लक्ष्मी ने गो सेवा को समर्पित कर दिया जीवन, गोवंश के मरने पर कराती हैं उसका अंतिम संस्कार
देहरादून के डाकपत्थर में जल विद्युत निगम से सेवानिवृत्त महिला लक्ष्मी ने गोसेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है। अजय लक्ष्मी श्रीवास्तव गोवंश के मरने पर उसका अंतिम संस्कार कराती हैं और बाकायदा मृत गोवंश की तेरहवीं में हलवा पूरी आदि बनाकर गाय को भोजन कराती हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 15 Oct 2020 01:34 PM (IST)
विकासनगर (देहरादून), जेएनएन। गोसेवा करने का दावा तो कई संगठन करते हैं, लेकिन डाकपत्थर में जल विद्युत निगम से सेवानिवृत्त महिला लक्ष्मी ने गोसेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है। जैन धर्म के जीवों पर दया करो के संदेश से गोसेवा के लिए प्रेरित हुईं अजय लक्ष्मी श्रीवास्तव गोवंश के मरने पर उसका अंतिम संस्कार कराती हैं और बाकायदा मृत गोवंश की तेरहवीं में अपने हाथ से हलवा पूरी आदि बनाकर गाय व बछड़ों को भोजन कराती हैं। उनके गोवंश प्रेम को जो देखता है, वह सराहना किए बिना नहीं रहता।
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के एटा मैनपुरी निवासी अजय लक्ष्मी श्रीवास्तव आगरा निवासी एससीपी श्रीवास्तव से शादी के बाद डाकपत्थर आई थीं। यहां पर डाकपत्थर में जल विद्युत निगम में कार्यरत पति की मौत के बाद अजय लक्ष्मी श्रीवास्तव मृतक आश्रित के रूप में लिपिक के पद पर नियुक्ति पाईं। पिछले करीब डेढ़ साल पहले वह सेवानिवृत्त भी हो गईं। जैन धर्म से होने के कारण अजय लक्ष्मी श्रीवास्तव के अंदर जीवों की दया का भाव बचपन से ही था, विशेषकर गाय और बछिया-बछड़ों की सेवा बचपन से ही करतीं आ रही थीं। शादी होने के बाद डाकपत्थर आने पर उनमें गोसेवा का भाव और बढ़ गया। गोसेवा के कार्य में उनके पति ने भी पूरा सहयोग दिया और समय के साथ उनका गोसेवा का भाव और बढ़ता गया। पिछले 23 साल से डाकपत्थर में गोसेवा कर रही हैं।
अजय लक्ष्मी श्रीवास्तव बताती हैं कि गोसेवा वह बचपन से करती आ रही हैं, लेकिन जब शादी होकर डाकपत्थर आईं तो पति के साथ देने के चलते उन्होंने गोसेवा में ही अपना जीवन लगा दिया। गोसेवा के लिए वह कई गोशालाओं व आश्रम से भी जुड़ीं। खुद खर्च कर डाकपत्थर में चार ड्रम लगवाए और पानी के लिए कनेक्शन भी लीं, ताकि सड़कों पर लावारिस की तरह से घूमतीं गायों व बछड़ों की प्यास बुझ सके। अपने इस लंबे सेवाकाल में उन्होंने हजारों गोवंश को सहारा दिया। गोसेवक अजय लक्ष्मी श्रीवास्तव ने बताया कि जब भी रोड पर कोई गाय या बछड़ा मर जाता है तो वे अपने खर्च पर जेसीबी मंगाकर मृत गोवंश को डाकपत्थर में यमुना किनारे विधिवत मंत्रों के साथ अंतिम संस्कार कराती हैं। मृत गोवंश की तेरहवीं के दिन अपने हाथ से हलवा पूरी, सब्जी, फल आदि गाय व बछड़ों को खिलाती हैं और उन्हें माला पहनाती हैं।
यह भी पढ़ें: कोरोनाकाल में विद्यार्थियों की मदद को आगे आए यह प्राचार्य, शिक्षा के क्षेत्र में पेश किया उदाहरणअजय लक्ष्मी श्रीवास्तव बताती हैं कि उनकी कोई औलाद नहीं है, पति भी नहीं रहे, अकेली होने के चलते पूरा जीवन इसी कार्य को समर्पित कर दिया है। उन्होंने गोसेवा के लिए खोदरी में गोशाला भी बनाई है। उन्होंने बताया कि हाल ही में उनके दरवाजे पर कोई बीमार गाय व बछड़ी बांध गया। गाय फोड़ा निकलने के कारण तड़प रही थी, जिसका उन्होंने पशु चिकित्सक से पूरा उपचार कराया, लेकिन गाय की मौत हो गई, जिसकी बुधवार को तेरहवीं मनाई गई और व्यंजन, फल सब्जी आदि बनाकर गाय व बछड़ों को भोजन कराया गया है। इस कार्य में उन्हें काफी सुकून महसूस होता है।
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