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वैज्ञानिकों का दावाः चौराबाड़ी ग्लेशियर में बनी झील से केदारनाथ को कोई खतरा नहीं

वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों ने केदारनाथ से साढ़े चार किमी ऊपर चौराबाड़ी ग्लेशियर पर बनी झील से किसी भी तरह के खतरे से साफ इन्कार किया।

By BhanuEdited By: Updated: Fri, 28 Jun 2019 08:00 PM (IST)
वैज्ञानिकों का दावाः चौराबाड़ी ग्लेशियर में बनी झील से केदारनाथ को कोई खतरा नहीं
देहरादून, जेएनएन। वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों ने केदारनाथ से साढ़े चार किमी ऊपर चौराबाड़ी ग्लेशियर पर बनी नई सीजनेबल झील का अध्ययन कर लिया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक झील का दायरा करीब आठ मीटर है और इसमें पांच से सात फीट तक पानी भरा है। हालांकि, केदारनाथ को झील से किसी भी तरह के खतरे से वैज्ञानिकों ने साफ इन्कार किया। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि केदारनाथ से दो किमी ऊपर स्थित चौराबाड़ी ताल आपदा के बाद जिस स्थिति में आ गया था, अब भी बिल्कुल वैसा ही है। यहां पानी एक नाले से नीचे आ रहा है। 

चार-सदस्यीय दल का नेतृत्व कर रहे वाडिया के हिमनद विशेषज्ञ डॉ. डीपी डोभाल ने बताया कि नई झील वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा की अहम वजह बनी चौराबाड़ी झील से करीब ढाई किमी ऊपर है। यह झील ग्लेशियर के ऊपर बनी है और ग्लेशियर में लगातार होने वाले बदलाव के चलते यह अधिक समय तक टिकी नहीं रहेगी। इससे पानी का लगातार रिसाव भी हो रहा है, जिसके चलते इसमें न तो अधिक पानी जमा होगा और न इसका आकार ही बढ़ेगा।

डॉ. डोभाल ने बताया कि ग्लेशियर में सीजनेबल इस तरह के झील बनती रहती हैं, जो कुछ समय बाद अपने आप समाप्त भी हो जाती हैं। बावजूद इसके इस झील का समय-समय पर अध्ययन किया जाएगा। बताया कि इस दौरान दल ने चौराबाड़ी झील का भी निरीक्षण किया। जो आपदा के बाद से ही पूरी तरह क्षतिग्रस्त है और इनमें पानी भी जमा नहीं हो रहा। बताया कि यहां से पानी नाले के रूप में नीचे आ रहा है। लिहाजा, इससे केदारपुरी के लिए किसी भी तरह का खतरा नहीं है।

डॉ. डोभाल के अनुसार दल अब केदारनाथ से प्रस्थान करेगा और देहरादून लौटकर संस्थान के निदेशक डॉ. कालाचंद साईं के माध्यम से रिपोर्ट सरकार को भेज दी जाएगी। दल में डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. राजीव अहलूवालिया व डॉ. अखिलेश गैरोला समेत दो इंजीनियर, एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिवादन बल) व डीडीआरएफ (जिला आपदा प्रतिवादन बल) के दो-दो सदस्य शामिल थे। 

वाडिया का ऑटोवेदर स्टेशन ध्वस्त

शीतकाल के दौरान हुई भारी बर्फबारी के चलते वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान का चौराबाड़ी ग्लेशियर के निचले भाग पर लगाया गया ऑटो वेदर स्टेशन ध्वस्त हो गया है। इसकी जानकारी देते हुए वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल ने बताया कि स्टेशन ध्वस्त जरूर हो गया है, मगर इसमें बर्फबारी, तापमान आदि के डेटा सुरक्षित है। 

इसे प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। बताया कि देहरादून पहुंचने के बाद स्टेशन के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाएगा। इसके बाद रिपोर्ट जारी कर बताया जाएगा कि केदारनाथ क्षेत्र में कितनी बर्फबारी हुई है और तापमान की स्थिति क्या रही।

चौराबाड़ी झील खतरा नहीं बनेगी: कोठियाल

केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य में प्रमुख भूमिका निभाने वाले निम के पूर्व प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल ने कहा कि चौराबाड़ी झील में दो फीट तक ही पानी जमा हो सकता है। उन्होंने पुनर्निर्माण के दौरान चौराबाड़ी झील की निकासी सही ढंग से बनाई थी। झील की निकासी के लिए वी सेव का आकार दिया था, जिससे वहां ग्लेशियर व हिमखंड पिघलने पर झील का पानी नहीं बढ़ेगा, जो अतिरिक्त पानी होगा उसकी निकासी निरंतर होती रहेगी। इससे चौराबाड़ी झील से केदारनाथ में कोई खतरा नहीं है।

उत्तरकाशी भ्रमण पर आए निम के पूर्व प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल ने कहा कि वह बीते बुधवार को गंगोत्री धाम गए थे। वहां भागीरथी के बहाव क्षेत्र में मलबा अधिक होने से तीर्थ पुरोहित और व्यापारी काफी चिंतित हैं। उन्होंने इसका प्रस्ताव सज्जन जिंदल कंपनी को भेजने के लिए कहा है। 

अपने दौरे के दौरान कर्नल अजय कोठियाल ने युवाओं से स्वरोजगार और पलायन रोकने को लेकर बातचीत की। कर्नल कोठियाल ने कहा कि जल्दी ही उत्तरकाशी जनपद में जो युवक ट्रैकिंग और माउंटेनियरिंग से जुड़े हैं, उन्हें एक साथ बिठाकर अन्य कई जानकारी दी जाएंगी। पत्रकारों से बातचीत करते हुए कर्नल अजय कोठियाल ने कहा कि इस बार यूथ फाउंडेशन का अच्छा परिणाम रहा है। उन्हें उम्मीद है कि यूथ फाउंडेशन कैंप के 80 फीसद युवा भारतीय सेना का हिस्सा बनेंगे। 

इस मौके पर निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट, होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेंद्र मटूड़ा,  विश्वनाथ मंदिर के महंत अजय पुरी, प्रदीप कैंतुरा, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष दीपेंद्र कोहली आदि मौजूद थे। 

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