदात होती है तो दून रेलवे स्टेशन को भी अलर्ट मोड में रखा जाता है। दून में राष्ट्रीय स्तर के तमाम संवेदनशील संस्थान होने के चलते भी रेलवे स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता किए जाने पर बात उठती रहती है। बावजूद इसके स्टेशन पर लगे मेटल डिटेक्टर की संख्या में इजाफा नहीं किया जा रहा है। स्टेशन से गुजरने वाले करीब 12 हजार यात्रियों के लिए महज एक मेटल डिटेक्टर के चालू हालत में होने को लेकर भी सवाल खड़े होते हैं। दूसरा मेटल डिटेक्टर सिर्फ सुरक्षा की संतुष्टिभर का ही ऐहसास करा पाता है।

स्टेशन की तीसरी आंख ठिकाने पर नहीं

देहरादून के रेलवे स्टेशन पर आपराधिक घटनाओं पर निगरानी रखने और यात्रियों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, लेकिन पुलिस की तीसरी आंख कहे जाने वाले सीसीटीवी कैमरों का फोकस पूरी तरह गड़बड़ा रखा है। चार से एक नंबर प्लेटफार्म को जोडऩे वाले फुटओवरब्रिज पर लगे सीसीटीवी कैमरों का फोकस इस कदर बिगड़ा है कि कोई ओवरब्रिज की छत की निगरानी कर रहा है, तो कोई रेलवे के पीछे खाली पड़ी जमीन की। स्टेशन अधीक्षक का कहना है कि सीसीटीवी कैमरे लगाने वाली कंपनी रेलटेल ने अभी इनका संचालन जीआरपी को हस्तांतरित नहीं किया है। इनके हस्तांतरण के बाद सभी सुचारू रूप से काम करने लगेंगे।

चार माह में ही बंद पड़ी स्वचालित सीढ़ी

दून स्टेशन पर सात मार्च 2019 को टिहरी गढ़वाल क्षेत्र की सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह की उपस्थिति में दो स्वचालित सीढ़ियों का उद्घाटन किया गया था, लेकिन चार माह में ही सीढ़ियों की पोल खुल गई। दोनों ही सीढ़ियां पिछले कई दिनों से बंद पड़ी हुई हैं। जिसकी वजह से खासकर दिव्यांजन, बुजुर्ग व महिला यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्टेशन प्रबंधन सीढ़ि‍यों की सर्विसिंग की बात कहकर पल्ला झाड़ने का काम कर रहा है।

'लिफ्ट खराब है'

'लिफ्ट खराब है' ऐसा हम नहीं, देहरादून स्टेशन के प्लेटफार्म एक व तीन पर लगी लिफ्ट कह रही है। यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के लिए स्टेशन पर दो लिफ्ट लगाई गई हैं। प्लेटफार्म संख्या एक व तीन के यात्रियों को सुविधा देने के लिए लगाई गई लिफ्ट लंबे समय से खराब पड़ी है। स्टेशन प्रबंधन इन्हें दुरुस्त कराने की जहमत तक नहीं उठा रहा है। इससे यात्रियों को लिफ्ट का लाभ नहीं मिल पा रहा।

सामान्य श्रेणी टिकट को नहीं वेटिंग रूम

रेलवे स्टेशन पर आरक्षित टिकट के लिए पुरुष व महिला दोनों वर्गों में वेटिंग रूम उपलब्ध है। लेकिन, सामान्य श्रेणी के टिकट के यात्रियों के लिए वेटिंग रूम की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। सामान्य टिकट घर में यात्री फर्श पर बैठने को मजबूर हैं। यात्रियों के लिए एक कोने में जरूर सीमेंट की बनी सीटें लगाई गई हैं, मगर इन्हें साफ नहीं किया जाता, जिसके चलते यात्री यहां पर बैठना उचित नहीं समझते।

स्टेशन पर भी बैठने की नहीं है पर्याप्त व्यवस्था

वर्ष 1899 में बने दून रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन 12 से 13 हजार लोग गुजरते हैं। इनमें देहरादून से ट्रेन पकड़कर जाने वाले यात्रियों की संख्या छह से सात हजार है, लेकिन स्टेशन के यात्री शेड में लगी कुर्सियां इतने लोगों को बैठने की जगह दे पाने में सक्षम नहीं हैं। त्योहारी सीजन में भीड़ बढऩे या ट्रेन के लेट होने पर यात्रियों को कई घंटे स्टेशन पर खड़े रहकर गुजारने पड़ते हैं। स्टेशन प्रबंधन का कहना है कि स्टेशन के आधुनिकीकरण के बाद ही इस समस्या से निजात मिल पाना संभव है।

आरक्षित काउंटर पर खिड़की बंद

देहरादून रेलवे स्टेशन पर आरक्षित व सामान्य श्रेणी टिकट के लिए अलग-अलग काउंटर हैं। सामान्य श्रेणी के काउंटर पर खिड़की के साथ डिजिटल टिकट मशीनें भी चालू अवस्था में हैं। आरक्षित काउंटर पर टिकट संबंधी सुविधाओं के लिए दस खिड़कियां हैं, जिनमें से चार खिड़की खुली मिली और अन्य सभी बंद पड़ी थी।

पार्किंग राम भरोसे, सड़क पर सजे वाहन

दून रेलवे स्टेशन पर दो पहिया वाहनों की पार्किंग राम भरोसे चल रही है। पार्किंग का ठेका पिछले साल से बंद पड़ा है। जिसका नतीजा यह हो रहा है कि यात्री व अन्य लोग जहां-तहां अपने वाहन खड़े कर देते हैं। इससे अनावश्यक रूप से जाम की समस्या बढ़ जाती है। इसके अलावा चार पहिया वाहनों की पार्किंग के लिए चयनित जगह से आगे तक वाहनों को खड़ा कराया जा रहा है। जिससे वाहन सड़क पर सजे नजर आते हैं। स्टेशन अधीक्षक का कहना है कि दो पहिया वाहनों की पार्किंग के लिए जल्द ठेका आवंटित किया जाएगा। उनका कहना है कि अगर चार पहिया वाहन पार्किंग तय सीमा का उल्लंघन करते हैं तो उनका चालान किया जाएगा।

प्लेटफार्म चौड़ीकरण कार्य अधर में

देहरादून के रेलवे स्टेशन को डबल ट्रैक पर लाने के लिए प्लेटफार्म चौड़ीकरण का कार्य शुरू किया गया था, लेकिन बीच में ही डबल ट्रैक के कॉन्ट्रेक्टर के काम छोड़ देने के चलते यह मामला भी अधर में दिख रहा है।

कब आएगी 18 डिब्बों की ट्रेन

देहरादून के रेलवे स्टेशन से दिनभर में 18 ट्रेनों की आवाजाही होती है। अभी तक 13 कोच की ट्रेनें ही दून रेलवे स्टेशन पर आ रही हैं। स्टेशन पर रेल लाइनों के विस्तारीकरण का कार्य शुरू होने से उम्मीद जगी थी कि 18 कोच की ट्रेन सीधे दून आएगी। लेकिन, 18 कोच की ट्रेन कब दून आ पाएगी, इसका ठोस जवाब किसी के भी पास नहीं है।

पर्यटक हेल्पलाइन पर पसरा सन्नाटा

देहरादून के रेलवे स्टेशन पर पहुंचने वाले पर्यटकों को सही दिशा दिखाने के लिए आरपीएफ ने पर्यटक हेल्पलाइन काउंटर शुरू किया है। यह बात और है कि आरपीएफ इसके संचालन को लेकर गंभीर नहीं है। काउंटर को लेकर प्रचार-प्रसार भी नहीं किया जाता। यही कारण भी है कि अधिकांश समय खाली पड़ा रहता है।

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टीसी को आसानी से दिया जा सकता है चकमा

ट्रेन के आने व जाने के समय पर रेलवे स्टेशनों के मुख्य द्वार पर टिकट की चेकिंग होती है, लेकिन देहरादून के रेलवे स्टेशन पर आसानी से टीसी को चकमा दिया जा सकता है। प्लेटफार्म नंबर एक के सामने बनी आरपीएफ की चौकी के बराबर से पतला सा रास्ता स्टेशन से बाहर के लिए निकलता है। इस रास्ते से बड़ी संख्या में यात्री स्टेशन से बाहर निकलते हैं। इनमें कई बिना टिकट यात्रा करने वाले भी शामिल रहते हैं।

एसडी डोभाल (स्टेशन अधीक्षक, देहरादून) का कहना है कि सप्ताह के हर मंगलवार को रेलवे स्टेशन संबंधित सभी समस्याओं को लेकर बैठक होती है। जिसमें स्टेशन की समस्याओं पर चर्चा के साथ उनके निवारण पर निर्णय लिया जाता है। स्वचालित सीढिय़ां, लिफ्ट समेत अन्य मामले संज्ञान में हैं। इन पर कार्य किया जा रहा है। जल्द ही सभी समस्याओं का निवारण कर दिया जाएगा।

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